भारत की मित्रता के जवाब में पाकिस्तान द्वारा पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश हुई थी- प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने रविवार को कारगिल के शहीदों के बलिदान को याद करते हुए कहा कि यह युद्ध भारत की मित्रता के जवाब में पाकिस्तान द्वारा पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश का परिणाम था।
आकाशवाणी पर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात की 67वीं कड़ी में लोगों के साथ अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने बड़े-बड़े मंसूबे पालकर भारत की भूमि हथियाने और अपने यहां चल रहे आंतरिक कलह से ध्यान भटकाने को लेकर ये दुस्साहस किया था।
उन्होंने कहा, ‘आज 26 जुलाई है और आज का दिन बहुत खास है। आज करगिल विजय दिवस है। 21 साल पहले आज ही के दिन करगिल के युद्ध में हमारी सेना ने भारत की जीत का झंडा फहराया था।’ उन्होंने कहा कि करगिल का युद्ध किन परिस्थितियों में हुआ था वह भारत कभी नहीं भूल सकता।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने बड़े-बड़े मंसूबे पालकर भारत की भूमि हथियाने और अपने यहां चल रहे आंतरिक कलह से ध्यान भटकाने को लेकर दुस्साहस किया था जबकि भारत, पाकिस्तान से अच्छे संबंधों के लिए प्रयासरत था।
उन्होंने कहा कि ऐसे स्वभाव के लोग जो हित करता है, उसका भी नुकसान ही सोचते हैं। इसीलिए भारत की मित्रता के जवाब में पाकिस्तान द्वारा पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश हुई थी।
मोदी ने कहा कि लेकिन उसके बाद भारत की वीर सेना ने जो पराक्रम दिखाया, जो ताकत दिखाई, उसे पूरी दुनिया ने देखा। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आप कल्पना कर सकते हैं कि ऊंचे पहाड़ों पर बैठा हुआ दुश्मन और नीचे से लड़ रही हमारी सेनाएं, हमारे जवान। लेकिन जीत पहाड़ की ऊंचाई की नहीं, भारत की सेनाओं के, उनके हौसले और सच्ची वीरता की हुई।’
Tune in to this month’s #MannKiBaat. https://t.co/0PPisEWaHG
— Narendra Modi (@narendramodi) July 26, 2020
मेरे प्यारे देशवासियो सात समुद्र पार भारत से हजारों मील दूर एक छोटा सा देश है जिसका नाम है ‘सूरीनाम’। हाल ही में श्री चंद्रिका प्रसाद संतोखी, ‘सूरीनाम’ के नए राष्ट्रपति बने हैं, उन्होंने 2018 में आयोजित पीआईओ, पार्लियामेंट्री कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया थाI संतोखी जी ने शपथ की शुरुआत वेद मंत्रों के साथ की।
अपने हाथ में वेद लेकर वे बोले- मैं चंद्रिका प्रसाद संतोखी और आगे मंत्रोच्चारण किया, ‘ॐ अग्ने व्रतपते व्रतं चरिष्यामि तच्छकेयं तन्मे राध्यताम्। इदमहमनृतात् सत्यमुपैमि।’ मैं श्री चंद्रिका प्रसाद संतोखी को बधाई देता हूं और अपने राष्ट्र की सेवा करने के लिए 130 करोड़ भारतीयों की ओर से उन्हें शुभकामनाएं देता हूं।
इस समय बारिश का मौसम भी है। पिछली बार भी मैंने आप से कहा था कि बरसात में गंदगी और उनसे होने वाली बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, अस्पतालों में भीड़ भी बढ़ जाती है।
इसलिए सभी साफ-सफाई पर बहुत ज्यादा ध्यान दें। इस समय देश का एक बड़ा हिस्सा बाढ़ से जूझ रहा है। बिहार, असम जैसे राज्यों के कई क्षेत्रों में तो बाढ़ ने काफी मुश्किलें पैदा की हुई हैं, ऐसे में हर तरह से, राहत और बचाव के काम किए जा रहे हैं।
साथियों विशेषकर मेरे युवा साथियों, हमारा देश बदल रहा है। कैसे बदल रहा है? कितनी तेजी से बदल रहा है? कैसे-कैसे क्षेत्रों में बदल रहा है? एक सकारात्मक सोच के साथ अगर निगाह डालें तो हम खुद अचंभित रह जाएंगे।
कुछ ऐसा ही हाल ही में आए बोर्ड एग्जाम के रिजल्ट में भी दिखता है। आज ‘मन की बात’ में हम कुछ ऐसे ही प्रतिभाशाली बेटे-बेटियों से बात करते हैं। ऐसी ही हरियाणा, पानीपत की एक प्रतिभाशाली बेटी है कृतिका नांदल।
छोटे-छोटे स्थानीय उत्पादों से कैसे बड़ी सफलता मिलती है, इसका एक उदहारण झारखंड से भी मिलता है। मैं देश के दो इलाकों के बारे में भी बात करना चाहता हूं
दोनों एक-दूसरे से सैकड़ों किलोमीटर दूर हैं और अपने-अपने तरीके से भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कुछ हटकर के काम कर रहे हैं। एक है लद्दाख और दूसरा है कच्छ।
लद्दाख में एक विशिष्ट फल होता है जिसका नाम चूली या एप्रिकोट यानी खुबानी। दूसरी ओर कच्छ में किसान ड्रैगन फ्रूट्स की खेती के लिए सराहनीय प्रयास कर रहे हैं। आज कई किसान इस कार्य में जुटे हैं। फल की गुणवत्ता और कम जमीन में ज्यादा उत्पाद को लेकर काफी इनोवेशन किए जा रहे हैं।
एक तरफ हमें कोरोना के खिलाफ लड़ाई को पूरी सजगता और सतर्कता के साथ लड़ना है तो दूसरी ओर कठोर मेहनत से व्यवसाय, नौकरी, पढ़ाई जो भी कर्तव्य हम निभाते हैं, उसमें गति लानी है
उसको नई ऊंचाई पर ले जाना है। साथियों कोरोना काल में तो हमारे ग्रामीण क्षेत्रों ने पूरे देश को दिशा दिखाई है। गांवो से स्थानीय नागरिकों और ग्राम पंचायतों के अनेक अच्छे प्रयास लगातार सामने आ रहे हैं। कोरोना अभी भी उतना ही घातक है जितना पहले था।
इस बार 15 अगस्त भी अलग परिस्थितियों में होगा। कोरोना महामारी की आपदा के बीच होगा। हमारा देश आज जिस ऊंचाई पर है, वो कई ऐसी महान विभूतियों की तपस्या की वजह से है
जिन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया, उन्हीं महान विभूतियों में से एक हैं ‘लोकमान्य तिलक’। अगली बार जब हम मिलेंगें तो, फिर ढ़ेर सारी बातें करेंगे, मिलकर कुछ नया सीखेंगे और सबके साथ साझा करेंगें।