Russia-North Korea Alliance पर बड़ा खुलासा: कुर्स्क में घायल उत्तर कोरियाई सैनिकों की गिरफ्तारी से पुतिन को झटका
कीव, यूक्रेन: रूस और यूक्रेन के बीच जारी लंबे युद्ध में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने शनिवार को पुष्टि की कि उनके सैनिकों ने पहली बार कुर्स्क क्षेत्र में दो उत्तर कोरियाई सैनिकों को जिंदा पकड़ लिया है। यह खुलासा रूस और उत्तर कोरिया के बीच गहरे सैन्य गठजोड़ (Russia-North Korea Alliance) को उजागर करता है, जिसे अब तक छुपाने की कोशिश की जाती रही है।
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर बताया, “हमारे सैनिकों ने कुर्स्क क्षेत्र में उत्तर कोरियाई सैन्यकर्मियों को पकड़ा है। ये सैनिक घायल थे, लेकिन जीवित हैं। उन्हें कीव लाया गया है, जहां वे यूक्रेन की सुरक्षा सेवा (SBU) के साथ पूछताछ में सहयोग कर रहे हैं।”
जेलेंस्की ने बयान के साथ इन घायल सैनिकों की तस्वीरें भी साझा कीं। इन तस्वीरों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है और रूस-उत्तर कोरिया के गुप्त सैन्य समझौते पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
11,000 उत्तर कोरियाई सैनिक कुर्स्क क्षेत्र में तैनात?
यूक्रेन और पश्चिमी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि रूस ने कुर्स्क क्षेत्र में लगभग 11,000 उत्तर कोरियाई सैनिकों को तैनात किया है। यह क्षेत्र युद्ध का प्रमुख मोर्चा बना हुआ है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि कुर्स्क में दिसंबर के अंतिम सप्ताह में 1,000 से अधिक उत्तर कोरियाई सैनिक मारे गए या घायल हुए।
यह पहली बार है जब यूक्रेन ने इस गठजोड़ के ठोस सबूत पेश किए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर कोरियाई सैनिकों की उपस्थिति रूस की सैन्य क्षमता को बढ़ाने के लिए की गई रणनीति का हिस्सा है।
घायल सैनिकों को मारने की क्रूर रणनीति
जेलेंस्की ने बताया कि उत्तर कोरियाई सैनिकों को पकड़ना आसान नहीं था। उन्होंने कहा, “रूसी और उत्तर कोरियाई सैनिक अपने घायल साथियों को मार देते हैं, ताकि उनकी भागीदारी के सबूत मिटाए जा सकें।”
यह रणनीति उत्तर कोरिया के अंतरराष्ट्रीय छवि को बचाने के प्रयास का हिस्सा मानी जा रही है। लेकिन इस बार, यूक्रेन ने दो सैनिकों को जिंदा पकड़कर इन प्रयासों पर पानी फेर दिया है।
कैसे सामने आई यह साजिश?
कुर्स्क क्षेत्र में लगातार हो रहे संघर्ष के बीच, यूक्रेन ने अपनी खुफिया रणनीतियों को मजबूत किया। अमेरिकी और पश्चिमी सहयोगियों से मिले समर्थन ने यूक्रेनी सेना को सक्षम बनाया कि वे इस साजिश को उजागर कर सकें।
जेलेंस्की के मुताबिक, पकड़े गए सैनिकों से पूछताछ के दौरान यह स्पष्ट हुआ है कि रूस ने उत्तर कोरिया के साथ सैन्य गठजोड़ कर लिया है। इसका उद्देश्य रूस की सैन्य क्षमताओं को मजबूत करना और यूक्रेन पर दबाव बढ़ाना है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और नतीजे
इस घटना के बाद अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया तेज हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस घटना को “रूस की हताशा का प्रमाण” बताया है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने इसे गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन के रूप में देखा है।
उत्तर कोरिया की भागीदारी पर सवाल खड़े करते हुए ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा, “उत्तर कोरिया का इस तरह से रूस का समर्थन करना, अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरनाक है।”
रूस और उत्तर कोरिया के बीच सैन्य गठजोड़ के संकेत
पिछले कुछ महीनों में रूस और उत्तर कोरिया के संबंधों में तेजी से नजदीकियां बढ़ी हैं। अक्टूबर 2023 में उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई मुलाकात ने इन संबंधों को और मजबूत किया।
विशेषज्ञों का कहना है कि रूस, पश्चिमी देशों के लगाए गए प्रतिबंधों से उबरने के लिए उत्तर कोरिया से हथियार और सैन्य मदद ले रहा है। बदले में, रूस उत्तर कोरिया को तकनीकी सहायता और ऊर्जा आपूर्ति प्रदान कर रहा है।
क्या यह रूस की कमजोरी का संकेत है?
विश्लेषकों का मानना है कि रूस का उत्तर कोरिया से मदद लेना उसकी सैन्य कमजोरी को दर्शाता है। यूक्रेन के खिलाफ जंग में रूस ने अपनी सेना का बड़ा हिस्सा खो दिया है। ऐसे में उत्तर कोरिया जैसे देशों से मदद लेना उसकी असमर्थता का संकेत हो सकता है।
आगे क्या?
इस खुलासे ने रूस और उत्तर कोरिया दोनों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कठघरे में खड़ा कर दिया है। यह देखना होगा कि यूक्रेन की सुरक्षा सेवा (SBU) पकड़े गए सैनिकों से और क्या जानकारी हासिल करती है।
इस घटनाक्रम ने रूस-उत्तर कोरिया गठजोड़ की सच्चाई को दुनिया के सामने ला दिया है और अब वैश्विक समुदाय के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह इस पर कड़ी कार्रवाई करे।
रूस और उत्तर कोरिया के बीच इस गुप्त सैन्य साझेदारी का खुलासा यूक्रेन की एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि रूस अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है, यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानवाधिकारों को ताक पर रखकर।