Sambhal में जमकर बवाल, बागेश्वर धाम के बाबा ने दिया बड़ा बयान, मंदिर- मस्जिद विवाद में देश भर में मची हलचल
Sambhal (उत्तर प्रदेश) में रविवार को जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान एक गंभीर और खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो गई, जब स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने हिंसा का सहारा लिया और पुलिस पर पथराव किया। इस हिंसक घटना ने पूरे जिले को संकट की ओर धकेल दिया और सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा दिया। जब सर्वे टीम मस्जिद में काम कर रही थी, तो समुदाय के लोग बड़े पैमाने पर मस्जिद के बाहर जमा हो गए और विरोध शुरू कर दिया। इसी दौरान हिंसा बढ़ी, जिसमें पथराव और आगजनी हुई, जिससे पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने और लाठीचार्ज करने की जरूरत पड़ी।
यह घटना उत्तर प्रदेश की धार्मिक और सांप्रदायिक स्थिति पर गंभीर सवाल खड़ा करती है, और इसने राजनीतिक रूप से भी विवादों को जन्म दिया है।
सर्वे की शुरुआत और बढ़ता हुआ तनाव
संभल जिले में जामा मस्जिद के अंदर सर्वे की शुरुआत कोर्ट के आदेश पर की गई थी। कोर्ट ने एक पक्ष द्वारा मस्जिद को मंदिर बताने के बाद इस मामले की जांच के लिए कमिश्नर नियुक्त किया और सर्वे कराने का आदेश दिया था। रविवार को यह सर्वे दूसरी बार हुआ, और जैसे ही सर्वे टीम मस्जिद में पहुंची, वहां तनाव फैल गया।
तकरीबन सुबह 7 बजे सर्वे करने वाली टीम मस्जिद पहुंच गई। जब कोर्ट कमिश्नर ने सर्वे शुरू किया तो मस्जिद के आसपास विशेष समुदाय के लोगों की भीड़ जमा होने लगी, लेकिन इसी बीच कुछ तथाकथित अराजक तत्वों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया, और देखते ही देखते वहां पथराव और आगजनी शुरू हो गई। इसके बाद पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और लाठीचार्ज किया गया। इस हिंसा के दौरान 20 से अधिक पुलिसकर्मी और दर्जनों स्थानीय लोग घायल हो गए। पुलिस ने भीड़ का काबू करने की कोशिश की। हालात बिगड़ने पर पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए हल्का बल प्रयोग किया और आंसू गैस के गोले दागे। सीओ संभल , इंस्पेक्टर और कुछ अन्य पुलिसकर्मियों के घायल होने की जानकारी दी।
हिंसा, आगजनी और पुलिस की प्रतिक्रिया
सर्वे के दौरान जब माहौल गर्म हुआ, तो पथराव के साथ ही कुछ लोगों ने खड़ी गाड़ियों में आग लगा दी। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। इस दौरान करीब दो दर्जन लोग घायल हो गए। संभल शहर को छावनी में तब्दील कर दिया गया और कई प्रमुख चौराहों पर बेरिकेडिंग कर दी गई। पुलिस ने इलाके में अतिरिक्त बल तैनात किया और शहर में कड़ी निगरानी रखी।
#Sambhal कोर्ट के आदेश पर #संभल की जामा मस्जिद में सर्वे चल रहा है। एक पक्ष ने इस स्थान को अपना मंदिर बताया है, इसलिए कोर्ट ने कमिश्नर नियुक्त कर सर्वे का आदेश दिया था।आज दूसरी बार सर्वे टीम मस्जिद पहुंची तो वहां तनाव फैल गया। #watch pic.twitter.com/uuocz5nC9e
— News & Features Network (@newsnetmzn) November 24, 2024
संभल के डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई की मौजूदगी में सर्वे की शुरुआत हुई थी। पुलिस अधिकारियों ने यह भी बताया कि दंगाई जानबूझकर पुलिस वाहनों को निशाना बना रहे थे, जिनमें पुलिस की गाड़ियों को विशेष रूप से फूंक दिया गया।
राजनीतिक बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस हिंसक घटना को लेकर यूपी सरकार और बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मस्जिद का सर्वे पहले ही किया जा चुका था, लेकिन जानबूझकर सर्वे टीम को फिर से भेजा गया ताकि माहौल खराब किया जा सके और चुनावी मुद्दों पर ध्यान न जाए। उन्होंने इसे बीजेपी और सरकार की साजिश करार दिया और आरोप लगाया कि प्रशासन ने हिंसा को बढ़ावा दिया ताकि चुनावों में हो रही धांधली और व्यापारी मामलों पर चर्चा न हो सके।
