Ukraine ने रूस पर किया परमाणु युद्ध की धमकी देने वाले ATACMS मिसाइल से हमला, दुनिया में बढ़ा तनाव
कीव। रूस और Ukraine के बीच चल रहे संघर्ष में एक और बड़ा मोड़ आया है। मंगलवार को, यूक्रेन ने रूस पर उस मिसाइल से हमला किया, जिसकी चर्चा पिछले कुछ दिनों से हो रही थी। यह वही मिसाइल है, जिसके बारे में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहले ही परमाणु युद्ध की चेतावनी दे चुके थे। अब यह हमला एक गंभीर संकट का रूप लेता जा रहा है, जो न केवल यूक्रेन और रूस के रिश्तों को, बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है।
रिपोर्टों के अनुसार, यूक्रेनी सेना ने पश्चिमी ब्रायंस्क क्षेत्र में एक रूसी सैन्य सुविधा को निशाना बनाने के लिए “आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम” (ATACMS) का इस्तेमाल किया। यह वही मिसाइल प्रणाली है, जिसका उपयोग करने की मंजूरी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन को हाल ही में दी थी। यह हमला, बाइडन प्रशासन की ओर से यूक्रेन को सीमित रूप से इन मिसाइलों का उपयोग करने की हरी झंडी दिए जाने के बाद पहला बड़ा हमला था।
रूस के रक्षा मंत्रालय ने इस हमले की पुष्टि की है। इंटरफैक्स समाचार एजेंसी के मुताबिक, रूस ने यह भी दावा किया कि उनकी सेना ने पांच मिसाइलों को नष्ट कर दिया, और इसमें किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ। हालांकि, इस हमले में यूक्रेन द्वारा इस्तेमाल की गई मिसाइलों के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है। यूक्रेन के जनरल स्टाफ ने भी इस हमले की पुष्टि की, जिसमें रूस के कराचेव शहर में एक गोदाम में विस्फोट हुआ था, जिससे वहां रखे गोला-बारूद में भी धमाके हुए। यह गोदाम यूक्रेनी सीमा से लगभग 115 किलोमीटर दूर था।
ATACMS मिसाइल की रेंज 300 किलोमीटर (186 मील) तक होती है, जिससे यह रूस के अंदर गहरे तक पहुंचने में सक्षम होती है। यह मिसाइल प्रणाली यूक्रेन को रूस के भीतर अपने टारगेट पर हमले करने की ताकत देती है, जो इस संघर्ष को एक नई दिशा में मोड़ सकता है। रूस के लिए यह एक गंभीर खतरे की तरह है, खासकर तब, जब पहले ही रूसी राष्ट्रपति पुतिन इस मिसाइल के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी दे चुके थे। पुतिन ने 12 सितंबर को कहा था कि अगर यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ लंबी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल किया, तो यह एक बड़ा कदम होगा, जिसका परिणाम परमाणु युद्ध तक जा सकता है। उनका कहना था कि इस कदम से यूक्रेन युद्ध में अमेरिका और नाटो देशों की सीधी भागीदारी की स्थिति पैदा हो सकती है।
अमेरिकी सरकार का समर्थन
यह हमला उस समय हुआ है जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक दिन पहले ही यूक्रेन को रूस पर हमले के लिए लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। अमेरिका की ओर से यह कदम रूस द्वारा उत्तर कोरिया के सैनिकों को तैनात करने और उनके जरिए यूक्रेनी सेना पर हमले की कथित योजना के खिलाफ उठाया गया था। सोल और वॉशिंगटन दोनों ही इस बात का दावा कर रहे हैं कि रूस के पश्चिमी कुर्स्क क्षेत्र में तैनात उत्तर कोरियाई सैनिकों ने अब यूक्रेनी सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसके बाद बाइडन प्रशासन ने यह फैसला लिया, ताकि यूक्रेन को अपनी रक्षा में और ज्यादा शक्ति मिल सके।
अमेरिका का यह फैसला एक ऐसे समय में आया है, जब रूस और नाटो के बीच तनाव अपने चरम पर है। यूक्रेन पर हमले की ये मिसाइलें सीधे तौर पर रूस को चुनौती दे रही हैं और युद्ध की दिशा को और अधिक जटिल बना रही हैं। वहीं, बाइडन प्रशासन का यह कदम यूक्रेन को एक मजबूत सैन्य सहायता के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही यह कदम वैश्विक युद्ध के खतरे को भी बढ़ा सकता है। रूस की तरफ से इस पर कड़ी प्रतिक्रिया आ सकती है, जो दुनिया को एक और गंभीर युद्ध के कगार पर ला सकता है।
रूस का खतरा और परमाणु विकल्प
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने पहले ही यह बयान दिया था कि अगर पश्चिमी देश और यूक्रेन रूस के खिलाफ ATACMS जैसी मिसाइलों का इस्तेमाल करते हैं, तो रूस को अपनी रक्षा के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने का अधिकार होगा। उन्होंने चेतावनी दी थी कि इस युद्ध के दौरान रूस को अपनी सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाने का अधिकार है, जिसमें परमाणु हमलों का भी विकल्प हो सकता है। पुतिन ने कहा था, “यह कोई सामान्य युद्ध नहीं है। यह रूस के अस्तित्व का सवाल है। अगर हमारी सुरक्षा खतरे में पड़ती है, तो हम किसी भी तरह का कदम उठा सकते हैं।”
रूस की यह चेतावनी दुनिया भर में एक बड़ा डर पैदा कर रही है। यदि रूस अपनी धमकियों को सच साबित करता है, तो यह परमाणु युद्ध का कारण बन सकता है, जो न केवल यूक्रेन और रूस के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी हो सकता है। वैश्विक राजनीति में रूस की इस तरह की प्रतिक्रिया के बाद, यह स्पष्ट है कि रूस इस युद्ध को हर हाल में जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ने वाला है।
अमेरिका का चुनावी संदर्भ
जो बाइडन का यह कदम एक ऐसे समय में लिया गया है, जब वे जनवरी 2025 में व्हाइट हाउस छोड़ने वाले हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चर्चाएं तेज हैं और यह सवाल उठ रहा है कि क्या बाइडन का यह कदम उनके राष्ट्रपति कार्यकाल का अहम हिस्सा बनेगा। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप, जो अगले चुनाव में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए मैदान में हैं, उन्होंने यूक्रेन युद्ध में अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। ट्रंप का कहना है कि अमेरिका को यूक्रेन के संघर्ष में अपनी भूमिका को सीमित करना चाहिए और युद्ध को जल्दी खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए। यह संभावना भी है कि अगर ट्रंप राष्ट्रपति बनते हैं, तो वे इस निर्णय को बदल सकते हैं, क्योंकि वे पहले ही इस युद्ध के लिए अमेरिकी मदद की आलोचना कर चुके हैं।
रूस और यूक्रेन का भविष्य
रूस और Ukraineके बीच इस समय जो संघर्ष चल रहा है, वह सिर्फ दो देशों के बीच नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर संकट बन चुका है। पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन को दी जा रही सैन्य मदद और रूस द्वारा परमाणु हमले की धमकियां, युद्ध को और भी जटिल बना रही हैं। दुनिया भर में इसके परिणामस्वरूप वैश्विक मंदी, ऊर्जा संकट, और कई अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
यूक्रेन का यह कदम रूस के लिए एक चेतावनी है, लेकिन क्या रूस अपनी धमकियों को अमल में लाएगा? क्या दुनिया एक और परमाणु युद्ध का सामना करने के लिए तैयार है? इन सवालों का जवाब आने वाला समय ही देगा।