इज़्ज़त के नाम पर हैवानियत: Balochistan में भाई ने खुद बहन को गोलियों से भूना, ऑनर किलिंग के नाम पर दोहरे कत्ल का खौफनाक वीडियो वायरल
Balochistan की राजधानी क्वेटा से करीब 20 किलोमीटर दूर एक सुनसान पहाड़ी इलाके में, मई 2024 को इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला वहशी मंजर सामने आया, जिसने पूरे पाकिस्तान को हिला कर रख दिया। एक महिला और पुरुष को कथित “इज़्ज़त” के नाम पर मौत के घाट उतार दिया गया। लेकिन इस बार ये सिर्फ एक ऑनर किलिंग नहीं, बल्कि साजिश, सत्ता, पितृसत्ता और कबायली क्रूरता का मिला-जुला खतरनाक रूप था।
वीडियो वायरल होते ही मचा हंगामा, सरकार हरकत में
ये पूरी घटना कैमरे में कैद थी, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। वीडियो में दिखता है कि हथियारबंद लोग दो वाहनों—एक SUV और एक पिकअप ट्रक—में महिला और पुरुष को लेकर आते हैं। महिला को नीचे उतारते हैं, उसके हाथ में कुरान की एक प्रति दी जाती है। महिला—जिसकी पहचान बाद में बानो बीबी के रूप में हुई—आखिरी बार ब्राहवी भाषा में कहती है, “मेरे साथ सात कदम चलो, फिर तुम मुझे गोली मार सकते हो।” वो जानती थी कि मौत उसकी राह देख रही है।
भाई ने ही चलाई गोलियां, खून से सनी इज़्ज़त की तस्वीर
इस वीडियो में जो सबसे ज्यादा रूह कंपाने वाला हिस्सा था, वो था गोली मारने वाले शख्स की पहचान—जो और कोई नहीं, बानो बीबी का सगा भाई था। उसकी आंखों में गुस्सा नहीं, बल्कि ठंडी क्रूरता थी। उसने पास से पिस्तौल तानकर पहले बानो बीबी पर तीन गोलियां दागीं। फिर वहीं खड़े एहसान उल्लाह को भी मौत के घाट उतार दिया गया।
लाशों पर भी बरसीं गोलियां
हत्या के बाद भी हैवानियत नहीं रुकी। वीडियो में साफ दिखता है कि मौजूद लोग दोनों की लाशों पर गोलियां बरसाते रहे—जैसे किसी जानवर को मारा गया हो। इस तरह की बेरहमी, जो किसी सभ्य समाज की कल्पना से भी बाहर हो, पाकिस्तान के उस इलाके में खुलकर दिखाई दी जहां परंपरा, मर्दानगी और सत्ता का तानाशाही घालमेल अभी भी सांस ले रहा है।
कबायली पंचायती हुक्म और सरदार की क्रूरता
इस बर्बरता की जड़ में था एक कबीलाई पंचायत (जिरगा) का फ़ैसला। सरदार शेरबाज खान, जो एक स्थानीय कबायली नेता हैं, उन्होंने बानो और एहसान को अपनी पंचायत में पेश किया। वहां बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के, सिर्फ ‘परंपरा’ और ‘इज़्ज़त’ के नाम पर मौत की सजा सुना दी गई।
सरदार ने न केवल यह फैसला सुनाया, बल्कि उसकी पालना भी सुनिश्चित करवाई। यहां कानून नहीं, सरदार की बात अंतिम होती है।
अब तक 13 गिरफ्तार, कई फरार
बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री सरफराज बुगती ने मामले की पुष्टि की और बताया कि अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बताया कि FIR में 8 नामज़द और 15 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है। इस हत्याकांड में कई और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
पुलिस अधिकारी सैयद सुबूर आगा ने पुष्टि की कि यह हत्या एक साजिशन अंजाम दी गई घटना है और इसमें बानो का भाई मुख्य भूमिका में था। वह अभी फरार है।
PPP अध्यक्ष बिलावल भुट्टो की प्रतिक्रिया: “दरिंदों को सज़ा मिलेगी”
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने घटना पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए बयान दिया—“ये दरिंदे इंसान कहलाने के लायक नहीं हैं। हम सुनिश्चित करेंगे कि इन्हें कोई छूट न मिले।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस मामले को अनदेखा नहीं करेगी।
बलूच महिलाओं की आवाज़—सम्मी दीन बलूच ने कहा ‘बस बहुत हुआ’
बलूच कार्यकर्ता सम्मी दीन बलूच ने एक्स पर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं—“एक महिला के तौर पर, यह घटना मेरे लिए बेहद दर्दनाक है। ऑनर किलिंग केवल हत्या नहीं, बल्कि समाज का पतन है। हमें बलूच महिलाओं को अपने फैसले लेने की आज़ादी देनी होगी।”
ऑनर किलिंग: पाकिस्तान में बढ़ता काला सच
2024 में ही, SSDO (Sustainable Social Development Organization) के अनुसार, पाकिस्तान में 547 ऑनर किलिंग की घटनाएं दर्ज हुईं। इनमें से 32 सिर्फ बलूचिस्तान में हुईं और इनमें से सिर्फ एक मामले में सजा हुई। आंकड़े बताते हैं कि इज़्ज़त के नाम पर हत्या, वहां की सामाजिक संरचना का अंग बन चुकी है।
मानवाधिकार संगठनों का कहना—राज्य खुद है जिम्मेदार
Human Rights Commission of Pakistan (HRCP) के महासचिव हैरिस खालिक ने स्पष्ट कहा—“राज्य ने कबीलाई सरदारों को संरक्षण दिया है। उनकी सत्ता को कायम रखने के लिए कानून की बलि चढ़ाई जाती है। यही कारण है कि ऑनर किलिंग जैसे मामले सरेआम अंजाम दिए जाते हैं।”
क्या महिलाओं की जान की कोई कीमत नहीं?
हर बार यह सवाल उठता है और हर बार वह चुपचाप दफन कर दिया जाता है। क्या बानो बीबी की गलती सिर्फ इतनी थी कि वह अपनी मर्ज़ी से जीना चाहती थी? क्या एहसान उल्लाह ने कोई अपराध कर दिया था जो उसने एक महिला के साथ प्यार करने की हिम्मत की?
सिस्टम का ढांचा, कबायली सरदार और कानून की चुप्पी
Balochistan के कई हिस्सों में आज भी कानून का राज नहीं, बल्कि सरदारों और जिरगाओं का राज चलता है। ये परंपराएं अब मानवाधिकार की सबसे बड़ी दुश्मन बन चुकी हैं। पुलिस और राज्य के ढांचे को चाहिए कि वह इस चक्र को तोड़े और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाए।