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Muzaffarnagar: किसानों का उग्र प्रदर्शन, गन्ना मूल्य और अन्य समस्याओं पर गरमाया माहौल

मुजफ्फरनगर।(Muzaffarnagar) उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में किसानों ने एक बार फिर अपनी समस्याओं को लेकर आवाज बुलंद की। भाकियू (भारतीय किसान यूनियन) के बैनर तले किसानों ने कलैक्ट्रेट पर जोरदार धरना-प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन की अगुवाई भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. नरेश टिकैत ने की। किसानों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए गन्ना मूल्य 450 रुपये प्रति क्विंटल करने, बिजली संकट दूर करने, और खाद-बीज की आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग रखी।

धरना-प्रदर्शन का मकसद: किसानों की मांगें

कलैक्ट्रेट परिसर में हुए इस धरने में बड़ी संख्या में किसान जुटे। भाकियू ने गन्ना किसानों की दुर्दशा, बढ़ती लागत, और सरकारी उपेक्षा के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया। किसानों ने बिजली की अनियमित आपूर्ति और सिंचाई के लिए पानी की कमी को भी बड़ा मुद्दा बताया।

भाकियू नेताओं ने ज्ञापन के माध्यम से प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि जल्द ही इन समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो यह आंदोलन और उग्र होगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा,

“महंगाई ने खेती को घाटे का सौदा बना दिया है। किसान की लागत लगातार बढ़ रही है, लेकिन उसे अपनी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा। सरकार अगर समय रहते नहीं चेती तो किसानों का आक्रोश बड़ा आंदोलन बन जाएगा।”

गन्ना मूल्य विवाद: क्यों है यह बड़ा मुद्दा?

गन्ना किसान लंबे समय से फसल के उचित मूल्य की मांग कर रहे हैं। गन्ना फसल को तैयार करने में किसानों का बड़ा खर्च होता है। खाद, बीज, मजदूरी और सिंचाई का खर्च दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इसके बावजूद, सरकार द्वारा घोषित गन्ना मूल्य किसानों की उम्मीदों से काफी कम है।

किसानों का कहना है कि गन्ना मूल्य को 450 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ाना बेहद जरूरी है। मौजूदा मूल्य से किसानों को घाटा हो रहा है, जिससे उनका जीवनयापन भी कठिन हो गया है।

बिजली संकट और खाद-बीज की समस्या

प्रदर्शन में बिजली आपूर्ति को लेकर भी नाराजगी देखने को मिली। किसानों का कहना है कि फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली नहीं मिल रही है। ग्रामीण इलाकों में बिजली की कटौती ने खेती को मुश्किल बना दिया है।

इसके अलावा, किसानों ने खाद और बीज की आपूर्ति में हो रही दिक्कतों का भी मुद्दा उठाया। किसानों ने आरोप लगाया कि खाद-बीज की कालाबाजारी हो रही है, जिससे उन्हें ऊंची कीमत पर खरीदारी करनी पड़ती है।

भाकियू का प्रशासन को अल्टीमेटम

भाकियू जिलाध्यक्ष नवीन राठी ने कहा,

“सरकार किसानों की समस्याओं को अनदेखा कर रही है। यदि हमारी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो हम पूरे जिले में आंदोलन करेंगे और बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया जाएगा।”

धरने में मौजूद अन्य नेताओं ने भी किसानों को संगठित रहने और अपनी आवाज को और मजबूत करने का आह्वान किया।

किसानों की लड़ाई: एक नजर

इस तरह के प्रदर्शन देशभर में बढ़ती किसान समस्याओं को उजागर करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में किसानों के आंदोलन ने बड़ा रूप लिया है, खासकर जब कृषि कानूनों के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन हुए थे।

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ती महंगाई और खेती की लागत में वृद्धि ने किसानों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। गन्ना, गेहूं, और चावल जैसी प्रमुख फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन इसमें लगातार देरी और असमानता से किसानों में असंतोष बढ़ रहा है।

सरकार की प्रतिक्रिया और उम्मीदें

हालांकि, प्रशासन का कहना है कि वह किसानों की मांगों को गंभीरता से ले रहा है। सरकार ने वादा किया है कि गन्ना मूल्य पर विचार किया जाएगा और बिजली व खाद-बीज की समस्याओं का समाधान जल्द होगा। लेकिन किसानों का कहना है कि वे सिर्फ वादे नहीं, ठोस कार्रवाई चाहते हैं।

धरने में महिलाओं और युवाओं की भागीदारी

इस प्रदर्शन की खास बात यह रही कि इसमें बड़ी संख्या में महिलाओं और युवाओं ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने खेती के प्रति अपनी चिंता और सरकार से अपनी मांगें साझा कीं।

अगले कदम क्या होंगे?

यदि सरकार जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाती है, तो भाकियू ने जिले भर में रैलियां और प्रदर्शन आयोजित करने का ऐलान किया है। किसान नेताओं का कहना है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं।

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