Featureवैश्विक

970 किमी/घंटा की रफ्तार! जेट से तेज़ Tsunami सुनामी 🌊लहरों का कहर — रूस से चिली तक मचा हड़कंप?

रूस के सुदूर पूर्वी कामचटका प्रायद्वीप में बुधवार को 8.8 तीव्रता का भयानक भूकंप आया, जिसने समुद्र की गहराइयों में हलचल मचा दी। इसके बाद उठीं सुनामी Tsunami लहरें इतनी तेज़ थीं कि उनकी गति ने जेट विमानों को भी पछाड़ दिया। 970 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती इन लहरों ने कुछ ही घंटों में पूरे प्रशांत महासागर में दहशत फैला दी।

तबाही का सिलसिला यहीं नहीं रुका—भूकंप के बाद पेनिनसुला में सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में विस्फोट हुआ। फ्रेंच पोलिनेशिया से लेकर चिली और हवाई तक सुनामी की चेतावनी जारी कर दी गई। जापान के पूर्वी तटीय क्षेत्रों को खाली कराया गया, जो पहले ही 2011 की भयावह सुनामी का दर्द झेल चुके हैं।


🌐 सुनामी की रफ्तार कितनी होती है?

सुनामी की रफ्तार समुद्र की गहराई पर निर्भर करती है। गहरे समुद्र में इनकी गति 800 से 970 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है। यानी एक जेट विमान जितनी स्पीड! जबकि जब यही लहरें उथले पानी में पहुंचती हैं तो इनकी गति घटती है लेकिन ऊंचाई और विनाशक शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।


📚 सुनामी आखिर होती क्या है?

सुनामी (Tsunami) एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ है ‘बंदरगाह की लहर’। यह समुद्र के नीचे आने वाले भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, चट्टानों के खिसकने, या अंतरिक्ष से गिरे उल्कापिंड के कारण उत्पन्न हो सकती है।

जब समुद्र के नीचे स्थित टेक्टोनिक प्लेट्स अचानक हिलती हैं और समुद्र तल ऊपर या नीचे विस्थापित हो जाता है, तो इसकी सतह का पानी बुरी तरह हिल जाता है। यही हिलता पानी लहरों की श्रृंखला बनाता है, जिसे हम सुनामी कहते हैं।

रिक्टर स्केल पर 6.75 से अधिक तीव्रता वाले पानी के अंदर भूकंप सुनामी लाने में सक्षम होते हैं।


🚨 कैसे मचाती है सुनामी तबाही?

  • गहरे समुद्र में सुनामी की लहरें लंबाई में सैकड़ों किलोमीटर तक फैल सकती हैं, लेकिन ऊंचाई कम रहती है — लगभग 3 फीट।

  • जैसे ही ये लहरें किनारे की ओर बढ़ती हैं और पानी उथला होता है, तो उनकी गति घटती है और ऊंचाई बढ़ती जाती है

  • लहरों के ऊपरी हिस्से तेज चलते हैं जबकि नीचे वाला भाग धीमा होता है, जिससे लहर ऊपर उठने लगती है और भयंकर रूप ले लेती है।

जब यह पानी किनारे से टकराता है, तो यह ‘लहर’ नहीं बल्कि ‘पानी की दीवार’ बन जाता है। और यही दीवार हर उस चीज़ को बहा ले जाती है जो उसके रास्ते में आती है — घर, गाड़ियां, सड़कें, यहां तक कि इंसानी ज़िंदगियां भी।


🌍 कहां-कहां आती हैं सबसे ज़्यादा सुनामी?

प्रशांत महासागर के चारों ओर फैला ‘रिंग ऑफ फायर’ क्षेत्र दुनिया का सबसे संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है:

  • 90% भूकंप यहीं होते हैं

  • 80% सबसे बड़े भूकंप यहीं रिकॉर्ड हुए हैं

  • 80% सुनामी घटनाएं भी इसी क्षेत्र में होती हैं

कामचटका, जापान, इंडोनेशिया, चिली, और अलास्का जैसे क्षेत्र सुनामी के सबसे बड़े हॉटस्पॉट हैं। भारत और बांग्लादेश भी इस खतरे की ज़द में रहते हैं, जैसा कि 2004 की हिंद महासागर सुनामी ने दिखा दिया था।


⚠️ सुनामी से कैसे बचें? सावधानी ही सुरक्षा है!

