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Muzaffarnagar News- वामन अवतार लीला के मंचन सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु

मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar News) सनातन धर्म सभाभवन में आयोजित श्रीकृष्ण प्रणामी सेवा समिति के तत्वाधान में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के तीसरे दिन श्रीमद्भागवत कथा में तीसरे दिन ध्रुव चरित्र, भक्त प्रहलाद व बामन अवतार प्रसंग सुनाया गया। वहीं कथा में पहुंचे मंत्री कपिलदेव अग्रवाल का पटका पहनाकर स्वागत किया गया। इस दौरान भक्तों के समक्ष मंत्री कपिलदेव अग्रवाल ने मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है भजन भी प्रस्तुत किया।

कथा में मुख्य अतिथि अशोक बाठला, वरिष्ठ संगठन मंत्री पवन सिंघल प्रदेश संगठन मंत्री सतनाम िंसह हंसपाल, नगर महामंत्री व यजमान शशिराज गर्ग, राजीव वर्मा, देवेंद्र कुमार, अरविंद गर्ग मौजूद रहे। कथाव्यास परम पूजनीय श्रद्धेय युवासंत श्री प्रमोद सुधाकर जी महाराज रंगमहल धाम हरिद्वार ने कहा कि वामन अवतार भगवान विष्णु का पाचवा अवतार है । भगवान की लीला अनंत है और उसी में से एक वामन अवतार है ।

इसके विषय में श्रीमद्भगवदपुराण में एक कथा है। वामन अवतार कथानुसार देव और दैत्यों के युद्ध में दैत्य पराजित होने लगते हैं । पराजित दैत्य मृत एवं आहतों को लेकर अस्ताचल चले जाते हैं और दूसरी ओर दैत्यराज बलि इंद्र के वज्र से मृत हो जाते हैं तब दैत्यगुरु शुक्राचार्य अपनी मृत संजीवनी विद्या से बलि और दूसरे दैत्य को भी जीवित एवं स्वस्थ कर देते हैं। राजा बलि के लिए शुक्राचार्यजी एक यज्ञ का आयोजन करते हैं तथ अग्नि से दिव्य रथ, बाण, अभेद्य कवच पाते हैं इससे असुरों की शक्ति में वृद्धि हो जाती है और असुर सेना अमरावती पर आक्रमण करने लगती है ।

इंद्र को राजा बलि की इच्छा का ज्ञान होता है कि राजा बलि इस सौ यज्ञ पूरे करने के बाद स्वर्ग को प्राप्त करने में सक्षम हो जाएंगे, तब इंद्र भगवान विष्णु की शरण में जाते हैं । भगवान विष्णु उनकी सहायता करने का आश्वासन देते हैं और भगवान विष्णु वामन रुप में माता अदिति के गर्भ से उत्पन्न होने का वचन देते हैं । दैत्यराज बलि द्वारा देवों के पराभव के बाद कश्यपजी के कहने से माता अदिति पयोव्रत का अनुष्ठान करती हैं जो पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है । तब भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन माता अदिति के गर्भ से प्रकट हो अवतार लेते हैं तथा ब्रह्मचारी ब्राह्मण का रूप धारण करते हैं ।

महर्षि कश्यप ऋषियों के साथ उनका उपनयन संस्कार करते हैं वामन बटुक को महर्षि पुलह ने यज्ञोपवीत, अगस्त्य ने मृगचर्म, मरीचि ने पलाश दण्ड, आंगिरस ने वस्त्र, सूर्य ने छत्र, भृगु ने खड़ाऊं, गुरु देव जनेऊ तथा कमण्डलु, अदिति ने कोपीन, सरस्वती ने रुद्राक्ष माला तथा कुबेर ने भिक्षा पात्र प्रदान किए । तत्पश्चात भगवान वामन पिता से आज्ञा लेकर बलि के पास जाते हैं । उस समय राजा बलि नर्मदा के उत्तर-तट पर अंतिम यज्ञ कर रहे होते हैं ।

वामन अवतारी श्रीहरि, राजा बलि के यहां भिक्षा मांगने पहुंच जाते हैं । ब्राह्मण बने श्रीविष्णु भिक्षा में तीन पग भूमि मांगते हैं । राजा बलि दैत्यगुरु शुक्राचार्य के मना करने पर भी अपने वचन पर अडिग रहते हुए, श्रीविष्णु को तीन पग भूमि दान में देने का वचन कर देते हैं । वामन रुप में भगवान एक पग में स्वर्गादि उर्ध्व लोकों को ओर दूसरे पग में पृथ्वी को नाप लेते हैं । अब तीसरा पग रखने को कोई स्थान नहीं रह जाता है ।

बलि के सामने संकट उत्पन्न हो गया । घ्से मे राजा बलि यदि अपना वचन नहीं निभाए तो अधर्म होगा । इसिलिए बलि अपना सिर भगवान के आगे कर देता है और कहता है तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख दीजिए । वामन भगवान ने ठीक वैसा ही करते हैं और बलि को पटल लोक में रहने का आदेश करते हैं । बलि सहर्ष भवदाज्ञा को शिरोधार्य करता है । बलि के द्वारा वचनपालन करने पर, भगवान श्रीविष्णु अत्यन्त प्रसन्न होते हैं और दैत्यराज बलि को व र्मांगने को कहते हैं ।

इसके बदले में बलि रात-दिन भगवान को अपने सामने रहने का वचन मांग लेता है, श्रीविष्णु को अपना वचन का पालन करते हुए, पातललोक में राजा बलि का द्वारपाल बनना स्वीकार करते हैं ।। कार्यक्रम में मुख्य पदाधिकारी पवन गोयल, अजय गुप्ता, संदीप मित्तल, अजय गोयल, आनंद गुप्ता, अमित गोयल, नवीन मि त्तल, देवेंद्र मूर्ति, रजत गोयल, अभिषेक, संदीप मित्तल, रीता गोयल, रूचि मित्तल, ममता आदि श्रद्धालुगण मौजूद रहे।

 

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