संपादकीय विशेष

पितृ शांति प्रयोग- विशेष

पितृ पक्ष मे पितरो के लिये श्राद्ध करने का अधिकार सबको नही मिलता .. पिता के जीवंत होते हुये पुत्र या अन्य लोग पितरों का श्राद्ध कर्म नही कर सकते .. श्राद्ध♦ के लिये योग्य ब्राम्हणों की जरुरत भी पडती है ..
आजकल कई बार घर मे पिता का इन चीजों पर विश्वास नही होता और वह श्राद्ध पक्ष या पितरो का तर्पण करने के लिये तयार नही होते ..
ऐसे मे यहाँ पर उन व्यक्तियों के लिये पितृ शांति प्रयोग के कुछ उपाय प्रस्तुत कर कर रहे हैं जो श्राद्ध विधी नही कर सकते लेकिन पितरो की शांति के लिये कुछ करना चाहते है .. इसे कोइ भी व्यक्ति ,चाहे स्त्री पुरुष क्यों न हो , श्रद्धापूर्वक कर सकते है ..

सर्व प्रथम आचमन करे ( जल न हो तो मानसिक करे )

ॐ केशवाय नम:
ॐ नारायणाय नम:
ॐ माधवाय नम:

हाथ जोडकर विष्णु भगवान का स्मरण कर प्रणाम करे

ॐ श्री विष्णवे नम: ॐ श्री विष्णवे नम: ॐ श्री विष्णवे नम:

अब आप अपने सदगुरुदेव , कुलदेवता और इष्टदेवता का स्मरण करे और उनसे प्रार्थना करे कि वे मेरे समस्त पितरो को मुक्ति प्रदान करे

ॐ गुरुभ्यो नम:
ॐ कुलदेवताभ्यो नम:
ॐ इष्टदेवताभ्यो नम:

अब आप अपने पितरों को स्मरण कर प्रणाम करे

ॐ पितृभ्यो नम:

अब आप हाथ मे जल लेकर (या जल न हो तो मानसिक स्तर पर ) अपना गोत्र और अपने नाम का उच्चारण कर प्रार्थना करे कि इस पितृ पक्ष मे आप पितृ स्तोत्र का पाठ कर तथा ब्राह्मण भोजन एवं यथाशक्ती दान के द्वारा अपने समस्त पितरों को मुक्ति प्रदान करना चाहते है

हाथ मे गंध अक्षत और काले तिल लेकर ( या मानसिक स्तर पर ) अपने पितरो की प्रार्थना करे कि उनके कारण ही मुझे यह मनुष्य शरीर प्राप्त हुवा है जिससे मै धर्म अर्थ काम मोक्ष यह चार पुरुषार्थ प्राप्त कर पावुंगा .. आप मेरे और परिवार के उपर सदैव अपना स्नेह और अपनी कृपा रखे और अपना आशीर्वाद नित्य प्रदान करे और जिन पितरो को मुक्ति नही मिल पायी उन्हे ईश्वर की कृपा से मुक्ति प्राप्त हो ..

और यह मंत्र बोलकर उसे सामने प्लेट मे अर्पण करे ( वस्तुएं ना हो तो मानसिक करे)

ॐ पितृभ्यो नम:

( अब अगर हो सके तो अपने पितरो के हेतु भोजन एक थाली मे रखे और एक आचमनी जल उसके उपर से घुमाकर प्लेट मे अर्पण करे )
(उस भोजन के कुछ अंश को या समस्त भोजन को को बाद मे गाय, कौवा ,या कुत्ते को खिलाये .. अगर आप शहर मे रहते है और यह प्राणी उपलब्ध ना हो तो किसी गरीब को दे सकते है .. )

अगर आप भोजन आदि नही अर्पण कर सकते तो कोइ बात नही .. आप सिर्फ पितृ स्तोत्र का पाठ करे और भोजन हेतु दान दक्षिणा बाद मे दे सकते है ..)

अब नीचे दिये हुवे पितृ स्तोत्र का यथाशक्ती 1,5, या 11 संख्या मे पाठ करे

और सुयोग्य ब्राम्हण या गरीब जरुरतमंद लोगों को भोजन या फल खिलाये या भोजन हेतु वस्तुएं दे और यथाशक्ती दान दे .

यहाँ पर दो स्तोत्र प्रस्तुत किये है .. एक
बृहत धर्म पुराण अंतर्गत है और दुसरा गरुड पुराण अंतर्गत है … आप एक किसी एक स्तोत्र का या दोनो स्तोत्र का पाठ कर सकते है ..

पितृ स्तोत्र (१)
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(बृहद धर्म पुराण अंतर्गत पितृ स्तोत्र
इसका आप ऱोज नित्य पाठ भी कर सकते है ..)

ॐ नम: पित्रे जन्मदात्रे सर्वदेव मयायच
सुखदाय प्रसन्नाय सुप्रीताय महात्मने !!1!!

सर्वयज्ञ स्वरुपाय स्वर्गाय परमेष्ठिने !
सर्वतीर्थावलोकाय करुणासागरायच !!2!!

नम: सदा आशुतोषाय शिवस्वरुपाय ते नम: !
सदा अपराधक्षमिणे सुखाय सुखदाय च !!3!!

दुर्लभं मानुषमिदं येन लब्धं मयावपु: !
संभावनीयं धर्मार्थे तस्मै पित्रे नमो नम: !!4!!

