Muzaffarnagar News: खूंखार आवारा कुत्तों का आतंक: कलेक्ट्रेट परिसर से लेकर रिहायशी इलाकों तक दहशत में लोग!
Muzaffarnagar। शहर में आवारा और खूंखार कुत्तों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। कलेक्ट्रेट परिसर, डीएम कार्यालय, एसएसपी कार्यालय से लेकर रिहायशी इलाकों तक इन कुत्तों ने लोगों की नाक में दम कर रखा है। हाल ही में रविवार को एक युवक कलेक्ट्रेट परिसर के शौचालय में टॉयलेट करने गया, लेकिन वहां पहले से मौजूद कुत्तों के झुंड ने उसे घेर लिया और हमला कर दिया। युवक बुरी तरह घायल हो गया। यह कोई पहली घटना नहीं है, इससे पहले भी कई लोग इन कुत्तों के हमले का शिकार हो चुके हैं। नगर निगम की लापरवाही के चलते यह समस्या दिनों-दिन गंभीर होती जा रही है।
कलेक्ट्रेट और सरकारी कार्यालय भी नहीं सुरक्षित
आम जनता ही नहीं, बल्कि सरकारी कार्यालय भी इन खूंखार कुत्तों से अछूते नहीं हैं। डीएम कार्यालय और एसएसपी कार्यालय के बाहर कई बार कुत्तों के हमले की घटनाएं सामने आई हैं। अधिकारी और कर्मचारी भी इनका शिकार बन चुके हैं। बावजूद इसके प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहा है।
शहरवासियों का कहना है कि जब सरकारी दफ्तरों के बाहर ही लोग सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता का क्या हाल होगा?
रिहायशी इलाकों में कुत्तों का खौफ, बच्चों और बुजुर्गों पर हमले
शहर के अलग-अलग इलाकों, मोहल्लों और कॉलोनियों में आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इन कुत्तों का झुंड दिन-रात गलियों में घूमता रहता है और राहगीरों पर हमला कर देता है। खासकर छोटे बच्चे और बुजुर्ग इनके सबसे आसान शिकार बनते हैं।
- बच्चों के लिए खतरा: कई बार खेलते हुए बच्चे कुत्तों के हमले का शिकार हो जाते हैं। कुछ मामलों में कुत्तों के काटने की घटनाएं भी सामने आई हैं, जिससे बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाना पड़ा।
- बुजुर्गों पर भी हमला: बुजुर्ग लोग अक्सर कुत्तों के झुंड से डर जाते हैं और भागने की कोशिश में गिरकर घायल हो जाते हैं।
- रात में खतरा ज्यादा: रात के समय इन कुत्तों का आतंक और बढ़ जाता है। अंधेरे में घूम रहे लोग कुत्तों के हमलों का आसान शिकार बनते हैं।
जनहानि और आर्थिक नुकसान का जिम्मेदार कौन?
कुत्तों के हमलों से लोग घायल हो रहे हैं, जान तक गंवा सकते हैं, लेकिन प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा। इसके अलावा, कई बार ये कुत्ते दुकानों और ठेलों पर रखा सामान भी बर्बाद कर देते हैं, जिससे व्यापारियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि आवारा कुत्ते उनके ग्राहकों को डरा देते हैं, जिससे उनका व्यापार प्रभावित हो रहा है।
नगरपालिका की लापरवाही, समाधान कब?
नगरपालिका की ओर से आवारा कुत्तों की समस्या का कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया है। लोगों का कहना है कि कई बार इस मुद्दे को उठाया गया, शिकायतें दी गईं, लेकिन अब तक कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया।
शहरवासियों की मांग:
✔ नगरपालिका जल्द से जल्द स्टरलाइजेशन अभियान चलाए।
✔ आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए एक विशेष टीम गठित की जाए।
✔ सड़कों और सरकारी दफ्तरों के बाहर गश्त बढ़ाई जाए।
✔ कुत्तों के काटने की घटनाओं के लिए मेडिकल सुविधाएं तुरंत उपलब्ध कराई जाएं।
पिछले मामलों पर नजर डालें तो स्थिति और भयावह!
यह समस्या केवल मुजफ्फरनगर तक सीमित नहीं है। देश के कई अन्य शहरों में भी आवारा कुत्तों के आतंक की घटनाएं बढ़ रही हैं।
👉 2024 में कानपुर में एक बच्चा कुत्तों के हमले में बुरी तरह घायल हुआ था।
👉 दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में बुजुर्ग पर खूंखार कुत्तों के झुंड ने हमला किया था।
👉 लखनऊ में एक सरकारी अस्पताल के बाहर मरीजों पर कुत्तों का हमला हुआ था।
इन घटनाओं को देखते हुए यह साफ है कि यह केवल मुजफ्फरनगर का नहीं, बल्कि पूरे देश का एक गंभीर मुद्दा है।
सरकार और प्रशासन कब जागेगा?
प्रशासन को अब नींद से जागने की जरूरत है। अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो लोग सड़क पर उतरकर आंदोलन करने को मजबूर हो सकते हैं।
शहरवासियों का कहना है कि अगर नगर निगम और प्रशासन इस मुद्दे पर तुरंत ध्यान नहीं देता, तो वे खुद इन आवारा कुत्तों से निपटने के लिए कदम उठाएंगे।