शहर में राजनीति की चरमसीमा-प्रवीण पीटर का इस्तीफा, पालिकाअध्यक्षा ने बताया जनता के साथ धोखा
शहर के राजनैतिक वातावरण में आरोप-प्रत्यारोप का दौर फिर चल पड़ा हैं। वार्ड संख्या 23 प्रेमपुरी कृष्णापुरी से पालिका सभासद श्री प्रवीण कुमार मित्तल (पीटर) ने नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष श्रीमती अंजू अग्रवाल पर गंभीर आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया हैं और कड़ी जाँच की मांग की हैं।
उल्लेखनीय हैं कि पहले भी पालिका अध्यक्ष ने राजनैतिक द्वेष का आरोप लगाते हुए सत्ताधारी पार्टी के कई नेताओं पर आरोप लगाए थे जिसके कारण उनको 14 दिन के क्वारेन्टीन में भेज दिया गया था। न्यूज डेस्क एडीटर-इंचार्ज ने दोनो पक्षो से सीधे बात करके उनके पक्ष और मन्तव्य जानने का प्रयास किया।
प्रवीण कुमार मित्तल पीटर के अनुसार, नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष अंजू अग्रवाल अपनी ईमानदारी का ढोल पीटती फिर रही है लेकिन असलियत यह है की चेयरमैन हर कार्य में 10% कमीशन खुलेआम ले रही है| उन्होंने पालिका परिषद में दूषित राजनीति चला रखी है|
चेयरमैन ने नगरपालिका को अपने *** की जागीर समझ रखा है पालिका के कर्मचारियों व सभासदों को हमेशा परेशान रखती हैं मैं पालिका परिषद में दूषित राजनीति के चलते सभासद पद से त्यागपत्र दे रहा हूं|
मैंने अपना त्यागपत्र अपर जिलाधिकारी प्रशासन श्री अमित सिंह को सौंप दिया है अगर चेयरमैन अंजू अग्रवाल में हिम्मत है तो वह भी चेयरमैन पद से त्यागपत्र देकर मेरे सामने वार्ड संख्या 23 प्रेमपुरी कृष्णापुरी से चुनाव लड़ ले तो उन्हें अपनी असलियत पता चल जाएगी
नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष श्रीमती अंजू अग्रवाल के अनुसार, श्री प्रवीण मित्तल ,माननीय सभासद वार्ड संख्या 23 द्वारा माननीय जिलाधिकारी महोदया को संबोधित अपना सभासद पद से त्यागपत्र देते हुए स्वीकृति का आग्रह किया गया है l इसमें कुछ मिथ्या आरोप लगाए गए हैं | इस संबंध में मेरा मानना है की भारत के सुंदर संविधान में प्रत्येक नागरिक को नियमों के अधीन किसी भी निर्वाचन को लड़ने का अधिकार प्रदत है तथा निर्वाचन में जीत दर्ज करने के पश्चात अपने नियत कर्तव्य का पालन करना भी हर जनप्रतिनिधि का दायित्व है और उसे जन भावनाओं के अनुसार गरिमामय ढंग से कार्य करना चाहिए l जहां तक श्री मित्तल द्वारा अपना सभासद पद से त्यागपत्र देने का प्रश्न है यह वार्ड 23 की जनता के साथ बहुत बड़ा धोखा है l
पदीय दायित्वों में असक्षम होने की स्थिति में ही इसी प्रकार के मनोभाव का उद्ग्lर होता है l मैं तो इस स्थिति को अपने कर्तव्य से विमुख होना ही मानती हूं l एक पुरानी कहावत है कि जब किसी को घर में नहीं रहना होता तो वह छत में सांप बताते हैं l नगरीय सम्मानित जनता सब जानती है कि कौन कितने पानी में है मेरे ऊपर लगाए गए आरोप पूर्णतया असत्य एवं निराधार हैं
जिनमें कोई सच्चाई नहीं है l बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि श्री प्रवीण जी के द्वारा मुझे दूरभाष पर धमकी भरे स्वर में कहां गया कि मैंने इस्तीफा दे दिया है तुम भी आज ही इस्तीफा दो तथा मेरे सामने वार्ड 23 में आकर चुनाव लड़ लेना l इस प्रकार की स्थिति शोभनीय नहीं है l मुझे नगर की सम्मानित जनता ने अध्यक्ष पद पर निर्वाचित किया है और मैं अपनी यथाशक्ति से निष्ठा और ईमानदारी के साथ अपने पदीय कर्तव्य का पालन कर रही हूं और जब तक की जिम्मेदारी परमात्मा की कृपा से सम्मानित जनता से मिली हुई है तब तक जनहित में कार्य करती रहूंगी |