तीर्थ स्नानं तपोहोमजपादि यस्य दर्शनं !
महागुरोश च गुरवे तस्मै पित्रे नमो नम: !!5!!

यस्य प्रणाम स्तवनात कोटिश: पितृतर्पणं !
अश्वमेध शतैस तुल्यं तस्मै पित्रे नमो नम:!! 6 !!

पितृ स्तोत्र (2)
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अमूर्त्तानां च मूर्त्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम

नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम !
इंद्रादीनां च नेतारो दक्षमारी चयोस्तथा !!

सप्तर्षीणां तथान्येषां तान नमस्यामि कामदान !
मन्वादीनां मुनींद्राणां सूर्य्यांचंद्रमसो तथा !!

तान नमस्यामि अहं सर्व्वान पितरश्च अर्णवेषु ये !
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वायु अग्नि नभ तथा !!

द्यावा पृथ्वीव्योश्च तथा नमस्यामि कृतांजलि: !
देवर्षिणां ग्रहाणां च सर्वलोकनमस्कृतान !!

अभयस्य सदा दातृन नमस्येहं कृतांजलि:
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ! !

स्वयंभुवे नमस्यामि ब्रम्हणे योग चक्षुषे !
सोमाधारान पितृगणान योगमूर्तिधरांस्तथा !!

नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम !
अग्निरुपां तथैव अन्यान नमस्यामि पितृं अहं !!

अग्निसोममयं विश्वं यत एदतशेषत:
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्य्याग्निमूर्तय:!!

जगत्स्वरुपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरुपिण:
तेभ्यो अखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतमानसा: !
नमो नमो नमस्ते मे प्रसीदंतु स्वधाभुज: !!

(अगर संस्कृत उच्चारण करना कठीण लगे तो नीचे दिये हुवे हिंदी अनुवाद का पाठ करे )

(हिंदी अनुवाद :-
जो सबके द्वारा पूजित, अमूर्त, अत्यन्त तेजस्वी, ध्यानी तथा दिव्यदृष्टि सम्पन्न हैं, उन पितरों को मैं सदा नमस्कार करता हूँ।
जो इन्द्र आदि देवताओं, दक्ष, मारीच, सप्तर्षियों तथा दूसरों के भी नेता हैं, कामना की पूर्ति करने वाले उन पितरो को मैं प्रणाम करता हूँ।
जो मनु आदि राजर्षियों, मुनिश्वरों तथा सूर्य और चन्द्रमा के भी नायक हैं, उन समस्त पितरों को मैं जल और समुद्र में भी नमस्कार करता हूँ।
नक्षत्रों, ग्रहों, वायु, अग्नि, आकाश और द्युलोक तथा पृथ्वी के भी जो नेता हैं, उन पितरों को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ।
जो देवर्षियों के जन्मदाता, समस्त लोकों द्वारा वन्दित तथा सदा अक्षय फल के दाता हैं, उन पितरों को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ।
प्रजापति, कश्यप, सोम, वरूण तथा योगेश्वरों के रूप में स्थित पितरों को सदा हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ।
सातों लोकों में स्थित सात पितृगणों को नमस्कार है। मैं योगदृष्टिसम्पन्न स्वयम्भू ब्रह्माजी को प्रणाम करता हूँ।
चन्द्रमा के आधार पर प्रतिष्ठित तथा योगमूर्तिधारी पितृगणों को मैं प्रणाम करता हूँ। साथ ही सम्पूर्ण जगत् के पिता सोम को नमस्कार करता हूँ।
अग्निस्वरूप अन्य पितरों को मैं प्रणाम करता हूँ, क्योंकि यह सम्पूर्ण जगत् अग्नि और सोममय है।
जो पितर तेज में स्थित हैं, जो ये चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं तथा जो जगत्स्वरूप एवं ब्रह्मस्वरूप हैं, उन सम्पूर्ण योगी पितरो को मैं एकाग्रचित्त होकर प्रणाम करता हूँ। उन्हें बारम्बार नमस्कार है। वे स्वधाभोजी पितर मुझपर प्रसन्न हों।)

अब हाथ जोडकर प्रार्थना करे

नमो व: पितर उर्जे , नम: व: पितरो रसाय !!
नमो व: पितरो भामाय , नमो व: पितरो मंधवे !!
नमो व: पितरां पदघोरं , तस्मै नमो व: पितरो , यत क्ररं तस्मै !!

नमो व पितरो रसाय
नमो व: पितर:शोषाय
नमो व: पितरो जीवाय ,

नमो व: पितर: स्वधायै ,
नमो व: पितरो घोराय ,
नमो व: पितरोमन्यवे
नमो व: पितर: पितरो ,
नमो वो गृहान्न: ,
पितरोदत्तसतो व: पितरोदेष्मैतद्व
पितरोवास आधत्त !!

अब पितृ गायत्री मंत्र पढकर एक आचमनी जल अर्पण करे

( निम्न पितृ गायत्री का यथाशक्ति
10 या 21 या 51 या 108 संख्या मे जाप कर सकते है .. )

ॐ पितृगणाय विद्महे पितृलोक स्थिताय धीमहि तन्नो पितर: प्रचोदयात्

अब हाथ जोडकर प्रार्थना करे

ॐ श्री विष्णवे नम:
ॐ श्री विष्णवे नम:
ॐ श्री विष्णवे नम:

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