Delhi के स्कूलों में मनमानी फीस बढ़ोतरी पर भड़की सरकार: 600 स्कूलों पर छापेमारी, 10 से ज्यादा को नोटिस!
Delhi में इन दिनों शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ा हड़कंप मचा हुआ है। राजधानी में चल रहे कई निजी स्कूलों पर फीस में मनमानी बढ़ोतरी का गंभीर आरोप लगा है। अभिभावकों की लगातार बढ़ती शिकायतों ने सरकार को नींद से जगाया और अब कार्रवाई की आंधी आ गई है। शिक्षा निदेशालय ने बीते बुधवार को 600 से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों का औचक निरीक्षण किया और शुरुआती जांच में ही 10 से ज्यादा स्कूलों को कारण बताओ नोटिस थमा दिया गया है।
ये मामला अब सिर्फ फीस बढ़ोतरी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब इसमें मुनाफाखोरी, अभिभावकों के आर्थिक शोषण और प्रशासनिक लापरवाही जैसे गंभीर मुद्दे भी जुड़ते जा रहे हैं।
📌 किस तरह की गई कार्रवाई?
दिल्ली शिक्षा निदेशालय (DoE) ने हाल ही में एक सख्त आदेश जारी किया था, जिसमें जिला स्तर पर विशेष जांच समितियों का गठन किया गया है। इन समितियों की कमान एसडीएम (उप-जिला मजिस्ट्रेट) के हाथ में है, जबकि उनके साथ शिक्षा उपनिदेशक, लेखा अधिकारी, और सरकारी स्कूलों के अनुभवी प्रधानाचार्य को भी टीम में शामिल किया गया है।
इन जांच समितियों को विशेष निर्देश दिए गए हैं कि वे उन सभी निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों का निरीक्षण करें, जिनके खिलाफ फीस संबंधी अत्यधिक या मनमाने ढंग से वृद्धि की शिकायतें आई हैं।
📣 स्कूलों को थमाए गए नोटिस
अब तक 600 से अधिक स्कूलों की जांच पूरी हो चुकी है और प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार, 10 से अधिक स्कूलों को डीएसईएआर 1973 की धारा 24(3) के तहत कारण बताओ नोटिस भेजा गया है।
डीएसईएआर (दिल्ली विद्यालय शिक्षा अधिनियम और नियम) के तहत स्कूलों को फीस में मनमानी बढ़ोतरी करने का कोई अधिकार नहीं है। फिर भी कई स्कूल इस नियम की धज्जियां उड़ाते पाए गए हैं। शिक्षा निदेशालय ने साफ कर दिया है कि यदि स्कूल अपनी सफाई से संतुष्ट नहीं कर पाए, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें मान्यता रद्द करना और स्कूल प्रबंधन को सरकारी नियंत्रण में लेना भी शामिल है।
📽️ वायरल वीडियो और मुख्यमंत्री की सख्त चेतावनी
इस पूरे मामले ने तब और तूल पकड़ लिया जब दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में वह कुछ अभिभावकों से मिलती नजर आ रही हैं, जिन्होंने उन्हें फीस बढ़ोतरी की शिकायत दी थी। सीएम रेखा गुप्ता ने वहीं तत्काल संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि स्कूल की गहन जांच की जाए और दोषियों पर कार्रवाई हो।
मुख्यमंत्री ने कहा था—
“शिक्षा व्यापार नहीं है। कोई भी स्कूल बच्चों की शिक्षा के नाम पर अभिभावकों की जेब पर डाका नहीं डाल सकता। हमने स्पष्ट किया है कि ऐसी हर शिकायत पर त्वरित कार्रवाई होगी।”
📢 कई स्कूलों पर पहले भी लगे हैं आरोप
दिल्ली के कुछ प्रतिष्ठित स्कूलों के नाम पहले भी फीस घोटालों में सामने आ चुके हैं। कभी एडमिशन फीस, तो कभी वार्षिक शुल्क के नाम पर लाखों की वसूली का मामला उठ चुका है।
कुछ स्कूलों ने तो कोविड काल के बाद स्कूल खुलते ही अचानक फीस बढ़ाकर 20% से 40% तक कर दी, जबकि सरकार ने साफ कहा था कि आर्थिक संकट के इस दौर में कोई भी निजी स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकता। इसके बावजूद कई स्कूलों ने ना केवल आदेश की अवहेलना की, बल्कि दबाव बनाकर अभिभावकों से जबरन पैसे वसूले।
📊 अभिभावकों की क्या हैं शिकायतें?
दिल्ली अभिभावक संघ के अध्यक्ष ने बताया—
“हमारे पास 200 से ज्यादा शिकायतें आई हैं, जिनमें माता-पिता ने बताया कि स्कूलों ने बिना किसी कारण के फीस बढ़ाई, और विरोध करने पर बच्चों को मानसिक रूप से परेशान किया गया। कई मामलों में स्कूलों ने एडमिशन रद्द करने की धमकी तक दी।”
कुछ माता-पिता ने बताया कि फीस की बढ़ोतरी के अलावा अनिवार्य किताबें, यूनिफॉर्म, स्मार्ट क्लास फीस, कंप्यूटर फीस जैसे मदों में भी मोटी रकम वसूली गई। ये सब कुछ सिर्फ स्कूल कैंपस की चारदीवारी में होता रहा और प्रशासन तक पहुंचने में समय लग गया।
🔍 क्या कहते हैं शिक्षा विशेषज्ञ?
शिक्षा मामलों के जानकार प्रो. अरुण कुमार कहते हैं—
“निजीकरण के इस दौर में स्कूलों का व्यापारीकरण खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है। सरकार को स्कूलों की ऑडिटिंग हर साल करनी चाहिए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। वरना ये अभिभावकों पर सिर्फ आर्थिक नहीं, मानसिक दबाव भी बनाता है।”
📢 क्या हो सकती है अगली कार्रवाई?
दिल्ली शिक्षा विभाग ने संकेत दिए हैं कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो कुछ स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी जाएगी। इसके अलावा, फीस संरचना की समीक्षा के लिए एक केंद्रीय कमेटी का भी गठन किया जा सकता है, जो हर स्कूल की सालाना रिपोर्ट कार्ड तैयार करेगी।
🧒 शिक्षा या शोषण? अब उठेंगे बड़े सवाल
इस पूरे मामले ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है—क्या शिक्षा अब केवल अमीरों की पहुंच में रह गई है? क्या सरकार समय रहते इस पर कठोर कानून नहीं बनाएगी? क्या स्कूलों को RTI के दायरे में लाकर उनकी जवाबदेही तय नहीं की जाएगी?
बढ़ती महंगाई और आर्थिक असमानता के इस दौर में यदि शिक्षा भी मुनाफे की वस्तु बन जाए, तो देश का भविष्य अंधकार में चला जाएगा।
📍 दिल्ली सरकार का यह कदम न केवल साहसी है बल्कि समय की जरूरत भी है। आने वाले दिनों में ये देखना दिलचस्प होगा कि इस कार्रवाई का क्या असर पड़ता है और क्या वाकई निजी स्कूल अपनी मनमानी छोड़ने को मजबूर होंगे या फिर यह सिर्फ एक ‘तूफान के बाद सन्नाटा’ बनकर रह जाएगा।
चलिए देखते हैं कि ये कार्रवाई एक शुरुआत है या सिर्फ एक दिखावा। लेकिन फिलहाल, दिल्ली के स्कूलों में मचा है खलबली और अभिभावकों को उम्मीद की किरण दिखाई देने लगी है।