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Japanese युवाओं के ‘पहले Kiss’ का रहस्य: रोमांस या दूरी?

Japanese युवाओं के बीच रोमांस और शारीरिक अंतरंगता को लेकर उत्सुकता और जागरूकता का स्तर बेहद अलग नजर आ रहा है। हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण ने न केवल इस सांस्कृतिक बदलाव को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि जापानी किशोर और युवा वयस्क ‘पहले Kiss’ जैसे पलों में भी सहज महसूस नहीं कर रहे हैं। यह खबर उस देश से आ रही है, जो पहले से ही जनसंख्या घटने की चुनौती का सामना कर रहा है।

Japan एसोसिएशन फॉर सेक्स एजुकेशन द्वारा जारी ताजा रिसर्च के मुताबिक, 15 से 18 वर्ष की उम्र के केवल 22.8 प्रतिशत किशोर लड़कों ने अब तक अपना पहला चुंबन लिया है। वहीं, किशोर लड़कियों का आंकड़ा 27.5 प्रतिशत पर है। तुलना करें तो, 2017 के सर्वेक्षण में ये आंकड़े लड़कों के लिए 33.9 प्रतिशत और लड़कियों के लिए 41.1 प्रतिशत थे।


रोमांस में दिलचस्पी क्यों हो रही है कम?

जापान में किशोरों की बदलती सोच और व्यवहार के पीछे कई कारण छिपे हुए हैं। 18 वर्षीय ताकुमा के मुताबिक, “जापानी लड़के स्किनशिप (भावनात्मक और शारीरिक अंतरंगता) से दूर रहते हैं। इससे उनके भीतर रोमांटिक जुड़ाव की कमी होती है।” ताकुमा की यह टिप्पणी उस सामाजिक प्रथा की ओर इशारा करती है, जिसमें शारीरिक संपर्क और भावनात्मक लगाव को संयमित रखा जाता है।

14 वर्षीय योशीहिसा, जिसने अब तक किसी लड़की को Kiss नहीं किया, ने कहा कि वह रोमांस से कतराता है। इसी तरह, 15 वर्षीय इत्सुकी ने इसे “शाकाहारी प्रवृत्ति” से जोड़ा, जो युवाओं में पारंपरिक मर्दाना भूमिकाओं और रोमांटिक रिश्तों से दूरी बनाती है।

19 वर्षीय एक अन्य युवक ने कहा, “मुझे गर्लफ्रेंड की जरूरत महसूस नहीं होती। मेरे जैसे कई लड़के यही सोचते हैं।”


जापान की घटती जनसंख्या और सरकार की चिंता

यह स्थिति केवल व्यक्तिगत पसंद तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सीधा असर जापान की जनसंख्या पर पड़ रहा है। जापान में जन्म दर लगातार गिर रही है और सरकार युवाओं को शादी और बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जैसे आर्थिक सहायता, शादी में प्रोत्साहन और बच्चों के लिए बेहतर सुविधाएं। लेकिन युवाओं की सोच बदलने के लिए यह प्रयास फिलहाल पर्याप्त साबित नहीं हो रहे हैं।


क्या हैं इन बदलावों के कारण?

  1. तकनीक और डिजिटल मीडिया का प्रभाव
    डिजिटल युग में युवा सोशल मीडिया और वर्चुअल रिलेशनशिप में ज्यादा समय बिता रहे हैं। इससे वास्तविक दुनिया में रिश्तों और भावनाओं के प्रति उनका झुकाव कम हो रहा है।
  2. सामाजिक दबाव और शिक्षा
    जापान में शिक्षा और करियर को प्राथमिकता दी जाती है। युवाओं पर पढ़ाई और नौकरी का दबाव इतना ज्यादा है कि उनके पास रोमांस या रिश्तों के लिए समय नहीं बचता।
  3. सांस्कृतिक परिवर्तनों का असर
    जापानी समाज में पारंपरिक रिश्तों और विवाह की अवधारणा बदल रही है। आज की पीढ़ी “सिंगल लाइफ” को ज्यादा प्राथमिकता देती है।
  4. आर्थिक असुरक्षा
    युवाओं के बीच आर्थिक स्थिरता की कमी भी एक बड़ा कारण है। वे शादी और परिवार को आर्थिक बोझ के रूप में देखते हैं।

क्या रोमांस का युग खत्म हो रहा है?

जापान में यह स्थिति केवल रोमांस तक सीमित नहीं है। यह सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव का संकेत है। एक ओर जहां दुनिया भर में युवा अपने पहले Kiss या रिश्तों के लिए उत्साहित रहते हैं, वहीं जापान में यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं।

विकसित देशों में जहां जीवनशैली में बदलाव देखने को मिलता है, वहीं जापान में रोमांस और संबंधों से दूरी बनाना एक नई सोच को दर्शाता है।


क्या हो सकते हैं समाधान?

  1. सामाजिक जागरूकता बढ़ाना:
    युवाओं के बीच रोमांटिक रिश्तों की महत्वता को समझाने के लिए शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम चलाने की जरूरत है।
  2. संतुलित जीवनशैली:
    शिक्षा और करियर के साथ व्यक्तिगत जीवन को संतुलित करने की आवश्यकता है।
  3. सरकार का सहयोग:
    सरकार को केवल आर्थिक योजनाओं तक सीमित न रहकर, युवाओं की मानसिकता को बदलने के लिए भी कदम उठाने चाहिए।

जापान में युवाओं के बीच रोमांस से दूरी और पहले Kiss में दिलचस्पी की कमी सिर्फ व्यक्तिगत पसंद तक सीमित नहीं है। यह समाज, संस्कृति और शिक्षा व्यवस्था का एक परिणाम है। जबकि सरकार जनसंख्या वृद्धि के लिए प्रयास कर रही है, युवाओं के भीतर रिश्तों के प्रति जागरूकता और समझ विकसित करना भी उतना ही जरूरी है।

यह खबर न केवल जापान, बल्कि दुनिया के बाकी देशों के लिए भी एक सबक है कि कैसे समाज और संस्कृति के बदलाव भविष्य की पीढ़ी को प्रभावित कर सकते हैं।

दीपांशु सैनी

इं0 दीपांशु सैनी (सहारनपुर, उत्तर प्रदेश) उभरते हुए कवि और लेखक हैं। जीवन के यथार्थ को परिलक्षित करती उनकी रचनाएँ अत्यन्त सराही जा रही हैं। (सम्पर्क: 7409570957)

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