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इस्राइल की सेना के साथ-साथ हमास जैसे फिलस्तीनी गुटों के भी कथित युद्ध अपराधों की जांच की जाएगी- आईसीसी

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) ने फिलस्तीनी इलाकों में इस्राइल के कथित युद्ध अपराधों की जांच का रास्ता खोल दिया है। शुक्रवार को आए कोर्ट के फैसले को इस्राइल के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

फैसले में कोर्ट ने जांच के दायरे में उन इलाकों को भी शामिल करने का निर्णय दिया, जिन पर 1967 के युद्ध में इस्राइल ने कब्जा कर लिया था। अब कोर्ट की मुख्य अभियोजक फताउ बेनसौदा गाजा पट्टी और पश्चिमी किनारे में इस्राइल की सैनिक कार्रवाइयों की जांच करेंगी।

अमेरिकी टीवी चैनल एनबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक फैसला आने के बाद बेनसौदा ने कहा कि 2019 में ही युद्ध अपराधों की जांच शुरू करने का तार्किक आधार मौजूद था।

इसके बावजूद उन्होंने जांच शुरू करने के पहले कोर्ट से ये तय करने को कहा कि जांच के दायरे में कौन-कौन से इलाके आएंगे। बेनसौदा के मुताबिक इस्राइल की सेना के साथ-साथ हमास जैसे फिलस्तीनी गुटों के भी कथित युद्ध अपराधों की जांच की जाएगी।

आईसीसी में ये मामला फिलस्तीनी कार्यकर्ता 2015 में ले गए थे। उन्होंने 2014 में फिलस्तीनी लड़ाकुओं के खिलाफ गाजा पट्टी में छेड़े गए युद्ध में इस्राइल की कथित आपराधिक कार्रवाइयों की जांच की गुजारिश की थी। साथ ही उन्होंने पश्चिमी किनारे और कब्जा किए गए पूर्वी यरुशलम में बस्तियां बनाने की इस्राइली कार्रवाई की जांच की अपील भी की थी।

इस्राइल ने पश्चिमी किनारे, गाजा और पूर्वी यरुशलम पर 1967 के युद्ध में कब्जा कर लिया था। फिलस्तीनी इन इलाकों को अपने प्रस्तावित देश में शामिल करना चाहते हैं।

पश्चिमी किनारे और पूर्वी यरुशलम में बसाई गई बस्तियों में अभी करीब सात लाख इस्राइली रहते हैं। फिलस्तीनी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ज्यादा हिस्सा इन बस्तियों को गैर- कानूनी मानता है। इन बस्तियों को इस्राइल और फिलस्तीन के बीच शांति कायम करने की राह में एक बड़ी बाधा भी समझा जाता है।

फिलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के वरिष्ठ सहयोगी नबील शाथ ने इस फैसले को एक अच्छी खबर बताया। उन्होंने कहा कि अब अगला कदम यह है कि फिलस्तीनी लोगों के खिलाफ ‘इस्राइल के अपराधों’ की जांच की जाए।

लेकिन कोर्ट के फैसले के तहत इस बात की संभावना है कि फिलस्तीनी उग्रवादी गुटों की कार्रवाइयों की भी जांच हो। इनमें इस्राइल के नागरिक इलाकों पर हमास की फायरिंग की जांच भी शामिल है। हमास एक कट्टरपंथी इस्लामी गुट है, जिसका गाजा पट्टी पर शासन है। अमेरिका ने उसे आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है।

इस्राइल आईसीसी का सदस्य नहीं है। उसने कहा है कि कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसला दिया है। इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बयान में कहा कि ये फैसला लोकतांत्रिक देशों के आतंकवाद के खिलाफ अपनी रक्षा रखने के अधिकार का हनन करता है।

चूंकि इस्राइल आईसीसी का सदस्य नहीं है, इसलिए इस कोर्ट के लिए अपने फैसले को लागू करवाना मुश्किल होगा। फिर भी कोर्ट दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ वारंट जारी कर सकता है। इससे संभव है कि उन अधिकारियों के लिए अपने देश से बाहर जाना मुश्किल हो जाए।

इस्राइल की तरह अमेरिका भी आईसीसी का सदस्य नहीं है। पिछले साल आईसीसी ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की भूमिका की जांच की कोशिश की थी। तब अमेरिका ने आईसीसी के कई अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिया था। उनमें अभियोजक बेनसौदा थीं। तब पूर्व डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने बेनसौदा का वीजा पिछले साल रद्द कर दिया था।

जो बाइडन प्रशासन ने कहा है कि वह ट्रंप प्रशासन के उन फैसलों की समीक्षा करेगा।

 

News Desk

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