दिल्ली – भीषण आग में अब तक 45 लोगों की मौत
दिल्ली: जिस इमारत में अग्निकांड हुआ वहां रिहायशी इलाके में फैक्टरी चलाने के लिए एक भी मानदंड का पालन नहीं किया जा रहा था। नियम के अनुसार, इस इमारत का 50 फीसदी हिस्सा ही व्यावसायिक प्रयोग में लाया जाना चाहिए था और फैक्टरी में मजदूरों की संख्या भी निर्धारित संख्या से काफी ज्यादा थी।
सूत्रों के अनुसार, इस चार मंजिला इमारत के हर तल पर करीब 8-10 कमरे हैं और हर कमरे में अलग-अलग तरह की फैक्टरियां चल रही थीं। दिल्ली के अनाज मंडी इलाके के एक घर में चल रही फैक्टरी में आग की घटना ने एक बार फिर दिल्ली नगर निगम की पोल खोल कर रख दी है। बिल्डिंग में एक नहीं, बल्कि कई अलग-अलग तरह की फैक्टरियों में नियमों को तार-तार किया जा रहा था। रिहायशी इलाका होने के कारण किसी भी फैक्टरी का लाइसेंस नहीं था। उत्तर दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही के चलते अभी भी घरों में 800 से ज्यादा अवैध फैक्टरियां चल रही हैं।
बताया जा रहा है कि करीब 200 गज की जमीन पर चार मंजिला इमारत में अलग-अलग तल पर लेडिज बैग, प्लास्टिक दाना और अन्य सामान बनाने की फैक्टरियां चल रही थीं। काम करने के बाद मजदूर यही पर सो जाते थे। यह पूरा इलाका रिहायशी है और नियमों के मुताबिक किसी भी रिहायशी इलाके मेंइस इमारत में प्लास्टिक दाना बनाने की भी फैक्टरी चल रही थी, जबकि दिल्ली में प्लास्टिक के कारखानों पर प्रतिबंध है। ऐसी स्थिति में निगम की जवाबदेही और भी ज्यादा बढ़ जाती है बगैर लाइसेंस यह फैक्टरी चलने कैसे दी जा रही थी। नियमों को तार-तार किया जाता रहा और अफसरशाही बेसुध होकर बैठे रहे।