बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से किचन गार्डन कार्यक्रम का आयोजन
मुजफ्फरनगर,। राष्ट्रीय पोषण माह के तहत बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से किचन गार्डन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान मेघाखेड़ी में लोगों को घरों में किचन गार्डन बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। कुछ स्थानों पर जिला कार्यक्रम अधिकारी वाणी वर्मा ने पौधरोपण भी कराया।
उन्होंने लोगों का आह्वान किया वह उपलब्ध जगह पर किचन गार्डन विकसित करें और जिनके पास जगह का अभाव है वह गमलों, टूटे बर्तनों,पुराने कंटेनर, बोरों में मिट्टी डालकर धनिया पालक, टमाटर बैंगन व मूली आदि उगा सकते हैं।
इससे यह सब्जियां केमिकल व कीटनाशकों से मुक्त रहेंगी और घर में ही पौष्टिक सब्जियां प्राप्त होंगी। इससे बच्चों एवं माताओं का पोषण स्तर भी सुधरेगा, जो कुपोषण दूर करने में महत्वपूर्ण घटक साबित होगा।
इस अवसर पर उन्होंने बच्चों के शुरुआती १००० दिन के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों और उनकी देखभाल के बारे में बताया। उन्होंने कहा शुरुआती १००० दिन बच्चों के जीवन की नींव होते हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया बच्चों के जीवन के शुरुआती १००० दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। इन १००० दिनों को इस प्रकार से बांटते हैं, जिनमें गर्भकाल के दिन २७०, बच्चे के जन्म के बाद के ७३० दिन। इस दौरान बच्चे का तेजी से शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए दैनिक आहार में संतुलित पौष्टिक तत्व होना अत्यन्त महत्पूर्ण है।
फल एवं सब्जियों का इसी संतुलन को बनाये रखने में महत्वपूर्ण योगदान होता है, क्योंकि यह विटामिन, खनिज लवण तथा कार्बाहाइड्रेट के अच्छे स्रोत होते हैं। इस दौरान बेहतर स्वास्थ, पर्याप्त पोषण, प्यार भरा व तनावमुक्त माहौल और सही देखभाल बच्चों के पूर्ण विकास में सहयोगी होता है।
ऐसे परिवार जो गरीब हैं और आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उनके बच्चों, किशोरियों व महिलाओं के लिए सस्ता एवं पूर्ण पोषण प्राप्त करने में किचन गार्डन का उपयोग महत्वपूर्ण साबित होगा। लोगों को अपने घर के आस-पास हरी साग-सब्जी, गाजर, मूली, लक, गोभी, बैगन, अमरूद, नींबू, केला, आम इत्यादि के पौधे लगाने चाहिए।
इससे मौसम के अनुरूप सस्ता, शुद्ध और पूर्ण पोषण उपलब्ध होगा।उन्होंने बताया कि अदरक, हल्दी, सहजन, बेल, आंवला, नीम, तुलसी, पुदीना आदि भोजन में शामिल करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
इससे विभिन्न बीमारियां तथा संक्रमण से बचाव होता है। सितंबर माह शाक-सब्जियों एवं फलों के रोपण का उचित समय है। न्यूट्री गार्डन के लिए सरकारी स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों, ग्राम पंचायत की भूमि को प्राथमिकता दी गई है। कार्यक्रम में समस्त आगंनबाड़ी कार्यकर्ता मौजूद रहीं।