उत्तर प्रदेश

केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग ने covishield वैक्सीन के दुष्प्रभाव को लेकर देशभर के शोध पत्रों का अध्ययन किया

कोविड-19 महामारी के समय में वैक्सीनेशन का काम दुनिया भर में चल रहा है, जिसका मकसद लोगों को सुरक्षित रखना है। केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग ने covishield  वैक्सीन के दुष्प्रभाव को लेकर देशभर के शोध पत्रों का अध्ययन किया है। इस अध्ययन में देखा गया कि वैक्सीन लगवाने के बाद कुछ लोगों को ब्लड क्लाटिंग, दिल का दौरा पड़ने व न्यूरो से संबंधित बीमारियों की आशंका हो सकती है।

इस अध्ययन के अनुसार, देशभर में वैक्सीन लगवाने के दो हफ्ते के अंदर महज 136 लोगों में से कुछ को इस तरह की परेशानी हुई थी। यह संख्या कम होने के बावजूद इसे गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि इन लोगों को स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

इस अध्ययन में न्यूरोलॉजी इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इन मरीजों में दिमाग में खून का थक्का जमने, मस्तिष्क व स्पाइन कॉर्ड में सूजन और फंक्शनल न्यूरोलॉजिकल डिसआर्डर की शिकायत मिली थी। ये सभी समस्याएं वैक्सीन लगवाने के दो सप्ताह के अंदर ही सामने आई थीं।

दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और केरल से अधिक मामले सामने आए थे, जिससे इस समस्या का व्यापकता दिखाई दी। इससे प्रकट होता है कि वैक्सीनेशन के दौरान कुछ लोगों को सामान्य से अधिक समस्याएं हो सकती हैं।

केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग ने कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभाव को लेकर देशभर के शोध पत्रों का अध्ययन कर रिपोर्ट जारी की है। न्यूरोलॉजी इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक यह वैक्सीन लगवाने वालों को अब दो साल बाद ब्लड क्लाटिंग, दिल का दौरा पड़ने व न्यूरो से संबंधित बीमारियों की आशंका न के बराबर है।

covishield वैक्सीन लगने के दो हफ्ते के अंदर ही देशभर में करोड़ों लोगों में से महज 136 लोगों को कुछ परेशानी हुई थी। केजीएमयू न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. आरके गर्ग के निर्देशन में यह अध्ययन किया गया। 

डॉ. गर्ग ने बताया कि जून 2022 तक 1,97,34,08,500 कोविड वैक्सीन की डोज लगाई गई थीं। इनमें ज्यादातर लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन लगी थी। वैक्सीन के दुष्प्रभाव पर प्रकाशित शोध पत्रों का विभाग के डॉ. हरदीप सिंह मल्होत्रा, डॉ. इमरान रिजवी और डॉ. बालेंद्र प्रताप सिंह आदि ने अध्ययन किया।

डॉ. गर्ग ने बताया कि कुल 136 मरीजों में दिक्कतें सामने आई थीं। इसमें 10 मरीजों के दिमाग में खून का थक्का जमने की शिकायत मिली थी। हरपीज के सबसे ज्यादा 31 मामले मिले थे। मस्तिष्क व स्पाइन कॉर्ड में सूजन और फंक्शनल न्यूरोलॉजिकल डिसआर्डर के मामले भी थे।

हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वैक्सीनेशन का प्रयास सुरक्षित और प्रभावी हो। वैक्सीन के दुष्प्रभावों का सामान्य जनता को जागरूक करना और सुरक्षित वैक्सीनेशन को बढ़ावा देना हम सभी की जिम्मेदारी है।

वैक्सीनेशन का मकसद है समुदाय को सुरक्षित रखना, लेकिन इसके दुष्प्रभावों की संभावना भी होती है। इसलिए सरकार को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और इसे समझने और समाधान करने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है।

वैक्सीनेशन के साथ-साथ लोगों को वैक्सीन के दुष्प्रभावों की जानकारी भी देनी चाहिए ताकि वे सही तरीके से तय कर सकें कि वे वैक्सीन लगवाना चाहते हैं या नहीं। इससे समाज में जागरूकता बढ़ेगी और लोग अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकेंगे।

News-Desk

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