हम पूर्वी लद्दाख में चुनौती का सामना कर रहे हैं, मुद्दे का शांतिपूर्ण ढंग से हल करना चाहते हैं-रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन के साथ जारी गतिरोध पर राज्यसभा में बयान दिया। राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में दिए अपने बयान में कहा कि हम पूर्वी लद्दाख में चुनौती का सामना कर रहे हैं
हम मुद्दे का शांतिपूर्ण ढंग से हल करना चाहते हैं और हमारे सशस्त्र बल देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए डटकर खड़े हैं।
चीन ने गलवान में हमारी troops की traditional patrolling pattern में व्यवधान शुरू किया, जिसके कारण face-off की स्थिति उत्पन्न हुई। हमने उन्हें यह अवगत करा दिया, कि इस प्रकार की गतिविधियाँ, यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास हैं।ये प्रयास हमें किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है। pic.twitter.com/rNYoS5np6q
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 17, 2020
राजनाथ सिंह ने कहा कि 15 जून को कर्नल संतोष बाबू ने अपने 19 बहादुर सैनिकों के साथ भारत की अखंडता को बचाने के उद्देश्य से गलवां घाटी में सर्वोच्च बलिदान दिया। हमारे पीएम खुद सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए लद्दाख गए।
राजनाथ सिंह ने कहा कि सीमा पर दोनों देशों के बीच शांति बहाल करने के लिए कई समझौते हुए, लेकिन चीन औपचारिक सीमाओं को नहीं मानता। सदन इस बात से अवगत है कि भारत और चीन सीमा का प्रश्न अभी तक अनसुलझा है।
सदन को आश्वस्त रहना चाहिए कि हमारी Armed Forces इस चुनौती का सफलता से सामना करेंगी, और इसके लिए हमें उन पर गर्व है। pic.twitter.com/qWyltj1gKH
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 17, 2020
भारत और चीन की बाउंड्री का कस्टमरी और ट्रेडिशनल अलाइनमेंट चीन नहीं मानता है। यह सीमा रेखा अच्छे से स्थापित भौगोलिक सिद्धांतों पर आधारित है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन, भारत की लगभग 38,000 स्क्वायर किलोमीटर भूमि पर अनधिकृत कब्जा लद्दाख में किए हुए है। इसके अलावा, 1963 में एक तथाकथित बाउंड्री अग्रीमेंट के तहत, पाकिस्तान ने पीओके की 5,180 स्क्वायर किलोमीटर भारतीय जमीन अवैध रूप से चीन को सौंप दी है।
इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पूर्वी क्षेत्र में भारतीय क्षेत्र के लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर पर चीन दावा भी करता है।
मैं सदन के माध्यम से १३० करोड़ भारतवासियों को यह आश्वस्त करना चाहता हूँ कि हम देश का मस्तक झुकने नहीं देंगे और न ही हम किसी का मस्तक झुकाना चाहते हैं। pic.twitter.com/euiKRhCTUX
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 17, 2020
उन्होंने आगे कहा कि अभी तक भारत-चीन के सीमावर्ती क्षेत्रों में साझा रूप से चिन्हित वास्तविक नियंत्रण रेखा नहीं है और वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर दोनों पक्षों की समझ अलग-अलग है। इसलिए शांति बहाल रखने के लिए दोनों देशों के बीच कई तरह के समझौते और प्रोटोकॉल हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 1993 और 1996 के समझौते में इस बात का जिक्र है कि एलएएसी के पास दोनों देश अपनी सेनाओं की संख्या कम से कम रखेंगे। समझौते में यह भी है कि जब तक सीमा मुद्दे का पूर्ण समाधान नहीं होता है, तब तक एलएसी को सख्ती से लागू किया जाएगा।
राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं देश के 130 करोड़ लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम देश का मस्तक किसी भी कीमत पर झुकने नहीं देंगे और न ही हम किसी का मस्तक झुकाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सेना ने गलवां में चीन को भारी नुकसान पहुंचाया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन की कथनी और करनी में फर्क है। मैं सदन से यह अनुरोध करता हूं कि हमारे वीर जवानों की वीरता एवं बहादुरी की प्रशंसा करनी चाहिए। हमारे बहादुर जवान अत्यंत मुश्किल परिस्थतियों में अपने अथक प्रयास से समस्त देशवासियों को सुरक्षित रख रहे हैं।