महिला शक्ति का महासम्मेलन: Muzaffarnagar में हुआ राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भूमिका पर भव्य आयोजन!
Muzaffarnagar। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में मुजफ्फरनगर में अधिवक्ता परिषद्, ब्रज महिला शाखा के तत्वाधान में एक भव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन सिविल बार एसोसिएशन, मुजफ्फरनगर के राष्ट्रीय सभागार में हुआ, जिसका उद्देश्य महिलाओं की राष्ट्र निर्माण में भूमिका को रेखांकित करना था।
इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्रीमति आदेश नैन (पीठासीन अधिकारी, मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल, मुजफ्फरनगर) एवं मुख्य वक्ता श्रीमती निकिता शर्मा (उपजिलाधिकारी सदर) थीं। विशिष्ट अतिथि के रूप में सुश्री राखी शर्मा (अधिवक्ता, प्रान्त महामंत्री, ब्रज) उपस्थित रहीं। इसके अतिरिक्त, जनपद न्यायालय की महिला न्यायिक अधिकारीगण, लॉ कॉलेज के प्रोफेसर, छात्राएँ और जनपद की महिला अधिवक्तागण भी कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
कार्यक्रम की प्रभारी श्रीमती प्रभा रानी (अधिवक्ता) और अध्यक्ष श्रीमती निर्मल मित्तल (अधिवक्ता) थीं, जबकि संचालन की जिम्मेदारी श्रीमती ललिता रानी, श्रीमती दीपाशा गौतम और कु. शिवानी सचदेवा ने निभाई। रंगोली एवं सजावट में कोषाध्यक्ष कु. पायल कक्कड़ का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम का समायोजन सुश्री रेखा शाही (अधिवक्ता) ने किया।
🎤 भव्य स्वागत और संगोष्ठी की शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि एवं अन्य गणमान्य अतिथियों के पारंपरिक स्वागत से हुई। उन्हें सम्मानपूर्वक पटका पहनाया गया। राष्ट्रगान के पश्चात्, माँ सरस्वती एवं भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्ज्वलन किया गया। इस दौरान, सभागार में महिलाओं की ऊर्जा और उत्साह देखते ही बनता था।
मुख्य अतिथि श्रीमति आदेश नैन ने अपने प्रभावशाली विचार रखते हुए कहा कि “राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भागीदारी सदियों से रही है, लेकिन अब यह और अधिक प्रभावशाली हो रही है। समाज और कानून दोनों ही महिलाओं को बराबरी का स्थान देने की ओर अग्रसर हैं।”
मुख्य वक्ता एसडीएम सदर श्रीमती निकिता शर्मा ने महिलाओं की भूमिका को विस्तार से समझाते हुए कहा, “महिलाएँ हर क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रही हैं, चाहे वह न्यायपालिका हो, प्रशासन हो, या फिर शिक्षा का क्षेत्र। उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता।”
विशिष्ट अतिथि सुश्री राखी शर्मा ने कहा, “महिलाएँ न केवल परिवार को सँभालती हैं, बल्कि समाज और राष्ट्र की उन्नति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सरकार द्वारा महिलाओं के लिए विभिन्न योजनाएँ लागू की जा रही हैं, जिससे वे आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त हो सकें।”
💃 महिलाओं की उन्नति पर हुआ विचार-विमर्श
संगोष्ठी के दौरान विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार रखे। चर्चा के दौरान निम्नलिखित बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया:
✅ शिक्षा और आत्मनिर्भरता: महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण हथियार है। शिक्षित महिला न केवल स्वयं सक्षम बनती है, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में भी योगदान देती है।
✅ न्यायिक क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका: महिलाओं की बढ़ती भागीदारी न्यायपालिका में भी देखने को मिल रही है। अब कई महिलाएँ जज, वकील और प्रशासनिक अधिकारी के रूप में कार्य कर रही हैं।
✅ आर्थिक स्वतंत्रता का महत्व: महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वरोजगार और स्टार्टअप को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। सरकार द्वारा चलाई जा रही ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, ‘मुद्रा योजना’ और ‘स्टैंड अप इंडिया’ जैसी योजनाएँ इसमें सहायक सिद्ध हो रही हैं।
✅ सुरक्षा और अधिकार: महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करना सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है। इसके लिए कड़े कानूनों, महिला हेल्पलाइन और जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है।
🌟 कार्यक्रम की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान
इस सफल आयोजन के लिए डॉ. माधुरी सिंह, श्रीमती मानसी शर्मा, श्रीमती गायत्री आर्य, श्रीमती गुंजन अरोरा, स्वेता पुण्डीर, संगीता भारद्वाज, श्रीमती रंजना देवी, श्रीमती मेघना, श्रीमती अंजू गुप्ता, श्रीमती वैभव सिंह, श्रीमती निर्मल पंवार, श्रीमती आस्था, संगीता कश्यप, रीटा चौधरी, कु. नैनसी, कु. अनु, कविता, निशा राठी, प्रज्ञा शर्मा, भावना रघुवंशी, सोनिका, विशु, स्फूर्ति कौशिक आदि का विशेष योगदान रहा।
कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रगान के साथ समापन हुआ। सभी उपस्थित महिलाओं ने एक-दूसरे को बधाई दी और राष्ट्र निर्माण में अपने योगदान को और अधिक प्रभावशाली बनाने का संकल्प लिया।
🚀 महिलाओं के बिना अधूरा है राष्ट्र निर्माण!
यह आयोजन एक महत्वपूर्ण संदेश दे गया कि महिलाओं के बिना राष्ट्र निर्माण की कल्पना अधूरी है। उनका सशक्तिकरण सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर भी आवश्यक है।
आज महिलाएँ राजनीति, न्यायपालिका, शिक्षा, खेल, विज्ञान, उद्योग और हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं। समाज को चाहिए कि वह महिलाओं को और अधिक प्रोत्साहित करे ताकि वे बेझिझक अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर सकें।
इस प्रकार के आयोजन भविष्य में भी महिलाओं को प्रेरित करने और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को पहचान दिलाने में सहायक होंगे।