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Muzaffarnagar: त्रिपुरा सुंदरी शक्तिपीठ में महाकाल बटुक भैरव अष्टमी महोत्सव, भक्तों का उमड़ा आस्था का सैलाब

Muzaffarnagar: उत्तर भारत के धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नगरों में एक प्रमुख स्थान रखने वाले मुजफ्फरनगर में इस वर्ष का महाकाल बटुक भैरव अष्टमी महोत्सव श्रद्धा और आस्था के गहरे रंगों से सराबोर हो गया। इस आयोजन ने न केवल स्थानीय बल्कि दूर-दराज से आए भक्तों को एकत्र किया, बल्कि शहर के त्रिपुरा सुंदरी शक्तिपीठ और सिद्ध पीठ देवी मंदिर के प्रांगण में भव्यता, धार्मिकता और आत्मिक शांति का अनूठा मिश्रण प्रस्तुत किया। यह महोत्सव तीन दिनों तक चला, जिसमें भक्तों ने भगवान महाकाल बटुक भैरव के प्रति अपनी अटूट आस्था और विश्वास को प्रकट किया।

महाकाल बटुक भैरव का महत्व

महाकाल बटुक भैरव, जिन्हें शिव का उग्र और रक्षक स्वरूप माना जाता है, ने इस अवसर पर अपने भक्तों से नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करने और जीवन में सुख-शांति लाने की वचनबद्धता की। विशेष रूप से यह आयोजन उन भक्तों के लिए था जो मानसिक, शारीरिक या आत्मिक संकट से जूझ रहे थे।

पंडित सचिन शर्मा ने ने इस संबंध में बताते हुए कहा कि बटुक भैरव का पूजन न केवल संकटों से मुक्ति दिलाने वाला होता है, बल्कि यह जीवन में समृद्धि और खुशहाली का भी प्रतीक माना जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि बटुक भैरव के पूजन से हर तरह के भय और शत्रु शक्ति से मुक्ति मिलती है।

आयोजन की शुरुआत: पहले दिन की धूमधाम

महोत्सव की शुरुआत पहले दिन से ही बड़े धूमधाम से हुई। दिन की शुरुआत स्वस्तिवाचन, गणपति पूजन और ध्वजारोहण से की गई, जिससे वातावरण में शुभता और समृद्धि की कामना की गई। इसके बाद भगवान महाकाल बटुक भैरव के विशेष पूजन और भैरव पाठ का आयोजन हुआ। इस पूजा में सैकड़ों भक्तों ने भाग लिया।

पंडित सचिन शर्मा ने महोत्सव के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस महोत्सव का आयोजन हर वर्ष ब्रह्मलीन पूज्य गुरु पंडित श्री बालकृष्ण शास्त्री जी द्वारा स्थापित परंपरा के अनुसार किया जाता है। पंडित सचिन शर्मा ने बताया कि इस दिन विशेष रूप से बटुक भैरव के मंत्रों का जाप और उनके द्वारा भक्तों को आशीर्वाद देने की प्रक्रिया चली।

दूसरे दिन की पूजा और आराधना

दूसरे दिन मंदिर में नियमित पूजा अर्चना की गई और भैरव स्तुति का आयोजन हुआ। इस दिन विशेष रूप से भैरव के मंत्रों का जाप और उनके द्वारा भक्तों को आशीर्वाद देने की प्रक्रिया चली। भक्तों का मानना था कि इस पूजा से वे जीवन में शांति प्राप्त करेंगे और उनके द्वारा किए गए पुण्य कार्यों से उनका जीवन संवर जाएगा।

तीसरे और अंतिम दिन की विशेष पूजा और हवन

तीसरे और अंतिम दिन महाकाल बटुक भैरव अष्टमी महोत्सव का भव्य समापन हुआ। इस दिन रुद्राभिषेक और हवन का आयोजन किया गया। हवन की अग्नि में आहुति देने के साथ भक्तों ने भगवान महाकाल से उनके जीवन के हर संकट को दूर करने की प्रार्थना की। इस दौरान मंदिर का प्रांगण भक्तिमय हो गया और वातावरण में एक दिव्य शांति का आभास हुआ।

इसके बाद महाआरती का आयोजन किया गया, जिसमें सभी भक्तों ने एकजुट होकर भगवान महाकाल बटुक भैरव की पूजा की। मंदिर के परिसर में गूंजते मंत्रोच्चारण और शंखनाद से वातावरण और भी भक्तिमय हो गया। महाआरती के पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया और भगवान महाकाल का आशीर्वाद लिया।

गुरु पंडित श्री बालकृष्ण शास्त्री जी की स्थापन

इस महोत्सव की परंपरा को हर वर्ष ब्रह्मलीन पूज्य गुरु पंडित श्री बालकृष्ण शास्त्री जी द्वारा स्थापित किया जाता है। उनकी धार्मिक शिक्षाएं और आस्था ने इस आयोजन को एक नई ऊँचाई दी है। इस वर्ष के आयोजन की जिम्मेदारी को पंडित शिवम शर्मा, पंडित कृष्ण दत्त और गुरु पंडित संजय कुमार ने मिलकर निभाया। पंडित संजय कुमार ने अपनी विशिष्ट उपस्थिति से महाकाल बटुक भैरव के प्रति भक्तों की श्रद्धा को और गहरा किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से न केवल एकत्रित होने का अवसर मिलता है, बल्कि यह सामाजिक एकता और शांति का संदेश भी देता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक एकता की मिसाल

इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि धार्मिक आस्थाओं के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोकर रखा जा सकता है। हर वर्ष की तरह इस बार भी महोत्सव में भक्तों ने धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ भारतीय संस्कृति के विविध पहलुओं का अनुभव किया। इन आयोजनों में एकता, भाईचारे और विश्वास का वातावरण साफ नजर आया।

महाकाल बटुक भैरव के अनंत लाभ

भगवान महाकाल बटुक भैरव की पूजा करने से कई अनकहे लाभ मिलते हैं। इससे न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक शांति और आंतरिक संतुलन भी बना रहता है। भक्तों का मानना है कि बटुक भैरव के दर्शन से हर प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

पंडित सोनू शांडिल्य ने बताया कि महाकाल बटुक भैरव का आशीर्वाद पाने से व्यक्ति के जीवन में रुकावटें दूर होती हैं और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। भयंकर संकटों से बचने के लिए यह पूजा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।

इस प्रकार, त्रिपुरा सुंदरी शक्तिपीठ और सिद्ध पीठ देवी मंदिर में मनाया गया महाकाल बटुक भैरव अष्टमी महोत्सव न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि यह भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी था।

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