भारतीय ‘इंडेन्चर’ प्रणाली भी अफ्रीकी प्रवासी श्रम प्रणाली जितनी ही दमनकारी थी-जिकालाला
दक्षिण अफ्रीका के क्वाजूलू-नेटाल प्रांत के प्रधानमंत्री सिहले जिकालाला ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में लाई गई भारतीय ‘इंडेन्चर’ प्रणाली (लोगों से मजदूरी कराने के संबंध में अतीत में किए गए अनुबंध) भी अफ्रीकी प्रवासी श्रम प्रणाली जितनी ही दमनकारी थी।
जिकालाला ने डरबन के निकट एक स्मारक कार्यक्रम में यह बात कही। गन्नेे के रोपण के लिए गिरमिटिया भारतीय मजदूरों से भरी पहली नौका 16 नवंबर 1860 को यहां पहुंची थी।
इन मजदूरों में से कई डरबन के उत्तर में माउंट एजेकॉम्बे जिले में बसे हैं, जहां देश का सबसे पुराना मंदिर श्री मरिअम्मन मंदिर है और यह अब भी धार्मिक आयोजनों के लिए लोकप्रिय है।
प्रधानमंत्री ने खदानों में काम करने के लिए सस्ते श्रम के रूप में पड़ोसी राज्यों से प्रवासी अश्वेत अफ्रीकी श्रमिकों को लाने की क्रूर प्रथा का भी उल्लेख किया।
मरिअम्मन मंदिर में लोगों को संबोधित करते हुए जकिलाला ने उन लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जो यहां आए और दमनकारी स्थितियों के बावजूद भारत लौटने के बजाय दक्षिण अफ्रीका में बस गए।
उन्होंने कहा, हम उन 1,52,000 महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के साहस, बलिदान और संघर्ष का सम्मान करते हैं।