Hathras: एसआईटी की रिपोर्ट में बाबा का नाम नहीं, समिति और स्थानीय प्रशासन पर सवाल उठाए गए
Hathras में 2 जुलाई 2024 को साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के दौरान हुई भगदड़ की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस भयावह हादसे में 121 लोगों की जान चली गई। विशेष जांच दल (SIT) ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें आयोजन समिति और स्थानीय प्रशासन की गंभीर लापरवाहियों को उजागर किया गया है। इस रिपोर्ट के सौंपे जाने के बाद प्रदेश में राजनीतिक माहौल गरमा गया है।
हादसे का विस्तृत विवरण
एसआईटी की रिपोर्ट के अनुसार, हाथरस में सत्संग का आयोजन कराने वाली समिति की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ। प्रशासन की ओर से 80 हजार लोगों को आने की अनुमति दी गई थी, लेकिन सत्संग में दो लाख से अधिक लोग बाबा का प्रवचन सुनने के लिए उपस्थित हुए। इस अत्यधिक भीड़ ने आयोजन स्थल पर भगदड़ मचा दी।
Hathras प्रशासन और आयोजन समिति की लापरवाही
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रशासन और आयोजन समिति ने अनुमति से अधिक लोगों को बुलाया, और साथ ही बदइंतजामी भी की। अनुमति देने के बावजूद मौके पर अफसरों की ओर से मुआयना नहीं किया गया, जो घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ, जिसमें अधिकतर महिलाएं शामिल थीं।
पीड़ित परिवारों के बयान
जांच के दौरान एसआईटी ने पीड़ित परिवारों के करीब 119 लोगों के बयान भी दर्ज किए हैं। पीड़ितों ने प्रशासन और आयोजन समिति के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि वहां पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे, और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई थी।
Hathras पुलिस और प्रशासन की भूमिका
इस घटना में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने सत्संग स्थल पर पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम नहीं किए थे। प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया, जिससे भगदड़ मच गई। इस मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी और एक लाख रुपये के इनामी देव प्रकाश मधुकर को गिरफ्तार कर लिया है। इसके अलावा, छह और आरोपियों की गिरफ्तारी की गई है, जो सत्संग आयोजन समिति के सदस्य थे।
फर्जी बाबाओं की बढ़ती समस्या
भारत में फर्जी बाबाओं की समस्या बढ़ती जा रही है। ऐसे बाबा धार्मिक आयोजनों के माध्यम से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं, और कई बार ये आयोजन अनियंत्रित भीड़ का कारण बनते हैं। हाथरस का यह हादसा भी इसी का उदाहरण है। भोले बाबा जैसे फर्जी बाबा लोगों की धार्मिक भावनाओं का फायदा उठाते हैं और आयोजन के नाम पर अनियंत्रित भीड़ इकट्ठा करते हैं, जिससे ऐसी दुखद घटनाएं होती हैं।
प्रशासनिक विफलता और भ्रष्टाचार
यह हादसा प्रशासनिक विफलता और भ्रष्टाचार का भी एक उदाहरण है। प्रशासन ने आयोजन की अनुमति दी, लेकिन सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के उचित इंतजाम नहीं किए। इसके अलावा, आयोजन समिति ने भी अनुमति से अधिक लोगों को बुलाया और सुरक्षा के उचित इंतजाम नहीं किए।
Hathras की यह घटना एक गंभीर प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है। प्रशासन और आयोजन समिति की लापरवाही ने 121 लोगों की जान ले ली। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि ऐसे आयोजनों में सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के उचित इंतजाम किए जाने चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। फर्जी बाबाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए और प्रशासनिक अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन सही तरीके से करना चाहिए।
यह हादसा न केवल एक प्रशासनिक विफलता का प्रतीक है, बल्कि समाज में फर्जी बाबाओं के बढ़ते प्रभाव का भी प्रमाण है। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि हमें धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के उचित इंतजाम करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। साथ ही, फर्जी बाबाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि समाज में उनकी बढ़ती समस्या को रोका जा सके।