Muzaffarnagar: सपा नेताओं के खिलाफ बौखलाहट में दर्ज हो रहे मुकदमे, योगी सरकार की बदले की राजनीति पर सवाल
मुजफ्फरनगर।(Muzaffarnagar) उत्तर प्रदेश की सियासत में इस समय एक नई राजनीतिक हलचल मची हुई है। भाजपा और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच का संघर्ष इस समय चरम पर है, और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। सपा नेताओं के खिलाफ लगातार मुकदमे दर्ज हो रहे हैं, जिनमें आरोप है कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा हैं। सपा नेता इसे भाजपा की बौखलाहट और भय का परिणाम मानते हैं, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बयानबाजी को भी आलोचना का शिकार बना रहे हैं।
मुजफ्फरनगर में महावीर चौक स्थित सपा जिला कार्यालय पर हुई प्रेस वार्ता में पूर्व मंत्री राजकुमार यादव ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने जानबूझकर सपा नेताओं और उम्मीदवारों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। उनका आरोप है कि भाजपा की सरकार की यह कार्रवाई उन नेताओं के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है जो भाजपा के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। यादव का कहना था कि सपा के उम्मीदवारों के खिलाफ झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं और उनकी छवि खराब करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
सपा उम्मीदवारों को क्यों किया जा रहा टारगेट?
पूर्व मंत्री राजकुमार यादव ने यह भी आरोप लगाया कि गठबंधन प्रत्याशी सुम्बुल राणा के खिलाफ भोपा थाने में एक मुकदमा दर्ज कराया गया है, हालांकि सुम्बुल उस समय घटनास्थल पर मौजूद नहीं थी। इस मुद्दे को लेकर सपा नेताओं में गुस्सा है, क्योंकि यह साफ तौर पर दिखाता है कि भाजपा सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों को दबाने के लिए कानून का दुरुपयोग कर रही है।
प्रमोड त्यागी, जो कि सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष हैं, ने इस मुद्दे पर खुलकर बोला। उनका कहना था कि यदि किसी वाहन पर गलत तरीके से झंडे लगाए गए हैं या वह गलत तरीके से खड़ा किया गया है, तो इस मामले में वाहन के ड्राइवर या मालिक के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, न कि उम्मीदवार के खिलाफ। उनका यह भी कहना था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक रैली में सपा प्रत्याशी को ‘गुंडा’ करार दिया था, जबकि उस प्रत्याशी के खिलाफ कोई अपराध नहीं था।
योगी सरकार की आलोचना और कानून व्यवस्था पर सवाल
प्रेस वार्ता के दौरान सपा के अन्य नेताओं ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आरोप लगाए। सपा जिलाध्यक्ष जिया चौधरी ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि गोरखपुर, बनारस और हाथरस जैसे इलाकों में अपराधों की घटनाएं बढ़ रही हैं। विशेष रूप से दुष्कर्म के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन योगी सरकार इसके खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।
प्रमोद त्यागी ने यह भी आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार अपने विरोधियों को दबाने के लिए राजनीतिक द्वेष का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पूर्व सांसद स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ दर्ज मुकदमे को भाजपा ने पूरी तरह से नकार दिया और एफआर लगा दी। इसके अलावा, ब्रजभूषण सिंह के बेटे को टिकट दिया गया, जबकि उनका नाम कई विवादों से जुड़ा हुआ था।
सपा और भाजपा के बीच आरोपों की झड़ी
सपा नेताओं का आरोप है कि भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद अपने विरोधियों पर दबाव बनाने के लिए राजनीति को एक नया मोड़ दिया है। सपा नेता रूद्रसैन चौधरी ने प्रदेश में बढ़ते अपराधों और भाजपा के खिलाफ सपा नेताओं द्वारा की जा रही आलोचना पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में इस समय “जंगलराज” जैसा माहौल बन चुका है, जिसमें भाजपा के विधायक और मंत्री भी आरोपों से घिरे हुए हैं।
सपा नेता योगेश वर्मा ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि सुम्बुल राणा को 36 बिरादरी का समर्थन मिल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि दलित समाज भी सुम्बुल राणा का समर्थन कर रहा है, और यह भाजपा की परेशानियों का कारण बन रहा है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव की आगामी रैली
सपा की ओर से एक और महत्वपूर्ण घोषणा की गई है। पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की 16 नवंबर को ककरौली के आशियाना टाउन के समीप एक रैली प्रस्तावित है। इस रैली को लेकर सपा ने अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। रैली में अखिलेश यादव का हेलीकॉप्टर भी रैली स्थल पर उतरेगा। इस रैली के सफल आयोजन के लिए सपा पूरी ताकत लगा रही है, और पार्टी के तमाम नेताओं ने इस अवसर पर जुटने वाले जनसैलाब को ऐतिहासिक बनाने की पूरी तैयारी कर ली है।
सपा के नेताओं का एकजुटता प्रदर्शन
प्रेस वार्ता में सपा के तमाम प्रमुख नेता मौजूद थे। इनमें सपा जिलाध्यक्ष जिया चौधरी, पूर्व जिलाध्यक्ष प्रमोद त्यागी, पूर्व मंत्री राजकुमार यादव, राष्ट्रीय सचिव राकेश शर्मा, और पूर्व विधायक योगेश वर्मा शामिल थे। इन सभी नेताओं ने एकजुट होकर भाजपा सरकार के खिलाफ आवाज उठाई और समाजवादी पार्टी के खिलाफ हो रही कार्रवाई को बेशर्मी करार दिया।
सपा ने यह भी कहा कि वह इस मामले में जिला निर्वाचन अधिकारी, एसएसपी, मुख्य निर्वाचन अधिकारी और चुनाव पर्यवेक्षकों को शिकायत भेज चुकी है। पार्टी ने यह आग्रह भी किया है कि उन पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं और संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
उत्तर प्रदेश में इस समय सपा और भाजपा के बीच तीव्र सियासी संघर्ष चल रहा है। भाजपा सरकार पर आरोप हैं कि वह अपने विरोधियों को दबाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग कर रही है और कानून को अपने पक्ष में मोड़ने का प्रयास कर रही है। सपा नेता इस स्थिति को “बौखलाहट” और “राजनीतिक प्रतिशोध” का परिणाम मानते हैं। आगामी चुनावों को लेकर दोनों दलों के बीच संघर्ष और तेज होने की संभावना है, और यह देखना होगा कि आने वाले समय में कौन सी पार्टी जनता का विश्वास जीत पाती है।