मुरादनगर श्मशान हादसा: निर्माण के लिए केवल 3 टेंडर डले, घटिया निर्माण के खिलाफ शिकायत पर भी अफसरों ने ध्यान नहीं दिया
दिल्ली से सटे गाजियाबाद के मुरादनगर में 3 जनवरी को श्मशान घाट का लैंटर गिरने से 25 लोगों की मौत हो गई थी। श्मशान में लगी भगवान शिव की मूर्ति को देखने से ऐसा लगता है जैसे वह उसी मलबे को निहार रही है, जिसने कई परिवारों को उजाड़ दिया।
ये मलबा उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार का ऐसा स्मारक बन गया है जिसे ना कोई देखना चाहता है और न इसके बारे में बात करना चाहता है। ठेकेदार और कुछ अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद सरकारी अमले में शांति है और हर सवाल का यही जवाब है कि इस मामले में SIT की जांच जारी है।
लैंटर बनने के दौरान ही की गई थी शिकायत
मुरादनगर नगर पालिका के मनोनीत सदस्य महंत विजयपाल हितकारी कहते हैं कि उन्होंने अक्टूबर में इस बात की शिकायत की थी कि श्मशान घाट के लैंटर को बनाने में घटिया सामान का इस्तेमाल किया जा रहा है।
वे बताते हैं, ‘जब निर्माण चल रहा था तो मैं श्मशान घाट गया था। वहां कच्ची पीली ईंटें पड़ी हुई थीं। मसाले में दस परात रेत में एक परात सीमेंट मिलाया जा रहा था। मैंने तुरंत जिला प्रशासन को इसकी जानकारी दी थी। नगर पालिका में भी इसकी शिकायत की। लेकिन भ्रष्टाचारी ठेकेदार और इंजीनियरों की साठगांठ इतनी गहरी थी कि मेरी शिकायत पर कार्रवाई नहीं हुई।’
इस बारे में गाजियाबाद जिला प्रशासन का कहना है
‘ऐसी कोई शिकायत न ही मिली और न ही कलेक्ट्रेट में इसका कोई रिकॉर्ड मौजूद है।’ मोदीनगर के SDM आदित्य प्रजापति ऐसे सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहते हैं, ‘प्रशासन को कोई शिकायत नहीं मिली थी। जो शिकायत पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है उसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।’
लेकिन विजयपाल का कहना है कि पालिका में भ्रष्टाचार का ये अकेला मामला नहीं है। मैंने जून में इस भ्रष्टाचार को लेकर तीन दिनों की भूख हड़ताल भी की थी। लेकिन प्रशासन आंख मूंदे रहा।
श्मशान घाट में 55 लाख 8 हजार 402 रुपए की लागत से होने वाले निर्माण कार्य का टेंडर मुरादनगर पालिका की अधिशासी अधिकारी निहारिका ने जनवरी 2020 में निकाला था।
इसमें सिर्फ तीन टेंडर स्वीकार किए गए थे। pic.twitter.com/JVPfT2ujtv
— News & Features Network (@mzn_news) January 13, 2021
इसमें सिर्फ तीन टेंडर स्वीकार किए गए थे। एएस कंस्ट्रक्शन ने 54 लाख 97 हजार 385 रुपए (0.20 प्रतिशत कम), अजय त्यागी ने 54 लाख 91 हजार 876 रुपए (0.30 प्रतिशत कम) और वीएस बिल्डकॉन कंपनी ने 55 लाख 2 हजार 893 रुपए (0.10 प्रतिशत कम) रेट पर टेंडर डाला था। अजय त्यागी की बिड सबसे कम थी और उनका टेंडर स्वीकार कर लिया गया।
लेकिन, जानकारों का कहना है कि टेंडर्स को देखकर लगता है कि यह पहले से ही फिक्स था। एक कॉन्ट्रेक्टर अपना नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं, ‘सिर्फ 0.30 प्रतिशत कम पर टेंडर डाला गया।
बाकी दो टेंडर कॉम्पटीशन दिखाने के लिए डलवाए गए। बिना अधिकारियों की मिलीभगत के ये संभव नहीं है।’ कॉन्ट्रेक्टर कहते हैं, ‘सरकार पारदर्शिता के कितने ही दावे क्यों न करें, लेकिन निर्माण कार्यों के टेंडर में भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है। जो कॉन्ट्रेक्टर इसमें शामिल नहीं होता, उसके टेंडर को टेक्निकल इवैल्यूएशन में ही रिजेक्ट कर दिया जाता है।
यूपी सरकार के PWD विभाग ने टेंडर प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए प्रहरी एप भी लांच किया है। हालांकि, कांट्रेक्टरों का कहना है कि ये भी सिर्फ दिखावा ही है। टेंडर फिक्स के होने के सवाल पर SDM आदित्य प्रजापति कहते हैं, ‘टेंडर की प्रक्रिया पारदर्शी रहती है। अब SIT इस मामले की जांच कर रही है। जो भी सच है वह जांच में सामने आ जाएगा।’
मुरादनगर नगर पालिका के मनोनीत सदस्य महंत विजयपाल हितकारी का कहना है कि उन्होंने घटिया निर्माण के खिलाफ धरना भी दिया था लेकिन प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया।
मुरादनगर नगर पालिका के मनोनीत सदस्य महंत विजयपाल हितकारी का कहना है कि उन्होंने घटिया निर्माण के खिलाफ धरना भी दिया था लेकिन प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया।
‘ईमानदारी से टेंडर डालकर काम करना संभव ही नहीं’
नगर पालिका में टेंडर डालने वाले एक और कॉन्ट्रेक्टर कहते हैं , ‘यदि कोई ठेकेदार ईमानदारी से टेंडर डालकर गुणवत्ता का काम करना चाहे तो ये संभव नहीं है। नेताओं, अधिकारियों और ठेकेदारों का ऐसा नेक्सस है जिसका हिस्सा बने बिना कोई काम ही नहीं कर सकता।’ वो कहते हैं, ‘जो टेंडर फिक्स होते हैं वो .10 या .30 प्रतिशत के अंतर पर ही खुलते हैं क्योंकि ठेकेदार को पहले ही पता होता है कि उसका टेंडर ही स्वीकार किया जाएगा।
इससे सरकार को भी फंड का नुकसान होता है। यदि कॉम्पटीटिव प्रोसेस से टेंडर खुलें तो 5 या 10 प्रतिशत तक कम पर टेंडर खुलें।’
बड़े जिम्मेदार अभी भी कानून की पकड़ से बाहर
श्मशान में निर्माण करने वाले ठेकेदार अजय त्यागी, नगरपालिका की अधिशासी अधिकारी निहारिका, जेई चंद्रपाल और सुपरवाइजर आशीष को गिरफ्तार किया गया है। लेकिन बड़े जिम्मेदार अभी भी कानून की पकड़ से बाहर हैं।
महंत विजय पाल कहते हैं, ‘सरकार भले ही सख्त कार्रवाई का दावा कर रही हो लेकिन अभी तक की जांच खानापूर्ति ही है। वरना असल जिम्मेदार अब तक कानून के शिकंजे से बाहर नहीं होते।