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Justice BR Gavai बनेंगे भारत के अगले CJI! अनुसूचित जाति से दूसरे मुख्य न्यायाधीश, जानें उनके करियर की खास बातें

भारत की न्यायपालिका में एक नया इतिहास रचने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस Justice Bhushan Ramkrishna Gavai  (Justice BR Gavai) देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनाए जाएंगे। मौजूदा चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने 16 अप्रैल 2025 को केंद्रीय कानून मंत्रालय को अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस गवई के नाम की सिफारिश की है। 14 मई 2025 को जस्टिस गवई नए CJI के रूप में शपथ लेंगे, जबकि CJI संजीव खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त हो जाएंगे।

अनुसूचित जाति से दूसरे मुख्य न्यायाधीश, छोटा होगा कार्यकाल

जस्टिस बीआर गवई अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले दूसरे मुख्य न्यायाधीश होंगे। इससे पहले, जस्टिस केजी बालाकृष्णन (2007-2010) ने यह गौरव हासिल किया था। हालांकि, जस्टिस गवई का कार्यकाल केवल 6 महीने का होगा, क्योंकि वह नवंबर 2025 में रिटायर हो जाएंगे। फिर भी, यह नियुक्ति सामाजिक न्याय और विविधता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

अमरावती से सुप्रीम कोर्ट तक: जस्टिस गवई का प्रेरणादायक सफर

जस्टिस बीआर गवई का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ था। उन्होंने 1985 में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की और बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व एडवोकेट जनरल तथा न्यायाधीश बैरिस्टर राजा भोंसले के साथ काम किया। उनकी कानूनी समझ और निष्पक्षता ने उन्हें न्यायिक क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम बना दिया।

2003 में वे बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश बने और 2019 में सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत हुए। सर्वोच्च न्यायालय में उन्होंने कई संवेदनशील और ऐतिहासिक मामलों की सुनवाई की, जिसमें संवैधानिक मुद्दे, नागरिक अधिकार और सामाजिक न्याय से जुड़े केस शामिल हैं।

न्यायिक फैसलों में उनकी भूमिका

जस्टिस गवई ने कई महत्वपूर्ण मामलों में अहम फैसले दिए हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • आरक्षण और सामाजिक न्याय से जुड़े मामलों में उनकी स्पष्ट राय रही है।
  • महिला अधिकार और लैंगिक समानता के मुद्दों पर उन्होंने प्रगतिशील निर्णय दिए।
  • भ्रष्टाचार और सार्वजनिक जवाबदेही से संबंधित मामलों में उनकी सख्त स्टैंड देखी गई।

क्या होगा उनके छोटे कार्यकाल का प्रभाव?

चूंकि जस्टिस गवई का कार्यकाल केवल 6 महीने का होगा, इसलिए उनके सामने कई चुनौतियाँ होंगी। CJI के रूप में उन्हें न्यायपालिका की स्वतंत्रता, लंबित मामलों की सुनवाई और न्यायिक सुधारों पर ध्यान देना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी नियुक्ति से दलित समुदाय को प्रतिनिधित्व मिलेगा, जो भारतीय न्याय प्रणाली में एक सकारात्मक संदेश देगा।

 एक नए युग की शुरुआत?

जस्टिस बीआर गवई की नियुक्ति न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र में विविधता और समावेश का प्रतीक भी है। उनका नेतृत्व न्यायपालिका में नए मानक स्थापित कर सकता है। अब सवाल यह है कि क्या वे अपने छोटे कार्यकाल में कोई बड़ा बदलाव ला पाएंगे? पूरा देश उनके नेतृत्व की प्रतीक्षा कर रहा है।


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