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Sant Nirankari Mission के तत्वावधान में मुक्ति पर्व-विशेष सत्संग कार्यक्रम आयोजित

विश्वबन्धुत्व एवं मानवता को समर्पित Sant Nirankari Mission के तत्वावधान में संपूर्ण भारतवर्ष में जहाँ 77वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाया गया, वहीं साथ ही निरंकारी जगत ने इस दिन को आत्मिक स्वतंत्रता पर्व के रूप में मनाते हुए ‘मुक्ति पर्व’ नाम से सम्बोधित किया।
सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन आशीर्वाद से  से इस अवसर पर देशभर में व्याप्त मिशन की सभी शाखाओं में विशेष सत्संग कार्यक्रम आयोजित किए गये। इसी श्रंखला में मुक्ति पर्व समागम के अवसर पर विशाल सत्संग कार्यक्रम का आयोजन रूड़की रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में किया गया
जिसकी अध्यक्षता मण्डल मुख्यालय दिल्ली से आये केन्द्रीय योजना एवं सलाहकार परिषद् के चेयरमैन एवं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम वकील श्री आर0के0 कपूर जी ने की। इस अवसर पर जनपद नगर व ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु, भक्त सम्मिलित हुए और सभी संतों ने जन जन की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करवाने वाली इन दिव्य विभूतियों के प्रति अपनी भावभीनी श्रंद्धाजलि अर्पित की, जिन्होंने मानवता के लिए स्वयं को समर्पित किया।
       श्री आर0के0 कपूर जी ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मिशन की यही धारणा है कि जहाँ हमें अपने भौतिक विकास तथा उन्नति के लिये किसी भी अन्य देश की पराधीनता से मुक्त होना आवश्यक है, उसी भांति हमारी अंतरात्मा को भी आवागमन के बन्धन से मुक्ति दिलाना अति अनिवार्य है। यह केवल ब्रह्मज्ञान की दिव्य ज्योति से ही संभव है क्योंकि यह दिव्य ज्योति ही हमें निरंकार प्रभु परमात्मा के दर्शन करवाती है।
श्री कपूर जी ने कहा कि मुक्ति पर्व समागम का आरम्भ 15 अगस्त, 1964 में शहनशांह बाबा अवतार सिंह जी की जीवनसंगिनी जगत माता बुद्धवंती जी की स्मृति में किया गया था। वह सेवा की एक जीवंत मूर्ति थी, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन ही मिशन एवं भक्तों की निःस्वार्थ सेवा में अर्पित किया। उसके उपरांत जब शहनशांह बाबा अवतार सिंह जी सन् 1969 को ब्रह्मलीन हुए, तभी से यह दिन ‘शहनशांह-जगतमाता दिवस’ के रूप में सम्बोधित किया जाने लगा। सन् 1979 में संत निरंकारी मण्डल के प्रथम प्रधान लाभ सिंह जी ने जब अपने इस नश्वर शरीर का त्याग किया, तभी से बाबा गुरबचन सिंह जी ने इस दिन को ‘मुक्ति पर्व’ का नाम दिया।
जनपद संयोजक श्री हरीश कुमार ने कहा कि मुक्ति पर्व के अवसर पर शहनशाह बाबा अवतार सिंह जी, जगत माता बुद्धवंती जी, निरंकारी राजमाता कुलवंत कौर जी, सत्गुरू माता संविदर हरदेव जी, संतोख सिंह जी एवं अनन्य भक्तों द्वारा मानव को सत्य ज्ञान की दिव्य ज्योति से अवगत करवाने हेतु श्रद्धालुओं द्वारा हृदय से श्रद्धा सुमन अर्पित किये गये। इसी अवसर पर उनके प्रेरणादायी जीवन से शिक्षाएं भी सांझा की गयी। इन सभी संतों ने अनेक विषम परिस्थितियों के बावजूद अपने तप त्याग से मिशन को नई ऊँचाईयों तक पहुंचाया जिसके लिए निरंकारी जगत का प्रत्येक भक्त ताउम्र उन भक्तों का ऋणी रहेगा।
        इस अवसर क्षत्रीय संचालक संजीव कुमार ने कहा कि पूज्य माता सविंदर हरदेव जी ने 5 अगस्त, 2018 को अपने नश्वर शरीर का त्याग किया। उससे पूर्व सत्गुरू रूप में मिशन की बागडोर सन् 2016 में संभाली और 36 वर्षो तक निरंतर बाबा हरदेव सिंह जी के साथ उन्होंने हर क्षेत्र में अपना पूर्ण सहयोग दिया और निरंकारी जगत के प्रत्येक श्रद्धालु को अपने वात्सल्य से सराबोर किया। उनकी यह अनुपम छवि निरंकारी जगत के हर भक्त के हृदय में सदैव समाहित रहेगी। सत्गुरु के आदेशानुसार ‘मुक्ति पर्व’ के पावन अवसर पर सभी भक्तों द्वारा माता सविंदर हरदेव जी को भी श्रद्धा सुमन अर्पित किये जाते है।
निसंदेह यह महान पर्व निरंकारी जगत के उन प्रत्येक संतों को समर्पित है जिन्होंने अपने प्रेम, परोपकार, भाईचारे की भावना से भक्ति भरा जीवन जीकर सभी के समक्ष एक सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत किया। 

Sushil Kumar Ansh

उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग सरकारी सेवा में कार्यरत सुशील कुमार 'अंश' विश्वबन्धुत्व व मानवता को समर्पित "संत निरंकारी मिशन" में मीडिया सहायक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

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