उत्तर प्रदेश

Kumbh Mela 2025: संत महात्माओं के हाथों धर्म ध्वजा स्थापना, शाही स्नान और किन्नर अखाड़े की धूम!

Kumbh Mela 2025 प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियों के बीच एक भव्य धार्मिक समारोह का आयोजन हुआ। इस शनिवार, शैव परंपरा के तीन प्रमुख अखाड़ों— श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा, और आवाहन अखाड़ा के संत महात्माओं ने मेला क्षेत्र में अपनी-अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की। इन अखाड़ों की धर्म ध्वजा स्थापित होते ही महाकुंभ 2025 की आस्था और सनातन धर्म के रंग निखरने लगे हैं, और यही संप्रदायिक, सांस्कृतिक और धार्मिक समागम इस बार कुछ और ही खास होने की दिशा में बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है।

यह आयोजन महाकुंभ के अहम पहलुओं को उजागर करता है, जो विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक मेला का हिस्सा होते हैं। हर दिन यहां साधु संतों की उपस्थिति से धर्म की गूंज और शांति का माहौल बनता है। महाकुंभ में हर वर्ष नया उत्साह और ऊर्जा मिलती है, लेकिन 2025 का महाकुंभ खास होने वाला है।

धर्म ध्वजा की स्थापना – एक नया अध्याय

इस विशेष अवसर पर तीनों प्रमुख अखाड़ों के संतों ने पूरी विधि-विधान के साथ अपने-अपने इष्ट देवता का आवाहन किया और धर्म ध्वजा महाकुंभ क्षेत्र में फहरा दी। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक महंत हरि गिरी ने इस पर टिप्पणी करते हुए बताया कि इन तीनों अखाड़ों की परंपराएं समान हैं, केवल इष्ट देवता अलग-अलग हैं। उन्होंने बताया कि इस बार तीनों अखाड़ों की धर्म ध्वजा एक ही तिथि को स्थापित की गई है, जो उनके सांस्कृतिक और धार्मिक जुड़ाव को दर्शाता है।

महंत हरि गिरी ने कहा कि इस आयोजन से महाकुंभ का भव्य रूप सामने आ रहा है, और यह दुनिया भर के श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केन्द्र बनेगा। महात्मा गिरी की बातों में एक तरह का गर्व था, क्योंकि महाकुंभ में ऐसा आयोजन हर बार नहीं देखा जाता।

महिला संतों को सम्मान – एक नयी दिशा

महिला संतों को इस बार विशेष सम्मान दिया गया है, और महाकुंभ क्षेत्र में महिला संतों की श्री पंचदशनाम जूना संन्यासी अखाड़े की धर्म ध्वजा भी स्थापित की गई है। इस अवसर पर महामंडलेश्वर दिव्या गिरी जी ने बताया कि अब महिला संतों को भी बराबरी का सम्मान मिल रहा है, जो पहले नहीं था। उन्होंने कहा, “सीएम योगी के नेतृत्व में महिला संतों के लिए एक नया रास्ता खुला है। पहले जहां महिला संन्यासियों के लिए केवल माईवाड़ा बनता था, अब जूना अखाड़ा में हमें समान अधिकार मिल रहे हैं।”

यह कदम महिलाओं की आध्यात्मिक यात्रा को सशक्त बनाने और उन्हें अपने आध्यात्मिक योगदान को सामने लाने के लिए मील का पत्थर साबित होगा। दिव्या गिरी जी ने यह भी कहा कि यह परिवर्तन सिर्फ एक छोटी सी शुरुआत है, जो आने वाले समय में और भी व्यापक रूप से दिखाई देगा।

किन्नर अखाड़े की भागीदारी

महाकुंभ 2025 में एक और महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेगा। किन्नर अखाड़े ने भी अपनी धर्म ध्वजा स्थापित की, और किन्नर समाज के संत महात्माओं का भी इस महाकुंभ में महत्वपूर्ण स्थान होगा। किन्नर अखाड़े की महा मंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरी ने इस मौके पर कहा कि उनका अखाड़ा इस बार अन्य अखाड़ों के साथ मिलकर धर्म ध्वजा की स्थापना करेगा, और यह संत महात्माओं के साथ मिलकर किन्नर समुदाय की प्रतिष्ठा को बढ़ाने में मदद करेगा।

