बिजली विभाग की लापरवाही से उत्तर प्रदेश के किसान मानसिक और आर्थिक संकट में..
बिजली बिभाग की उदासीनता के चलते प्रदेश के किसान परेशान हैं। योगी आदित्यनाथ और पंडित श्रीकांत शर्मा के कुशल कार्यान्वयन को पलीता लगाते कर्मचारी किसान को दौड़ाने और पैसा ऐंठने से बाज़ नही आ रहे।
ताजा मामला अमरोहा के जमुनाखास का हैं। जहाँ हर माह देय तारीख से पूर्व ही पेमेन्ट करने के बावजूद किसान को चार दिन का बीस हजार का बिल थमा दिया गया। बिल पर अवधि 11 माह डाल दी गयी।
श्री राजीव कुमार त्यागी पेशे से एक किसान हैं और खेती करके जैसे तैसे जीवन यापन कर रहे हैं। उनके द्वारा विद्युत बिल का भुगतान जिम्मेदार नागरिक और उपभोक्ता के तौर पर हर माह देय तारीख से पूर्व ही ऑनलाइन माध्यम से किया जाता रहा हैं।
इसके बावजूद भी उनको 31 ऑक्टोबर को बिल 1701201104714887 ऑनलाइन दर्शित हुआ। ऐसा प्रतीत होता हैं कि विभाग के कम्प्यूटर सिस्टम में कोई दिक्कत के कारण यह बिल 31 ऑक्टोबर से 04 नवंबर जो कि मात्र 4 दिवस होते हैं, को 11 माह दिखा रहा था और कुल देय अमाउंट लगभग बीस हजार रुपए पेंडिंग (बिना पिछले एरियर के) दिखा रहा, जो कि सर्वथा अमान्य हैं। इसी त्रुटि के कारण आगामी बिल में भी लगातार यह राशि जोड़कर लगाई जा रही हैं।
विभाग की हेल्पलाइन और अधिकारियों को ईमेल (19 नवम्बर 2020) द्वारा सूचित करने के बावजूद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई, न ही कोई जवाब मिला हैं।
एक गरीब किसान जो दिनरात कड़ी मेहनत करके देशसेवा कर रहा है, इस त्रुटि के कारण अत्यधिक मानसिक आघात मे हैं और इतना बड़ा अमान्य और गलत अमाउंट किसी भी परिस्तिथी में नही दे सकता।
स्थानीय बिजलीघर पर सम्पर्क करने पर भी किसान को टरका दिया गया और कोई कागज देखने या पूरी बात करने की भी जहमत नही की गई।
अब किसान ने पंडित श्रीकांत और मुख्यमंत्री कार्यालय पर सीधे गुहार लगाई हैं। देखना होगा कि किसान सम्मान और सेवा का दम्भ भरने वाली सरकार क्या कार्यवाही करती हैं या किसान ऐसे ही सिस्टम के नाम पर दाबे और कुचले जाएंगे।
Report: डा0 अभिषेक अग्रवाल (संपादकीय सदस्य)
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