Muzaffarnagar सपा की चुनावी सभा में भीड़ और मायूसी का संगम: सांसद हरेंद्र मलिक ने किया टीमवर्क पर जोर
उत्तर प्रदेश की सियासत में चुनावी गहमागहमी बढ़ती जा रही है, और इस बार चर्चा का केंद्र बना Muzaffarnagar का ककरौली। यहां अशियाना टाउन में आयोजित सपा (समाजवादी पार्टी) की भव्य चुनावी रैली ने कई राजनीतिक समीकरणों को हवा दी। सांसद हरेंद्र मलिक ने रैली को संबोधित करते हुए कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरने का आह्वान किया।
रैली का आयोजन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की रणनीति के तहत किया गया था। इसमें पूर्व सांसद कादिर राणा, सपा जिलाध्यक्ष जिया चौधरी, वरिष्ठ नेता प्रमोद त्यागी, ईलम सिंह गुर्जर, सपा के राष्ट्रीय सचिव राकेश शर्मा, पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी ओमवेश, और कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुबोध शर्मा जैसे नेताओं ने भी मंच से जनता को संबोधित किया।
रैली में दिखी भीड़, लेकिन अखिलेश यादव की अनुपस्थिति बनी चर्चा का विषय
रैली स्थल पर लोगों की भारी भीड़ नजर आई, जो इस बात का संकेत था कि समाजवादी पार्टी का प्रभाव क्षेत्र में अभी भी मजबूत है। हालांकि, पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को उस समय मायूसी का सामना करना पड़ा जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ऐन मौके पर रैली में नहीं पहुंचे।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि अखिलेश यादव का न आना रणनीतिक वजहों से हो सकता है, लेकिन इससे समर्थकों के बीच हल्की नाराजगी जरूर महसूस हुई। इस अनुपस्थिति ने रैली की गर्मजोशी को थोड़ा ठंडा कर दिया।
हरेंद्र मलिक का आह्वान: टीमवर्क और डोर-टू-डोर कैंपेनिंग पर जोर
सांसद हरेंद्र मलिक ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा,
“यह चुनाव सिर्फ नेताओं का नहीं, बल्कि हर एक कार्यकर्ता की परीक्षा है। हमें टीमवर्क के जरिए घर-घर पहुंचकर मतदाताओं से सीधा संवाद करना होगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि वोटरों को सपा की नीतियों और कार्यक्रमों से अवगत कराने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।
स्थानीय और राष्ट्रीय नेताओं का जमावड़ा
इस रैली में सपा और कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं का जमावड़ा देखने को मिला। मंच पर सांसद हरेंद्र मलिक के साथ कई अन्य नेता जैसे:
- मुफ़्ती जुल्फिकार
- विधायक पंकज मलिक
- मुखिया गुर्जर
- हाजी लियाकत
- राजकुमार यादव
- श्यामलाल बच्ची सैनी
- मौलाना नज़र
- सर्वेंद्र राठी
- एडवोकेट वसी अंसारी
- अजय चेयरमैन भोकरहेड़ी
- मेराजुद्दीन तेवड़ा
ने मंच साझा किया।
इन नेताओं के भाषणों में केंद्र सरकार की नीतियों पर जमकर प्रहार हुआ। साथ ही, उन्होंने आगामी चुनावों के लिए गठबंधन की मजबूती पर जोर दिया।
चुनावी रणनीति: सपा और कांग्रेस का गठजोड़
इस रैली से यह भी स्पष्ट हो गया कि आगामी विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस मिलकर भाजपा को चुनौती देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुबोध शर्मा ने कहा,
“हमारी लड़ाई विकास के मुद्दों पर है, और भाजपा की विभाजनकारी राजनीति को हराने के लिए यह गठजोड़ जरूरी है।”
ग्रामीणों का उत्साह और सियासी समीकरण
रैली में मौजूद ग्रामीणों में उत्साह स्पष्ट रूप से नजर आया। कई लोग मानते हैं कि सपा-कांग्रेस गठजोड़ पश्चिमी यूपी में नए समीकरण बना सकता है। वहीं, भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने इसे ‘शोबाजी’ करार दिया और कहा कि यह गठबंधन जमीनी स्तर पर कमजोर है।
भविष्य की राह: क्या सपा के पास है कोई नया विजन?
सपा के नेताओं ने इस रैली में अपनी परंपरागत राजनीति को नए सिरे से पेश करने की कोशिश की। कार्यकर्ताओं को संदेश दिया गया कि वे सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि पार्टी के विकास विजन को भी जनता तक पहुंचाएं।
सांसद हरेंद्र मलिक ने अपने भाषण में कहा,
“हमारी राजनीति का उद्देश्य समाज के हर वर्ग का उत्थान करना है। जाति और धर्म की राजनीति को हमें खत्म करना होगा।”
क्या मायूसी का असर पड़ेगा चुनावी नतीजों पर?
अखिलेश यादव की अनुपस्थिति का सियासी नतीजों पर क्या असर पड़ेगा, यह कहना मुश्किल है। लेकिन यह स्पष्ट है कि सपा के नेताओं को अपने कार्यकर्ताओं में उत्साह बनाए रखने के लिए और प्रयास करने होंगे।
जनता के बीच पैठ बनाने का प्रयास
मुजफ्फरनगर की यह रैली आगामी विधानसभा चुनावों के लिए सपा और कांग्रेस की रणनीति का पहला बड़ा कदम मानी जा रही है। जहां भीड़ ने पार्टी की लोकप्रियता को दिखाया, वहीं अखिलेश यादव की गैरमौजूदगी ने कार्यकर्ताओं के उत्साह पर सवाल खड़े किए।
इस चुनावी समर में सपा और कांग्रेस का गठबंधन कितना प्रभावी रहेगा, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन यह साफ है कि समाजवादी पार्टी के लिए यह चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होगा।