उत्तर प्रदेश

Kashi: मदनपुरा के ‘सिद्धेश्वर महादेव मंदिर’ का दरवाजा खुला, शिवलिंग के दर्शन के साथ जयघोष से गूंजा इलाका

Kashi वाराणसी के प्रसिद्ध मदनपुरा इलाके में एक रहस्यमय ताले में बंद ‘सिद्धेश्वर महादेव मंदिर’ का दरवाजा आखिरकार प्रशासन के प्रयासों से खुल गया। बुधवार को प्रशासन की टीम, भारी पुलिस बल और पीएसी के बीच, ताले को तोड़कर मंदिर में प्रवेश कर सफाई अभियान शुरू किया। जैसे ही महादेव का शिवलिंग सामने आया, पूरे क्षेत्र में “हर हर महादेव” के जयघोष गूंज उठे।

मंदिर का यह मामला हाल ही में क्षेत्रीय और धार्मिक संगठनों के बीच चर्चा का विषय बना था। स्थानीय निवासियों के साथ-साथ हिंदूवादी संगठनों ने भी इस मंदिर के पुनरुद्धार की मांग की थी।


मंदिर का ऐतिहासिक महत्व और विवाद

सिद्धेश्वर महादेव का यह मंदिर मदनपुरा के मुस्लिम-बहुल क्षेत्र में स्थित है। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, यह मंदिर एक सार्वजनिक स्थल पर स्थित है। इस मंदिर के सामने स्थित घर, जो पहले राजा महेंद्र रंजन रॉय के नाम पर था, 1932 में ताज मोहम्मद को बेचा गया था। लेकिन रजिस्ट्री में कहीं भी मंदिर का उल्लेख नहीं था।

सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने कहा, “मंदिर सार्वजनिक संपत्ति है और इस पर किसी का व्यक्तिगत दावा नहीं हो सकता। सरकारी जांच में यह स्पष्ट हो चुका है कि यह मंदिर निजी संपत्ति नहीं है। इसी के आधार पर प्रशासन ने मंदिर का ताला तोड़ा।”


मंदिर का खुलना और धार्मिक उत्साह

जैसे ही मंदिर का दरवाजा खुला, स्थानीय हिंदू समुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई। विश्व हिंदू सेना के चीफ अरुण पाठक ने कहा, “हमने यहां पूजा-पाठ शुरू करने के लिए पुरोहित नियुक्त करने का निर्णय लिया है। जल्द ही यह मंदिर नियमित पूजा के लिए खोल दिया जाएगा।”

नगर निगम की टीम ने मंदिर परिसर से मलवा साफ करने का कार्य शुरू कर दिया है। मंदिर की सफाई के बाद विधिवत पूजा की योजना बनाई जा रही है।


इलाके में प्रशासनिक सतर्कता

इस संवेदनशील मामले को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। मंदिर के पास पुलिस बल और पीएसी की तैनाती की गई है। प्रशासन ने किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए इलाके में सतर्कता बनाए रखी है।


धार्मिक और सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल

इस घटना ने धार्मिक समुदायों के बीच नए संवाद की शुरुआत की है। हालांकि मंदिर एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र में है, लेकिन स्थानीय निवासियों ने इस प्रक्रिया में कोई विरोध नहीं जताया। इससे यह संकेत मिलता है कि वाराणसी का गंगा-जमुनी तहज़ीब का स्वरूप आज भी जीवित है।


आगे की योजना

मंदिर में पूजा शुरू करने के लिए प्रशासन और धार्मिक संगठनों के बीच समन्वय की प्रक्रिया जारी है। इससे न केवल धार्मिक गतिविधियों को बल मिलेगा, बल्कि यह स्थान धार्मिक पर्यटन का भी केंद्र बन सकता है।

अंतिम विचार

वाराणसी के मदनपुरा में सिद्धेश्वर महादेव मंदिर का दरवाजा खुलना केवल एक मंदिर का पुनरुद्धार नहीं है, बल्कि यह धार्मिक और सामाजिक एकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रशासन और स्थानीय समुदाय के बीच बेहतर तालमेल से यह घटना एक प्रेरणादायक मिसाल पेश करती है।

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