महिला और किन्नर समुदाय के इस समर्पण से यह स्पष्ट हो जाता है कि महाकुंभ 2025 एक नया आयाम छूने वाला है। यह धार्मिक समागम केवल शुद्ध आस्था का प्रतीक नहीं होगा, बल्कि समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाने और उन्हें समान सम्मान देने का भी एक सशक्त मंच बनेगा।

अखाड़े की छावनी प्रवेश प्रक्रिया और शाही स्नान

धर्म ध्वजा की स्थापना के बाद अब महाकुंभ के दूसरे महत्वपूर्ण चरण की शुरुआत होने जा रही है। इस चरण में अखाड़ों का छावनी निर्माण होगा, और फिर वे पेशवाई निकालकर छावनी में प्रवेश करेंगे। इस बार पेशवाई का नाम बदलकर ‘छावनी प्रवेश’ रखा गया है, जो अखाड़ों की गतिविधियों में एक नया मोड़ दर्शाता है।

छावनी प्रवेश के बाद अखाड़े अपने-अपने शिविरों में रहेंगे और साधु संत मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, और बसंत पंचमी जैसे प्रमुख अवसरों पर शाही स्नान करेंगे। हालांकि, इस बार शाही स्नान का नाम बदलकर ‘राजसी स्नान’ या ‘अमृत स्नान’ रखा गया है।

संगम की रेती पर साधु संतों का जप, तप और अनुष्ठान भी इस बार कुछ अलग और खास दिखाई देगा। इन आयोजनों के दौरान शाही स्नान के दृश्य, साधुओं की तपस्या और धार्मिक अनुष्ठान दर्शकों के दिलों को छूने वाले होंगे।

महाकुंभ की तैयारी के विशेष पहलु

महाकुंभ 2025 की तैयारी में तेजी से काम हो रहा है। मेला क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का निर्माण जोर-शोर से चल रहा है, और प्रशासन द्वारा हर सुविधा का ध्यान रखा जा रहा है। सीएम योगी के निर्देश पर महाकुंभ के आयोजन के लिए एक विशेष प्रशासनिक तंत्र का गठन किया गया है, ताकि सभी गतिविधियाँ समय पर और सुचारू रूप से चल सकें।

इन तैयारियों का असर अखाड़ा क्षेत्र में पहले ही दिखाई दे रहा है। विभिन्न अखाड़ों ने अपनी धर्म ध्वजा स्थापित करके इस आयोजन की भव्यता को और भी बढ़ा दिया है। महाकुंभ में भाग लेने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आ रहे हैं, और इसकी भव्यता और धार्मिक महत्ता हर किसी को आकर्षित कर रही है।

महाकुंभ 2025 की शुरुआत हो चुकी है, और इसमें पहले से ही एक नई दिशा और नई ऊँचाइयाँ दिखाई दे रही हैं। धर्म ध्वजा की स्थापना, महिला और किन्नर संतों का सम्मान, छावनी प्रवेश और राजसी स्नान जैसे आयोजन महाकुंभ को और भी आकर्षक और अद्वितीय बना रहे हैं। इस बार महाकुंभ 2025 का आयोजन केवल धार्मिक समागम तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह एक सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक आंदोलन का रूप लेगा, जो सभी वर्गों और समुदायों को एक साथ लाएगा।

महाकुंभ 2025, एक ऐतिहासिक पल बनकर उभरने वाला है, और इसके दर्शन के लिए सभी श्रद्धालु उत्साहित हैं।

News-Desk

News Desk एक समर्पित टीम है, जिसका उद्देश्य उन खबरों को सामने लाना है जो मुख्यधारा के मीडिया में अक्सर नजरअंदाज हो जाती हैं। हम निष्पक्षता, सटीकता, और पारदर्शिता के साथ समाचारों को प्रस्तुत करते हैं, ताकि पाठकों को हर महत्वपूर्ण विषय पर सटीक जानकारी मिल सके। आपके विश्वास के साथ, हम खबरों को बिना किसी पूर्वाग्रह के आप तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। किसी भी सवाल या जानकारी के लिए, हमें संपर्क करें: [email protected]

News-Desk has 17290 posts and counting. See all posts by News-Desk

Avatar Of News-Desk

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

thirteen − seven =

Language