Malaria को बाय-बाय: करें Homeopathy के बल पर- कारण, लक्षण और बचाव
Malaria एक प्रोटोजोअल बीमारी है जिसका कारण इन्फेक्शन के साथ ” जिनस प्लाजमोडियम ” का पारासाइट है जो एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में ‘ मादा एनोफिल ‘ नामक मच्छर के काटने से फैलता है, मच्छर के काटने के बाद आर.बी.सी. के अंदर प्लाजमोडियम का रिप्रोडक्शन होता है और Intermittent Periodic Fever Produce करता है . यह एक आक्रांत है जो 3 स्टेज में पुरा होता है.
१-ठंढ का अन्तराल
२-गर्म अंतराल और
३-पसीना की अवस्था
यह बार – बार कुछ समय के अंतराल पर आता है जो पारासाइट के जाति पर निर्भर करता है. यह चार तरह का होता है .
( 1 ) Plasmodium Vivax
( 2 ) Plasmodium ovalc
( 3 ) Plasmodium Malarca
( 4 ) Plasmodium Palcifarum
इसमे से एक प्लाजमोडियम है जो मनुष्य के मृत्यु का जिम्मबार है। वह है “ प्लाजमोडियम जैल्सी ” इसके करण मनुष्य की मृत्यु भी हो जाती है . यह स्मॉल मोटाइल रूप में होता है इसलिए Malaria का इन्फेक्शन जल्दी से खून के द्वारा लीवर के पैरासाइमल सेल में चला जाता है और अपना रिप्रोडक्शन करता है यानि अपनी जनसंख्या बढ़ाता है
जब लीवर सेल ब्रस्ट करता है तो मिरोजाआइट्स ब्लड के द्वारा इन्फेक्शन का लक्षण देना शुरू करता है . इसका इन्फेक्शन प्रीयड 10 से 15 दिन का होता है . इसका लक्षण 3 स्टेज में होता है।
- ठंड अवस्था: – ” इसमें मरीज को बहुत ठंड लगती है , मरीज सिर से लेकर पांव तक ढ़के रहता है . इतनी ठंड होती है कि ठंड से दांत किटकिटाता है और धीरे – धीरे टेम्परेचर बढ़ने लगता है . कोल्ड स्टेज लगभग 30 मिनट का होता है .
- गर्म अवस्था: – कोल्ड स्टेज के बाद हॉट स्टेज आता है . इसमें ठंड लगना बंद हो जाता है और मरीज को बहुत ज्यादा गर्मी अनुभव होने लगती है . मरीज एक – एक करके शरीर से चादर हटाने लगता है . टेम्परेचर ज्यादा होने के कारण सिर में तेज दर्द , उल्टी , मुंह सुखना , प्यास बढ़ जाना और शरीर में जलन होने लगती है . टेम्परेचर लगभग 100 ° F या उससे भी ज्यादा हो जाता है . हॉट स्टेज लगभग 3 से 4 घंटे का होता है
- पसीना की अवस्था: – हॉट स्टेज के बाद स्वीटिंग स्टेज आता है . इस स्टेज में क्रमशः ताप कम हो जाता है . शरीर ठंडा हो जाता है और मरीज अपने आप को अच्छा महसुस करने लगता है.
स्वीटिंग स्टेज लगभग 2 से 3 घंटे का होता है . प्लाजमोडियम जैल्सी को अटैक 4 से 5 दिन के अंतर पर होता है . कभी – कभी मलेरिया बुखार एक निश्चित समय पर ही आता है. प्लाजमोडियम वाइवेक्स और प्लाजमोडियम ऑवेल के केस में प्रत्येक 48 घंटे पर बुखार आता है.
Diagnosis : Intermittent Periodic fever आता है . इसमें लीवर और प्लीहा का साइज बड़ा हो जाता है . ब्लड में इन्फेक्शन के कारण ब्लड की कमी हो जाती है . ब्लड टेस्ट ( मलेरिया पारासाइट टेस्ट ) कखाए तो विशेष का पारासाइट नजर आता है
जांच : –
- टी . सी . डी . सी .
- हिमोग्लोबिन
- एम . पी . टेस्ट
Malaria बचाव: होमियोपैथिक (Homeopathy) दवाएं-
1. सिनकोना 200 : – यह मलेरिया की सबसे मुख्य दवा है . पिरीयोडिक बुखार होता है जो प्रत्येक सप्ताह में आता है . यह मलेरियां के साढ़े स्टेज में फायदा करता है , ठंडा लगने — के पहले प्यास लगती है पूरे शरीर में दर्द होता है . सिर दर्द भी होता है . नरीज दुबला – पतला डॉ . सोनी कुमारी कमजोर हो जाता है . बुखार कन जाने के बाद मरीज आराम से सोता है
2. आर्सेनिक एल्ब : – इसमें बुखार बहुत तेज रहता है , मियादी बुखार होता है . मरीज कमजोर हो जाता है . इसका बुखार आधी रात के बाद बढ़ता है और मरीज बेचैन हो जाता है . बहुत ज्यादा प्यास होती है . थोड़ा – थोड़ा पानी थोड़े – थोड़े अंतर पर ही पीता है . यह सबसे महत्वपूर्ण लक्षण है , मरीज को सर्दी खांसी भी रहती है.
3. यूपेटोरियम पर्फ : – इसके बुखार में ठंड के साथ बहुत ज्यादा बदन दर्द होता है और प्यास भी रहती है . उल्टी के जैसा लगता है . कभी – कभी पित्त का उसे भी हो जाती है . सिर में तेज दर्द रहता है . इस दवा को ” Boneset के नाम से जानते हैं.
4. अल्स्टोनिया :- मलेरिया बुखार के साथ मरीज को पतला दस्त भी होता है . पांचन शक्ति कमजोर होने के कारण मरीज कमजोर हो जाता है . यह मलेरिया में टॅनिक का काम करता है . भूख लगती है पर खाने के बाद तुरंत पैखाना के लिए जाना पड़ता है.
5. अमोनियम पिक : – मलेरिया बुखार के साथ सिर में तेज दर्द होता है और उल्टी के जैसा लगता है . खांसी भी होता है . कमजोरी के कारण मरीज खड़ा होता है तो चक्कर जैसा लगता है . मलेरिया के साथ स्नायु दर्द में बहुत अच्छा काम करता है
6. फेरम फॉस – 6x : – यह हर तरह के बुखार में फायदा है . बुखार के पहले स्टेज की बहुत ही अच्छी दवा है . ठंड के साथ बुखार आती है . मरीज एनेमिक होता है , दुबला – पतला कमजोर होता है . यह एक टॉनिक का काम करता है और शरीर को ऑक्सीजन प्रदान करता है
7. कोनस सिरसीनेय : – ने बहुत अच्छा फायदा करता है जिसमें मरीज का लीवर का माइज बड़ा हो जाता है और साथ में पेट फुलने लगता है मुंह में छाले पड़ जाते है बदबूदार पतला दस्त होने लगता है ।