  • समुद्र में अचानक पानी का पीछे हटना (शोरलाइन का खाली होना) सुनामी का सबसे पहला संकेत हो सकता है।

  • सरकारी चेतावनी तंत्र पर भरोसा करें और किसी अफवाह पर न जाएं।

  • समुद्र के पास रहने वालों के लिए ऊंचे इलाकों में सुरक्षित स्थानों की पहचान करना ज़रूरी है।

  • स्कूल, कार्यालय और घरों में सुनामी ड्रिल करवाना बेहद आवश्यक हो गया है।


🌋 भूकंप कैसे आता है? जानिए इसका विज्ञान

जब पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे के विपरीत दिशा में खिसकती हैं, तो उनमें तनाव उत्पन्न होता है। जब ये तनाव एक सीमा से ज्यादा हो जाता है, तो अचानक भारी ऊर्जा का विस्फोट होता है — यही है भूकंप।

इस ऊर्जा से उत्पन्न होती हैं:

  • भूकंपीय तरंगें (Seismic Waves)

  • गर्मी और चट्टानों का टूटना

  • और कई बार समुद्री तल की ऊपरी परत में विस्थापन


🔎 क्या हर समुद्री भूकंप सुनामी लाता है?

नहीं। जरूरी नहीं कि हर समुद्र के नीचे आया भूकंप सुनामी लाए। उसके लिए कुछ शर्तें जरूरी होती हैं:

  • कम से कम 6.75 तीव्रता का भूकंप

  • समुद्र के नीचे डिस्प्लेसमेंट होना

  • ऊर्जा का लंबवत विस्थापन

अगर इन सभी शर्तों का मेल हो जाए, तो ही एक विनाशकारी सुनामी की आशंका होती है।


🧠 वैज्ञानिक चेतावनी और भविष्य की तैयारी

वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले दशकों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से सुनामी की आवृत्ति और भी बढ़ सकती है। भूमि के कटाव, ज्वालामुखी गतिविधियों और टेक्टोनिक मूवमेंट्स में इज़ाफा सुनामी के खतरे को और बढ़ा सकता है।

इसलिए ज़रूरत है एक सशक्त मॉनिटरिंग नेटवर्क और तटीय क्षेत्रों के लोगों को लगातार जागरूक करने की।


ताजातरीन घटनाओं से यह स्पष्ट हो गया है कि प्रकृति की ताकत के सामने हम असहाय हैं, लेकिन सही जानकारी, सतर्कता और वैज्ञानिक चेतावनी प्रणालियों की मदद से हम इन आपदाओं से बड़े स्तर पर नुकसान को टाल सकते हैं। सुनामी जैसी घातक लहरों की रफ्तार जितनी तेज होती है, उतनी ही तेज हमें भी सजग होना होगा।

 


Note: यह एक प्रमाणिक समाचार आधारित जानकारी है, जिसका उद्देश्य जन-जागरूकता बढ़ाना है।

Shyama Charan Panwar

एस0सी0 पंवार (वरिष्ठ अधिवक्ता) टीम के निदेशक हैं, समाचार और विज्ञापन अनुभाग के लिए जिम्मेदार हैं। पंवार, सी.सी.एस. विश्वविद्यालय (मेरठ)से विज्ञान और कानून में स्नातक हैं. पंवार "पत्रकार पुरम सहकारी आवास समिति लि0" के पूर्व निदेशक हैं। उन्हें पत्रकारिता क्षेत्र में 29 से अधिक वर्षों का अनुभव है। संपर्क ई.मेल- [email protected]

Shyama Charan Panwar has 334 posts and counting. See all posts by Shyama Charan Panwar

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ten − three =