Jagadguru Mauli Sarkar को Ayodhya जाने पर मिली जान से मारने की धमकी
चक्र तीर्थधाम निमाड़ मठ के पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानंदचार्य राज राजेश्वराचार्य ( Jagadguru Mauli Sarkar) को Ayodhya जाने पर जान से मारने की धमकी मिली है, बावजूद इसके वह अयोध्या के लिए कूंच करेंगे. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल होने देश भर से चुनिंदा संत महात्माओं सहित अलग-अलग वर्ग के लगभग 7000 लोगों को आमंत्रित किया गया है.
Jagadguru Mauli Sarkar ने कहा कि उनके महाराष्ट्र स्थित रुक्मिणी विदर्भ पीठ आश्रम में अज्ञात व्यक्ति ने चिट्ठी भेजकर जान से मारने की धमकी दी है. लेकिन वह रामकाज करने से पीछे नहीं हटेंगे. उन्होंने कहा की ईश्वर ने उन्हें धर्म पथ के कार्यों के लिए चुना है. ऐसे कार्यों में अनेक चुनौतियां आती हैं और वह बिलकुल नहीं डरते. कहा, मैं अयोध्या जाऊंगा, भले ही मेरी जान क्यों न चली जाए.
विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल के पदाधिकारी मनोज वर्मा एवं जितेंद्र राठौड़ ने बताया कि खरगोन से करीब 12 संतों को आमंत्रण मिला. सभी का रजिस्ट्रेशन हो चुका है. वहीं संतों का कहना है कि भगवान के धाम में जानें का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है. 22 जनवरी को कार्यक्रम में शामिल होंगे और 23 को वापस लौटेंगे.
Ayodhya जाने वालो में माउली सरकार, नित्यानंद आश्रम के संत नार्मदनंद बापजी, तेली भत्यान के संत सियाराम बाबा, कल्याण आश्रम के पूज्य मनोहर महाराज, पूज्य दादू जी महाराज, भावार्थ श्री राम कथा वाचक संत मोहनजी, श्रीराम धाम परमार्थ आश्रम गुलावड़ के संत विजय रामदास महाराज, सुंदरधाम आश्रम के श्री श्री 1008 बालकदास महाराज, महंत ह्रदयगिरि महाराज, दगड़ू आश्रम के पूज्य गोपाल चैतन्य जी बापू शामिल हैं. इनके अलावा बंजारी बालाजी मंदिर मंदसौर के महंत श्री श्री 108 अंतरराष्ट्रीय महंत महावीर दास महाराज जिनकी कर्मभूमि महेश्वर है, वह भी महेश्वर से ही अयोध्या के लिए रवाना होंगे.
भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण पर्व, Ayodhya राम मंदिर का निर्माण, ने देशवासियों को एक साथ ले कर आने का कारण बना है। इस मंदिर के निर्माण के पीछे छुपा हुआ हर कदम, हर पहलू, एक नए युग की शुरुआत को दर्शाता है। यहां हम इस अद्भुत सागा को और भी सुंदरता के साथ समझने का प्रयास करेंगे।
Ayodhya और राम मंदिर:
अयोध्या, भारतीय संस्कृति का एक प्राचीन नगर, हिन्दू धर्म के अद्वितीयता और समर्पण के स्थान के रूप में विख्यात है। यहां स्थित राम जन्मभूमि के चलते, अयोध्या को भगवान राम के पुनर्निर्माण के लिए सार्थक बनाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए भूमि पूजन समारंभ हुआ जो 2020 में बड़े धूमधाम से मनाया गया।
लोगों का अनुराग:
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए जुटे लोगों का अनुराग अद्वितीय है। यह निर्माण न केवल एक भव्य स्थल की स्थापना है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उद्देश्य की प्राप्ति का साक्षात्कार भी है। लाखों लोग दिन-रात मेहनत और समर्पण से इस कार्य में योगदान कर रहे हैं। उन्होंने इसे अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य माना है और समर्पित भाव से इसे पूरा करने का संकल्प किया है।
Ayodhya बलिदान की भूमि:
राम मंदिर के निर्माण में शामिल होने वाले लोगों ने समर्पण और बलिदान की भूमि बना दी है। कई योद्धाओं ने अपने जीवन का सब कुछ इस महत्वपूर्ण कार्य में लगा दिया है। उन्होंने समझाया है कि इस मंदिर का निर्माण एक सांस्कृतिक पुनर्निर्माण का प्रतीक है, जिससे देश को एक नया उत्थान मिलेगा। उनका संघर्ष, उनकी उद्दीपना और उनकी आत्मसमर्पण भरी कहानी इस अद्भुत यात्रा का हिस्सा बन गई है।
Ayodhya राम मंदिर की निर्माण यात्रा ने एक नए युग की शुरुआत की है, जिसमें सांस्कृतिक और धार्मिक एकता का संदेश है। यह न केवल एक स्थल का निर्माण है, बल्कि यह एक बड़ी भूमि का उत्थान है, जो लोगों को एक साथ ले कर आएगा। इस अद्वितीय कार्य में योगदान करने वाले लोगों का समर्थन, उनकी बलिदानी भूमि का आभास हमें यह सिखाता है कि एक साथ होकर ही हम देश को और भी महत्वपूर्णीयता प्रदान कर सकते हैं। यह निर्माण न केवल एक मंदिर का है, बल्कि यह एक नए भारत की शुरुआत का एक महत्वपूर्ण कड़ी भी है।