Farmers Protest: क्या अपनी राह के कांटे साफ कर रहा हैं केंद्र?
लगभग साल भर से चला आ रहा किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर गतिरोध आखिरकार थम गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश पर्व के उपलक्ष में यह घोषणा की कि कृषि आंदोलन के सभी तीनों बिल, जिनको रद्द करने के लिए किसान काफी दिनों से आंदोलित थे, आगामी संसद सत्र में वापस ले लिए जाएंगे।
एक ओर जहां यह लोकतंत्र की जीत है सभी इस पर खुशी जाहिर कर रहे हैं, वहीं कहीं ना कहीं यह भी शंका जताई जा रही है कि क्या यह किसान आंदोलन (Farmers Protest) की जीत के तौर पर देखा जाए या एक राजनीतिक कदम, क्योंकि यह बिल तब वापस लिए जाने की घोषणा हुई है जब अगले 1 महीने में पंजाब और उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने वाली है।
कृषि बिल जब से आया था तभी से किसान आंदोलित है अलग-अलग राज्यों से इकट्ठे हुए किसान दिल्ली में लगभग साल भर से जमे हुए हैं और केंद्र सरकार बिल में संसोधन करने की बात तो करती नज़र आती थी लेकिन बिल वापस लेने के मूड में नज़र नही आ रही थी। तब अचानक से क्या हुआ कि एकाएक बिल वापस लेने की घोषणा की गई है।
यह भी जगजाहिर है कि कृषि बिल का केंद्र सरकार को उतना फायदा नहीं हुआ जितना नुकसान हुआ या फजीहत झेलनी पड़ी, और कहीं ना कहीं यह आगामी विधानसभा चुनाव में एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी हो सकता था।
विपक्ष लगातार केंद्र सरकार को किसान आंदोलन की आड़ में घेर ही रहा था। तो क्या यह इस चुनावी मुद्दे को खत्म करने के लिए किया गया फैसला है?
क्या केंद्र सरकार किसानों को खुश कर अपने लिए काँटों की राह कम करना चाह रही है? ये सब तो आने वाला समय बताएगा फिलहाल तो सभी किसानों को बहुत बहुत बधाई।
केंद्र सरकार ने वापस लिए तीनों Agricultural laws, पीएम Narendra Modi ने की घोषणा