Ceasefire के तुरंत बाद हमला: Pakistan की विश्वासघातपूर्ण नीति और आतंकवाद की नापाक साजिश?
आतंकी हमले की कड़ी और Pakistan का हाथ
इस हमले के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पाया कि इस हमले में पाकिस्तान से जुड़े आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का हाथ था। हमलावरों की पहचान होते ही यह स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान ने आतंकवादियों को पाकिस्तान के भीतर प्रशिक्षण देने और उन्हें भारत में घुसपैठ करने के लिए प्रायोजित किया था। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का भी इसमें सीधा हाथ होने की बात सामने आई है। इस हमले का उद्देश्य भारतीय सैनिकों और आम नागरिकों के बीच भय का माहौल बनाना था।
Pakistan की दोहरी नीति: शांति के नाम पर छल
Pakistan ने हमेशा शांति की बातें की हैं, लेकिन उसकी आंतरिक नीति आतंकवाद और हिंसा को बढ़ावा देने की रही है। पाकिस्तान की सेना और ISI हमेशा आतंकी संगठनों के साथ मिलकर काम करती रही है, चाहे वह कश्मीर में आतंकवादियों को प्रायोजित करना हो, या फिर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवादियों को पनाह देना हो। यह कोई पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने शांति के नाम पर छल किया है।
1999 का कारगिल युद्ध: पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध के दौरान भारत के साथ शांति वार्ता की, लेकिन उसके बाद ही पाकिस्तान ने अपनी सेना को कारगिल के इलाकों में भेज दिया।
2001 का संसद हमला: पाकिस्तान ने आतंकवादियों को भारतीय संसद पर हमला करने की अनुमति दी, जिससे दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई।
2008 का मुंबई हमला: यह हमला पाकिस्तान के समर्थन से हुआ, जिससे पाकिस्तान की आतंकवाद को बढ़ावा देने की नीति उजागर हुई।
उरी और पुलवामा जैसे हमले: ये हमले पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकियों के कारण हुए और भारत के सुरक्षा बलों को निशाना बनाया गया।
इसलिए यह कोई नई बात नहीं है कि पाकिस्तान ने सीज़फायर के बाद भी आतंकवादियों को पाकिस्तान के भीतर पनाह दी और उन्हें भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की अनुमति दी।
भारत की प्रतिक्रिया: सैन्य और कूटनीतिक कदम
पाकिस्तान के इस हमले के जवाब में भारत ने त्वरित और सटीक सैन्य कार्रवाई की। भारतीय सेना ने पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाई और आतंकवादी लॉन्च पैड्स को नष्ट कर दिया। इसके साथ ही, भारतीय सरकार ने कूटनीतिक स्तर पर भी पाकिस्तान को कठोर संदेश दिया कि आतंकवाद के खिलाफ भारत का संघर्ष जारी रहेगा।
पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक दबाव
भारत को केवल सैन्य प्रतिक्रिया से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। अब समय आ गया है कि भारत पाकिस्तान को आतंकवाद के प्रायोजक के रूप में वैश्विक मंचों पर पहचान दिलाए। इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र, G20 और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाना चाहिए, ताकि पाकिस्तान पर दबाव डाला जा सके। पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश दिया जाना चाहिए कि अब आतंकवाद को पनाह देने की नीति अब और नहीं चलेगी।
पाकिस्तान का आतंकवाद के प्रति समर्थन: वैश्विक खतरा
पाकिस्तान की आतंकवाद को समर्थन देने की नीति अब वैश्विक चिंता का विषय बन चुकी है। पाकिस्तान अपने आतंकवादी संगठनों को न केवल पनाह देता है, बल्कि उन्हें पूरी दुनिया में भारतीय और अन्य देशों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त होने की अनुमति देता है। यह आतंकवाद न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर खतरा है।
यह भी महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कानूनी रूप से जिम्मेदार ठहराया जाए। पाकिस्तान को आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक दंड और दबाव का सामना करना चाहिए। अन्य देशों को भी इस मुद्दे पर एकजुट होना चाहिए और पाकिस्तान की इस नीति का विरोध करना चाहिए। आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संघर्ष को मजबूत करने के लिए यह अत्यंत आवश्यक है।
भारत की सुरक्षा रणनीति: सीमाओं पर सुरक्षा सुदृढ़ करना
पाकिस्तान से होने वाली इस तरह की गतिविधियों के मद्देनजर भारत को अपनी सुरक्षा रणनीतियों में बदलाव करना होगा। भारत को अपनी सीमाओं पर और अधिक निगरानी तंत्र को सक्रिय करना चाहिए। इसके साथ ही, भारत को अपनी खुफिया एजेंसियों को भी अधिक सक्रिय बनाना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की आतंकी गतिविधियों को समय रहते रोका जा सके। भारत को पाकिस्तान के आतंकवादियों से निपटने के लिए और भी निर्णायक कदम उठाने होंगे।
सीमा पर अधिक निगरानी
भारत की सीमाओं पर अधिक सतर्कता की आवश्यकता है ताकि पाकिस्तान के आतंकवादियों की घुसपैठ को रोका जा सके। ड्रोन निगरानी, सीमा पर अधिक सैनिकों की तैनाती, और तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल करने से पाकिस्तान की घुसपैठ को और अधिक रोकने में मदद मिलेगी।
सामरिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण
भारत को केवल सैन्य प्रतिक्रिया पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ कूटनीतिक और राजनीतिक दबाव बढ़ाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। भारत को अपनी मजबूत कूटनीतिक टीम को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भेजकर पाकिस्तान के आतंकवाद को उजागर करना होगा और उसे वैश्विक स्तर पर शर्मिंदा करना होगा।