राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhawan) की भव्यता और भारतीय राजनीति?
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 जून को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। यह ऐतिहासिक समारोह राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhawan) में आयोजित किया जाएगा। इस शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। आइए, हम आपको राष्ट्रपति भवन की भव्यता, उसकी वास्तुकला, और उससे जुड़ी रोचक जानकारियों के साथ भारतीय राजनीति के प्रभावों पर प्रकाश डालते हैं।
राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhawan): अद्भुत वास्तुकला और ऐतिहासिक धरोहर
Rashtrapati Bhawan, जो 330 एकड़ में फैला हुआ है, दुनिया की सबसे भव्य इमारतों में से एक है और भारतीय वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। इसका निर्माण 1911 के दिल्ली दरबार में ब्रिटिश भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा के बाद शुरू हुआ। ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस को नई राजधानी का खाका तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया था।
लुटियंस और उनकी टीम ने दिल्ली का मुआयना किया और पाया कि उत्तर दिल्ली में वायसराय हाउस बनाने से बाढ़ का खतरा रहेगा, क्योंकि वह इलाका यमुना नदी के पास था। इसलिए उन्होंने दक्षिणी हिस्से में रायसीना हिल्स का चयन किया, जो ऊंचाई पर होने के कारण सुरक्षित और हवादार था।
रायसीना हिल्स की जिस जमीन को वायसराय हाउस के लिए चुना गया, वह जयपुर के महाराजा की थी। इस क्षेत्र में निर्माण से पहले पहाड़ी को विस्फोटक के जरिए तोड़ा गया और जमीन को समतल किया गया। इसके बाद निर्माण सामग्री पहुंचाने के लिए एक विशेष रेलवे लाइन बिछाई गई। वायसराय हाउस का निर्माण 1928 में पूरा हुआ, जिसमें 17 साल से अधिक का समय लगा।
राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhawan) की विशेषताएं
राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhawan) चार मंजिला इमारत है और इसके अंदर छोटे-बड़े कुल 340 कमरे हैं। यह इमारत करीब 2 लाख स्क्वायर फीट में फैली हुई है और इसके निर्माण में 70 करोड़ से ज्यादा ईंटें और तीन मिलियन क्यूबिक फीट पत्थर का उपयोग किया गया। भवन के निर्माण में 23,000 मजदूर लगे थे, जिसमें से 3,000 मजदूर अकेले पत्थर काटने वाले थे।
लुटियंस ने राष्ट्रपति भवन की डिजाइन प्राचीन यूरोपीय शैली के मुताबिक तैयार की, लेकिन इसमें भारतीय वास्तु-शिल्प को भी शामिल किया गया। गुंबद सांची के स्तूप से प्रेरित था, जबकि छज्जे, छतरी, जाली, हाथी, कोबरा, और मंदिर के घंटे आदि भारतीय शिल्प के नमूने हैं।
राष्ट्रपति भवन की मेन बिल्डिंग का निर्माण हारून-अल-रशीद ने किया, जबकि आगे का हिस्सा सुजान सिंह और उनके बेटे शोभा सिंह ने बनाया, जो उस समय के नामी कांट्रेक्टर थे। प्रेसिडेंट हाउस के ठीक सामने नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक भी बनाया गया, जिसका निर्माण हरबर्ट बेकर ने किया, जो लुटियंस की तरह ही नामी आर्किटेक्ट थे।
भारतीय राजनीति और राष्ट्रपति भवन
राष्ट्रपति भवन भारतीय राजनीति का केंद्र है, जहां महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं। नरेंद्र मोदी का तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेना भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण क्षण है। यह समारोह न केवल भारतीय लोकतंत्र की ताकत को दर्शाता है, बल्कि प्रधानमंत्री के रूप में मोदी की उपलब्धियों और उनकी भविष्य की योजनाओं का भी संकेत देता है।
भारतीय संसद भवन, जिसे ‘संसद भवन’ भी कहा जाता है, भारतीय लोकतंत्र का प्रतीक है। यह वही स्थान है जहां देश के कानून बनाए जाते हैं और महत्वपूर्ण नीतियों पर चर्चा की जाती है। मोदी का तीसरी बार प्रधानमंत्री बनना संसद भवन और राष्ट्रपति भवन के महत्व को और बढ़ाता है।
भारतीय राजनीति में मोदी का प्रभाव
नरेंद्र मोदी ने अपने पिछले दो कार्यकालों में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं, जिन्होंने भारतीय राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव डाला है। उनकी नीतियां और योजनाएं भारतीय अर्थव्यवस्था, सामाजिक न्याय, और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित करती हैं।
मोदी के नेतृत्व में भारतीय राजनीति में एक नई दिशा मिली है, जहां विकास और प्रगति को प्राथमिकता दी जाती है। उनकी योजनाओं और नीतियों का असर ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में देखा जा सकता है।
निष्कर्ष
नरेंद्र मोदी का तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेना भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना है। राष्ट्रपति भवन की भव्यता और इसके इतिहास को जानना हमें भारतीय लोकतंत्र की ताकत और उसके महत्वपूर्ण धरोहर की याद दिलाता है। भारतीय राजनीति में मोदी का प्रभाव और उनकी नीतियों का असर हमारे समाज पर दीर्घकालिक प्रभाव डालता है, जो देश के विकास और प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।