भारत-रूस 20वें सालाना शिखर सम्मेलन में पुतिन से मिले पीएम मोदी
नरेंद्र मोदी दो दिवसीय रूस दौरे पर हैं। यहां व्लादिवोस्तोक में प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। दोनों नेता बेहद गर्मजोशी से मिले और शिप बिल्डिंग कॉम्प्लेक्स का दौरा करने के लिए एक साथ निकले। दोनों नेता एक साथ बोट में बैठकर रवाना हुए।
Vladivostok: Prime Minister Narendra Modi departs for Zvezda ship-building complex along with Russian President Vladimir Putin. #Russia pic.twitter.com/02Dqbjzo0r
— ANI (@ANI) September 4, 2019
प्रधानमंत्री रूस की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। वह चार और पांच सितंबर की दो दिवसीय यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मसलों पर बातचीत करेंगे। यह बैठक रूस के व्लादिवोस्तोक में हो रही है। मोदी भारत-रूस के 20वें सालाना शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे।
यात्रा पर रवाना होने से पहले मोदी ने यहां कहा कि वह आपसी हितों के क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपने मित्र और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ बातचीत के लिए उत्सुक हैं और दोनों देशों की इच्छा आपसी संबंधों को और सशक्त बनाने की है। मोदी व्लादिवोस्तोक में आयोजित हो रही पांचवी ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में पुतिन के आमंत्रण पर जा रहे हैं। मोदी ने कहा कि बहु ध्रुवीय विश्व में दोनों देश परस्पर सहयोग के लिए आगे आये हैं और उनकी यात्रा के समय एक विशिष्ट योग एप जारी किया जाएगा। उन्हें उम्मीद है कि अधिक से अधिक रूसी भाई बहन अपने दैनिक जीवन में योग को शामिल करेंगे।
रूसी संवाद समिति तास को दिए साक्षात्कार में मोदी ने कहा कि उनकी पुतिन के साथ स्पेशल केमेस्ट्री है। उन्हें भरोसा है कि उनकी यह यात्रा दोनों देशों के मध्य संबंधों को नए आयाम, नई ऊर्जा देगी। तास की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और रूस 15 दस्तावेज पर हस्ताक्षर करेंगे। इनमें सैन्य-तकनीक क्षेत्र भी शामिल हैं। इसके अलावा भारत रूस शिखर वार्ता भी इस ईईएफ कार्यक्रम से इतर की जायेगी। उन्होेंने कहा कि वह नहीं चाहते कि भारत और रूस सैन्य तकनीकी को केवल ग्राहक और विक्रेता तक सीमित रहे। आज अगर तकनीक दी जाती है तो भारत मेें सैन्य उपकरणों का कम लागत में निर्माण हो सकेगा और इन्हें कम दामों में तीसरी दुनिया के देशोें को बेचा जा सकेगा। उन्होंने भारत के मानव सहित स्पेस मिशन गगनयान की चर्चा करते हुए कहा कि रूस भारत के अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग में मदद करेगा। सड़क निर्माण और परिवहन क्षेत्र में अब बेहतर तकनीक रूस से आएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय यात्रा के दौरान भारत और रूस के बीच सड़क निर्माण, परिवहन समेत कई क्षेत्रों में समझौता होने की संभावना है। इसी के साथ कच्चे तेल और गैस क्षेत्र में गहरे सहयोग के लिए पांच वर्षीय खाका तैयार किए जाने की उम्मीद है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस्टर्न इकोनॉमिक फोरम की बैठक के दौरान भारत और रूस के बीच सड़क और परिवहन क्षेत्र से जुड़े द्विपक्षीय सहयोग के समझौतों पर हस्ताक्षर करने की तैयारी है। इससे सड़क निर्माण की बेहतर तकनीक और डिजाइन का आदान-प्रदान हो सकेगा। इसके अलावा भारत में परिवहन की लागत कम हो सके, इसके लिए मल्टी मोडल ट्रांसपोर्ट हब समेत परिवहन के सभी साधनों से जुड़ी तकनीक सुलभ कराने से संबंधित समझौता होगा।
केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक इस दौरान चेन्नई से व्लादिवोस्तोक को जोड़ने के लिए समुद्री मार्ग चालू करने की संभावना भी तलाश की जाएगी क्योंकि इससे आर्कटिक मार्ग के जरिए यूरोप भी जुड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी चार सितंबर को व्लादिवोस्तोक में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ 20 वीं वार्षिक द्विपक्षीय शिखर बैठक में शिरकत करेंगे। मोदी और पुतिन देश के एक प्रमुख पोत निर्माण यार्ड का भी संयुक्त दौरा करेंगे।
पेट्रोलियम मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री की व्लादिवोस्तोक यात्रा के दौरान हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में सहयोग एक प्रमुख क्षेत्र होगा। कच्चे तेल और गैस क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं को पूरा करने के लिए दोनों पक्षों के पांच साल का खाका -2019-2024- खींचने की उम्मीद है। भारत अभी अपनी कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की जरूरतों के लिए खाड़ी क्षेत्र पर बहुत अधिक निर्भर है। भारत रूस को हाइड्रोकार्बन के एक प्रमुख स्रोत के रूप में देख रहा है ताकि खाड़ी क्षेत्र पर उसकी पूर्ण निर्भरता समाप्त हो सके। प्रधानमंत्री की इस यात्रा के दौरान रूस में कच्चे तेल और गैस क्षेत्रों के विकास के लिए देश की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और रूसी संस्थाओं के बीच कुछ समझौतों पर भी हस्ताक्षर किये जाएंगे।
केंद्रीय पेट्रोलिय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को बताया कि इस दौरान रूस से एलएनजी के आयात पर कुछ ठोस फैसला हो सकता है। उनका कहना है कि भारत में लंबी दूरी के परिवहन में एलएनजी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए क्या कुछ हो सकता है, इस बारे में कुछ ठोस प्रयास किया जाएगा।