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अमेरिका के फैसले ने बढ़ाया खतरा: Russia-Ukraine War में आया नया मोड़, दूतावास बंद, हवाई हमले की आशंका!

Russia-Ukraine War के बीच अमेरिका का फैसला उसी पर उलटा पड़ता नजर आ रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने हाल ही में यूक्रेन को लंबी दूरी की एटीएसीएमएस (ATACMS) मिसाइलों का उपयोग करने की अनुमति दी है, लेकिन इस कदम ने एक नए संकट को जन्म दे दिया है। यह निर्णय यूक्रेन द्वारा रूसी क्षेत्रों पर हमला करने के बाद आया, जिससे रूस का आक्रोश और वैश्विक तनाव बढ़ गया है।

कीव में दूतावास बंद, हवाई हमले की चेतावनी

अमेरिका ने बुधवार को कीव में स्थित अपना दूतावास बंद कर दिया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने इस कदम को “सावधानीपूर्ण कार्रवाई” बताया है। एक बयान में कहा गया है, “संभावित बड़े हवाई हमले की सूचना के कारण दूतावास को तत्काल बंद किया जा रहा है।” दूतावास के कर्मचारियों को अपने स्थान पर रहने के निर्देश दिए गए हैं।

इसके साथ ही, अमेरिकी नागरिकों को सलाह दी गई है कि हवाई हमले की चेतावनी जारी होते ही वे सुरक्षित स्थान पर शरण लें। यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने युद्ध के दौरान अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर कदम उठाया है, लेकिन यह घटनाक्रम रूस और अमेरिका के बीच तनाव की गंभीरता को दर्शाता है।


एटीएसीएमएस मिसाइल और बढ़ते खतरे

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की लंबे समय से एटीएसीएमएस मिसाइल की मांग कर रहे थे। यह मिसाइल 300 किमी तक के लक्ष्यों को भेद सकती है, जिससे रूसी क्षेत्रों में हमला करना संभव हुआ है। बाइडन प्रशासन के इस फैसले ने युद्ध के 1,000वें दिन एक नया मोड़ ला दिया है।

रूस ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका ने यूक्रेन को रूस के अंदर हमले करने की अनुमति दी, तो नाटो देशों को सीधे संघर्ष का हिस्सा माना जाएगा। मॉस्को ने पश्चिमी देशों को “परिणाम भुगतने” की धमकी दी है।


उत्तर कोरिया की ‘कथित’ भूमिका

इस बीच, उत्तर कोरिया की ओर से रूस को समर्थन देने की खबरों ने विवाद को और बढ़ा दिया है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर कोरियाई सैनिकों ने रूस के पश्चिमी कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेनी सेना के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी है। वॉशिंगटन और सोल का दावा है कि हजारों उत्तर कोरियाई सैनिक युद्ध में सीधे तौर पर रूस की मदद कर रहे हैं।

उत्तर कोरिया की इस भूमिका ने अमेरिका को और अधिक कठोर कदम उठाने पर मजबूर किया। हालांकि, रूस और उत्तर कोरिया ने इस ‘कथित’ सहयोग को लेकर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है, लेकिन पश्चिमी खेमे की चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं।


अमेरिकी रणनीति का उलटा असर

अमेरिका के लिए यह रणनीति बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। रूस ने चेतावनी दी है कि वह नाटो देशों के खिलाफ “मजबूत कदम” उठाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि रूस अब साइबर हमलों और हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षणों जैसे बड़े कदम उठाकर अमेरिका और उसके सहयोगियों को जवाब दे सकता है।

अमेरिका का यह फैसला, यूक्रेन को ताकतवर बनाने की कोशिश का हिस्सा है, लेकिन इससे अमेरिका खुद को भी खतरे में डाल रहा है। युद्ध विशेषज्ञों का कहना है कि अगर रूस-यूक्रेन संघर्ष और बढ़ता है, तो यह तीसरे विश्व युद्ध के हालात पैदा कर सकता है।


नाटो और वैश्विक प्रतिक्रिया

नाटो देशों ने इस नई स्थिति पर चर्चा शुरू कर दी है। फ्रांस, ब्रिटेन, और जर्मनी ने रूस के प्रति कड़ा रुख अपनाने की वकालत की है, लेकिन वे भी सीधे तौर पर शामिल होने से बच रहे हैं। चीन और भारत जैसे तटस्थ देश स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।

इस बीच, वैश्विक बाजारों पर भी इस तनाव का असर देखा जा रहा है। तेल की कीमतों में उछाल और हथियारों की आपूर्ति पर बढ़ता दबाव अंतरराष्ट्रीय राजनीति को और अधिक जटिल बना रहा है।


क्या है आगे की संभावना?

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर रूस और अमेरिका के बीच यह तनाव बढ़ता है, तो यह केवल यूक्रेन तक सीमित नहीं रहेगा। संभावित हवाई हमले और बढ़ते युद्ध उपकरणों की आपूर्ति ने दुनिया को एक नए संकट के मुहाने पर खड़ा कर दिया है।

वहीं, अमेरिका के लिए यह चुनौती है कि वह यूक्रेन को समर्थन देते हुए रूस के किसी भी बड़े कदम का मुकाबला कैसे करेगा। बाइडन प्रशासन की नीतियों पर अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह फैसला सही था या यह एक बड़ी गलती साबित होगी।


रूस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिका की बढ़ती भागीदारी ने वैश्विक स्थिति को अत्यधिक गंभीर बना दिया है। कीव में दूतावास बंद होने से लेकर हवाई हमले की चेतावनी तक, यह स्पष्ट है कि यह संघर्ष अब केवल दो देशों के बीच नहीं है, बल्कि यह एक बड़े अंतरराष्ट्रीय संघर्ष की ओर इशारा कर रहा है।

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