अनुच्छेद 371 नहीं हटाएगी सरकार-अमित शाह
अमित शाह अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर हैं। लोगों को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने के बाद यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि अनुच्छेद 371 भी खत्म किया जाएगा, लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा।
Amit Shah: When Modiji took the decision of abrogating Article 370, rumours were spread in North East that Article 371 will also be removed. But on statehood day of Arunachal&Mizoram,I want to assure you that nobody can remove Article 371 and nor it is anybody's intention. https://t.co/ikQTGnyXxW pic.twitter.com/Xm65CTLknl
— ANI (@ANI) February 20, 2020
अमित शाह ने कहा 33 वर्ष पहले आज ही के दिन अरुणाचल राज्य की स्थापना हुई थी। मुझे हर्ष है कि विगत 6 वर्षों में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और यहां पेमा खांडू जी के नेतृत्व में द्रुत गति से विकास कार्य हो रहे हैं। नार्थ ईस्ट भारत के लिए हमेशा से बहुत महत्वपूर्ण रहा है, इस दुर्गम क्षेत्र में बसने वाली जनजातियां भारतीय संस्कृति के लिए एक श्रृंगार से कम नहीं हैं।
शाह ने आगे कहा कि भारत की संस्कृति नार्थ ईस्ट की संस्कृति के बिना अधूरी ही नहीं, अपंग भी है। अगस्त में जब अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला लिया गया, तो नार्थ ईस्ट में भी अफवाहें और गलतफहमी फैलाई गई कि 370 के साथ ही 371 को भी हटा देंगे। मैं आज समग्र नार्थ ईस्ट को बताना चाहता हूं कि धारा 371 को कोई हटा नहीं सकता और न ही हटाने की किसी की मंशा है
शाह ने कहा कि वर्ष 2014 से पहले तक पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत के बाकी हिस्सों के साथ केवल भौगोलिक रूप से जुड़ा था, असल जुड़ाव तो मोदी सरकार में हुआ है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार चाहती है कि पूरा पूर्वोत्तर क्षेत्र उग्रवाद, सीमाओं को लेकर अंतर-सरकारी संघर्ष जैसी समस्याओं से मुक्त हो। गृह मंत्री अमित शाह कहा कि वर्ष 2024 में जब हम वोट मांगने जाएंगे तो तब तक पूर्वोत्तर उग्रवाद, अंतरराज्यीय संघर्ष जैसी समस्याओं से मुक्त हो चुका होगा।
चीन ने अरुणाचल प्रदेश के स्थापना दिवस के अवसर पर गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह की राज्य की यात्रा पर आपत्ति जताई है। चीनी विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि उनकी यात्रा बीजिंग की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन है और आपसी राजनीतिक विश्वास पर प्रहार करती है। चीन ने कहा कि वह उनकी यात्रा का दृढ़ता से विरोध करता है।
दरअसल चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानते हुए उस पर अपना दावा करता है और भारत के किसी भी नेता की इस पूर्वोत्तर राज्य की यात्रा पर आपत्ति जताता है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने एक प्रश्न के उत्तर में यहां ऑनलाइन मीडिया से कहा कि चीन-भारत सीमा के पूर्वी हिस्से के बारे में या चीन के तिब्बत क्षेत्र के दक्षिणी हिस्से के बारे में चीन की राय बिल्कुल स्पष्ट और अपरिवर्तित है।
MEA on reports of China objecting to HM Amit Shah's visit to Arunachal Pradesh:It's an integral part of India.Indian leaders routinely travel to the State as they do to any other states of India. Objecting to visit of an Indian leader to any state in India doesn't stand to reason pic.twitter.com/XJIdzPmIPI
— ANI (@ANI) February 20, 2020
उन्होंने कहा कि चीन की सरकार ने तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी और वह चीन के तिब्बती क्षेत्र के दक्षिणी हिस्से में भारतीय नेता की यात्रा का विरोध करता है क्योंकि इसने चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन किया है, सीमावर्ती क्षेत्रों की स्थिरता को कमतर किया है, आपसी राजनीतिक विश्वास पर प्रहार किया है और प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन किया है।
देश के गृहमंत्री अमित शाह के अरुणाचल प्रदेश के दौरे को लेकर चीन की ओर से आपत्ति जताए जाने की खबरों के सवाल पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन की आपत्ति बेवजह है। अरुणाचल प्रदेश को उन्होंने भारत का अभिन्न अंग बताते हुए कहा कि भारतीय नेता नियमित रूप से देश के सभी प्रदेशों का दौरा करते हैं। ऐसे में किसी नेता के अरुणाचल प्रदेश का दौरा करने पर आपत्ति जताने के पीछे ठोस वजह नहीं दिखाई देती।