स्टिंग आपरेशनः फर्जी पत्रकार और नकली प्रेस कार्ड बेचने का धन्धा फिर सर उठाने के लिए तैयार
आपको लोकडौन के दौरान पकड़े गए फ़र्ज़ी कार्ड धारकों का किस्सा तो याद ही होगा! कैसे मुज़फ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक यादव ने फ़र्ज़ी पत्रकारों को रँगे हाथ पकड़ा था और उसकी पैरवी में आई फ़र्ज़ी पत्रकारों की टोली को थाना सिविल लाइन से सीधे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
थाना सिविल लाईन @muzafarnagarpol में पकडे गये फर्जी प्रेस कार्ड बनाने वाले गैंग का पर्दाफाश।।कुल 207 मेम्बर हैं मुज़फ्फरनगर में। एसएसपी @AbhishekYadIPS ने स्वयं जांच कर किया खुलासा। #शानदारमुज़फ्फरनगरपुलिस pic.twitter.com/1Uinu0vbn6
— News & Features Network-Regional News (@mzn_news) May 22, 2020
इनके पास 50 कार्ड बरामद हुए और 260 कि लिस्ट भी मिली थी, जिनको इन्होंने कर्फ्यू तथा पावर दिखावे के बहकावे में लेकर कार्ड बेचे थे। जिनमे से अधिकतर अशिक्षित (अंगूठा टेक), रिक्शा रेहड़ा चालक और एक तो कबाड़ी का कार्य करता था।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक @AbhishekYadIPS ने बताया कि मुज़फ्फरनगर में सलमान पुत्र मुन्ना निवासी किदवईनगर थाना शहर कोतवाली को दिल्ली क्राईम एवं भ्रष्टाचार विरोधी मोर्चा का फर्जी प्रेस मेम्बर कार्ड के साथ गिरफ्तार किया गया था। @muzafarnagarpol pic.twitter.com/kOAo7oYX8R
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2 माह शांत रहने के बाद ये गिरोह फिर से सक्रिय हो रहा हैं। दिल्ली से प्रकाशित एक मासिक अखबार के नाम पर 2100 रुपए में कार्ड बेचने का धंधा फिर से सर उठाने लगा हैं।
आज भी एक वाक्य सामने आया जब एक व्हाट्सएप्प ग्रुप में इसी तरह का संदेश प्रसारित किया गया (आप भी पढ़े)।
जानकारी मिलने पर न्यूज़ पोर्टल की लीगल टीम के वरिष्ठ सदस्य ने ग्रुप के सभी एडमिन को जानकारी देकर ऐसे व्यक्ति को ब्लॉक कराया और तभी संदेश भेजने वाले ने उनको कॉल कर दिया।
और अपनी सफाई देने लगा। उसको इस फर्जीवाड़े की जानकारी और पुलिस प्रशासन की कार्यवाही के बारे में बताने पर, वह बोला कि वह गृह मंत्रालय में कार्यरत हैं और कई संस्थानों के लिए पत्रकारिता करता हैं।
वह एसएसपी अभिषेक यादव की प्रेसवार्ता के दौरान (जब इस गिरोह के लोग पकड़े गए थे) भी थाना परिसर में मौजूद था। वह मोदीनगर से यह चेन सिस्टम संचालित करता हैं।
अब सवाल यह भी हैं कि अपना सरनेम शर्मा लिखने वाला यह व्यक्ति गृह मंत्रालय में कार्यरत हैं तो और अन्यत्र कार्य कैसे कर सकता हैं? पूछने पर बोला कि हमको परमिशन मिली हुई हैं।
अब देखना हैं कि, सरकार और पुलिस प्रशासन इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए क्या कदम उठाते हैं। सनद रहे कि, इस तरह के कार्य पत्रकारिता और समाज के लिए कालिख पोतने के समान हैं।
मुज़फ़्फ़रनगर गैंग: मीडिया के नाम पर बेचे गए 260 कार्ड, 5 गिरफ़्तार, 3 वांछित
खुल रही पोल: यूपी के सभी जिलों में फर्जी पत्रकारों की धरपकड़ तेज