इस बीच, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने मुसलमानों से अपील की कि वे शांतिपूर्ण तरीके से स्थिति संभालें और किसी प्रकार की हिंसा में शामिल न हों। उन्होंने कहा कि जामा मस्जिद एक ऐतिहासिक मस्जिद है और इसके मसले को कानूनी तरीके से हल किया जाएगा।
बागेश्वर धाम के पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बयान
इस पूरे विवाद पर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बयान भी सामने आया, जिसने धार्मिक विवाद को और बढ़ा दिया। पं. शास्त्री ने कहा, “संभल में मंदिर ही है, यही कारण है कि ये लोग घबरा गए हैं और पथराव किया है।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर वक्फ बोर्ड काम नहीं करता है तो सनातन बोर्ड बनाना चाहिए ताकि धार्मिक मामलों में संतुलन बना रहे।
पं. शास्त्री की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा भी इस समय चर्चा में है। रविवार को यात्रा का चौथा दिन था, और पं. शास्त्री ने इस यात्रा के दौरान जातिवाद को खत्म करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नेता जातिवाद के नाम पर समाज में भेदभाव फैलाते हैं और इसे अपना राजनीतिक हथियार बनाते हैं।
हिंसा पर पं. शास्त्री की टिप्पणी
संभल में हुई हिंसक पथराव पर पं. शास्त्री ने तौकीर राजा के बयान की आलोचना की और कहा, “इन लोगों को जेल में डाल देना चाहिए।” पं. शास्त्री ने यह भी कहा कि तौकीर राजा जैसे लोग हमेशा दंगे और फसाद की बात करते हैं और देश में अशांति फैलाने की कोशिश करते हैं। उनका मानना है कि देश में कानून और संविधान का पालन होना चाहिए, न कि हिंसा और गुंडागर्दी का।
बुलडोजर क्रेज और भक्तों का उत्साह
पं. शास्त्री की यात्रा के दौरान बुलडोजर का जबरदस्त क्रेज देखने को मिला। भक्तों ने जगह-जगह पं. शास्त्री का स्वागत बुलडोजर के साथ फूलों की बारिश करके किया। भक्तों का कहना था कि वे बाबा के उद्देश्य से पूरी तरह सहमत हैं और उनका साथ देंगे। यात्रा के दौरान भक्तों का उत्साह और उनका समर्थन बढ़ता हुआ देखा गया।
राजनीतिक हस्तक्षेप और सांप्रदायिक विवाद
संभल में जामा मस्जिद के सर्वे और उसके बाद की हिंसा ने एक बड़े सांप्रदायिक विवाद को जन्म दिया है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और अन्य राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया है कि यह घटना जानबूझकर साजिश के तहत हुई, ताकि सांप्रदायिक तनाव बढ़ाया जा सके और चुनावी मुद्दों पर चर्चा को मोड़ा जा सके।
इस मामले पर एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने उपद्रवियों को चेतावनी दी कि वे भविष्य को संजीदगी से सोचें और राजनीतिक दलों के चक्कर में अपना जीवन बर्बाद न करें। उन्होंने उपद्रवियों से कहा, “बेटा, अपना भविष्य खराब मत करो, नेताओं के जाल में मत फंसो।”
#WATCH #Sambhal राजनेताओं के जाल में फंसकर अपना भविष्य बर्बाद न करें,” संभल एसपी कृष्ण बिश्नोई ने पुलिस पर पत्थर फेंकने वाले युवाओं से अपील की। @sambhalpolice @Krishan_IPS pic.twitter.com/nRIaIcgo8Y
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कानूनी स्थिति और आगामी कदम
इस घटना की कानूनी स्थिति को लेकर कोर्ट कमिश्नर रमेश राधव ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट 29 नवंबर को कोर्ट में पेश की जाएगी। इसके बाद ही यह तय होगा कि मस्जिद को लेकर यह विवाद किस दिशा में जाएगा। फिलहाल, प्रशासन और पुलिस की स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन सांप्रदायिक तनाव को शांतिपूर्वक सुलझाने की आवश्यकता है।
अदालत की कार्रवाई और सर्वे रिपोर्ट के बाद ही इस विवाद का हल निकलेगा और यह साफ होगा कि मस्जिद का स्थान धार्मिक और सांप्रदायिक दृष्टिकोण से किस तरह से सुलझाया जाएगा।
संभल के जामा मस्जिद के सर्वे ने उत्तर प्रदेश के धार्मिक और सांप्रदायिक परिदृश्य में एक नई जटिलता पैदा कर दी है। पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और अखिलेश यादव जैसे प्रमुख राजनीतिक हस्तियों के बयान ने इसे और बढ़ा दिया है। फिलहाल, प्रशासन और न्यायपालिका की भूमिका इस मामले को शांतिपूर्वक और कानूनी तरीके से सुलझाने में निर्णायक होगी।