विश्व हिंदू महासंघ दीपोत्सव से स्थापना दिवस मनाएगा: प्रदेश मंत्री प्रमोद त्यागी
विश्व हिंदू महासंघ के प्रदेश मंत्री प्रमोद त्यागी ने बताया कि विश्व हिंदू महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष भिखारी प्रजापति ने सभी साथियों को नवरात्रि व श्री रामनवमी की ढेर सारी शुभकामनाएंं देते हुए आह्वान किया है कि विश्व हिंदू महासंघ की 40 वीं वर्षगांठ 21 अप्रैल 2021 श्री राम नवमी के दिन दीपोत्सव द्वारा मनायी जाए।
प्रदेश अध्यक्ष ने विश्व हिंदू महासंघ उत्तर प्रदेश के सभी साथियों से आह्वान किया कि , 21 अप्रैल श्री राम नवमी के दिन प्रातः काल अपने घर पर केसरिया ध्वज लगाएं , लगवाएं । सायंकाल कम से कम एक दीप या 40 या 41 या अपनी इच्छा अनुसार दीपों को प्रज्वलित कर स्थापना दिवस मनाए़ं। सोशल साइट्स पर इसका विधिवत प्रचार-प्रसार भी करें।
विश्व हिंदू महासंघ का इतिहास बताते हुए कहा कि बीसवीं शताब्दी में 70 के दशक के आसपास देश दुनिया में सनातन धर्म , आर्य संस्कृति व हिंदुत्व के प्रति बढ़ते खतरों से सावधान करने तथा लोगों को सही मार्ग पर लाने के लिए जगतगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चारों पीठों के शंकराचार्य, नेपाल नरेश वीरेंद्र वीर विक्रम शाहदेव, विश्व हिंदू परिषद के माननीय अशोक सिंघल तथा गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की गरिमामयी उपस्थिति में 12 अप्रैल 1981 श्री राम नवमी के दिन पिपरा, वीरगंज, धर्मपुरी नेपाल में हिंदुओं को संगठित करने का पहला प्रयास अंतर्राष्ट्रीय हिंदू सम्मेलन के रूप में हुआ।
दूसरा अंतर्राष्ट्रीय हिंदू सम्मेलन 24 मार्च से 28 मार्च तक सन् 1988 में विश्व के एकमात्र हिंदू राष्ट्र नेपाल में ही हुआ. इसी सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय हिंदू सम्मेलन का नाम बदलकर विश्व हिंदू महासंघ किया गया।
इसका केंद्रीय कार्यालय नेपाल की राजधानी काठमांडू में है। संयुक्त राष्ट्र संघ में इसका रजिस्ट्रेशन वर्ष 1984 में हुआ। रजिस्ट्रेशन नंबर 25 /2040 है।
विश्व हिंदू महासंघ के अंतर्गत वैदिक, बौद्ध , जैन ,नागा , ओंकार परिवार में आस्था व किसी भी रुप में भारतीय संस्कृति में विश्वास रखने वाले लोगों के साहित्य व भाषाओं को बढ़ावा देते हुए इन सबके बीच शैक्षिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक ,दार्शनिक तथा हर स्तर पर हिंदू समाज के बीच हिंदू संस्कृति को बनाए रखना विश्व हिंदू महासंघ का एकमात्र उद्देश्य है ।
गौ हत्या का निषेध, पुनर्जन्म में विश्वास , वसुधैव कुटुंबकम् की संस्कृति , संस्कृत की रक्षा व विस्तार इसके मूल में स्थित है । सभी साथी स्थापना दिवस को दीपोत्सव द्वारा मनाएं। सोशल साइट्स पर अवश्य डालें।