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‘भावना स्वरूप’ की स्मृतियाँ: पिता और बेटी के अनोखे प्यार की मेजबानी के कद्रदान

मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर मुजफ्फरनगर में आजकल 25 हजारी इनामी डालर के राशि वाले भावना स्वरूप मैमो. अन्तर्राष्ट्रीय महिला टेनिस टूर्नामेंट जोर शोर के साथ चल रहा है।

लेकिन इस सबके बीच अगर उस बेटी का जिक्र न किया जाये जिसके नाम पर यह अन्तर्राष्ट्रीय पूरा वातावरण तैयार किया जाता है और उसका परिवार केवल और केवल उसकी याद में इस आयोजन को मुजफ्फरनगर में उसकी स्मृतियां संजोये रखने के लिए करता है। यह भावना स्वरूप मैमो. अन्तर्राष्ट्रीय महिला टेनिस टूर्नामेंट मुजफ्फरनगर की रहने वाली भावना की स्मृति में ही किया जाता है।

सन् 2001 में जब इस बेटी को एक सड़क दुर्घटना के बाद काल के हाथों ने उसके परिवार से छीन लिया था तो उसके पिता आलोक स्वरूप और परिवारजनों ने इस दुख से उभरने के लिए उसके नाम से उसकी स्मृति में इस टेनिस के महाकुम्भ के आयोजन का विचार अपना लिया था तभी सन् 2002 के बाद से मुजफ्फरनगर में भावना स्वरूप अन्तर्राष्ट्रीय मैमो. महिला टेनिस टूर्नामेंट भावना की याद में ही होता है।

मुजफ्फरनगर में इस समय सर्विस क्लब में चल रहे आईटीएफ भावना स्वरूप अन्तर्राष्ट्रीय मैमो. महिला टेनिस टूर्नामेंट पूरे रंग में है और जिले में इस नये तरह की भावना को भरने के लिए आलोक स्वरूप और अनिल स्वरूप के परिवार दिन रात एक किये हुए है और करे भी क्यों न? क्योंकि 2001 में जिस जिगर के टुकडे बेटी भावना को वो सड़क दुर्घटना में खो चुके थे

उसकी स्मृतियों को खेल भावना और सामाजिक सरोकार से जोड़ने के लिए वो खुद इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे है। बेटी खोने का गम स्वरूप परिवार को हमेशा-हमेशा रहेगा लेकिन यह उनके परिवार की एक जिंदादिली और मिसाल कायम करने की सोच है कि वो बेटी भावना की स्मृति के सहारे एक तरफ टेनिस खेल को मजबूत कर रहे है

वहीं बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं व महिला सशक्तिकरण के सहारे समाज में संदेश दे रहे है कि बेटियों को खेलों में बढ़ाया जाये तो वह किस तरह से हमारा नाम रोशन कर सकती है और यह सब स्वरूप परिवार 2002से लगातार कर रही रहा है। 

टेनिस का आयोजन तो ओर शहरों में भी होता है लेकिन मुजफ्फरनगर के लिए महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि मुजफ्फरनगर जनपद में जमीनी खेलों के अलावा टेनिस जैसे महत्वपूर्ण और महंगे खेलों के लिए यहा कोई स्कोप अभी तक नहीं था लेकिन जिस उम्मीद के सहारे भावना स्वरूप मैमो. आईटीएफ टूर्नामेंट का आयोजन यहां 2002 से होता रहा है

उससे यह साफ है कि मुजफ्फरनगर जैसे छोटे शहर में टेनिस में महिला खिलाडियां पैदा करने के लिए नई उम्मीद दी है। मुजफ्फरनगर अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर चमक रहा है और करीब बीस से भी अधिक विदेशी खिलाड़ी इस समय मुजफ्फरनगर में मौजूद है ओर बड़ी संख्या में देश के कोने कोने से टेनिस खिलाड़ी यहां पर टूर्नामेंट में प्रतिभाग कर रहे है।

सवाल इस बात का नहीं है कि यह आयोजन मुजफ्फरनगर में ही क्यों हो रहा है यहां सवाल इस बात का भी है कि एक बेटी और एक पिता के रिश्ते आखिर किस तरह से खेल भावनाओं की कदर के साथ आगे बढ़ रहे है।

सर्विस क्लब में आईटीएफ टूर्नामेंट में आ रहे खिलाड़ी आलोक स्वरूप परिवार और आयोजन समिति की मेजबानी के कद्रदान तो है ही साथ ही विदेश से आई खिलाड़ी यह भी जानने का प्रयास करती है कि आखिर भावना स्वरूप मैमो. टूर्नामेंट जिस बेटी की याद में होता है और करोड़ों रूपये इस आयेजन में लगाये जाते है

तो वो यहां उस पिता का प्यार खुद भी महसूस करती है कि आखिर यह पिता अपनी बेटी से कैसे प्यार करता होगा? कहना न होगा कि मुजफ्फरनगर में चल रहा है

यह आईटीएफ महिला टेनिस के तो बढ़ावा दे ही रहा है वहीं, पिता और बेटी के इस अनोखे प्यार को भी इस मैमो. टूर्नामेंट के आ रहे एक अनछूएं पहलू के रूप में सबके सामने ला रहा है।

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