Muzaffarnagar News: विभिन्न पशु चिकित्सकों द्वारा गोवंश आश्रय स्थलों का किया निरीक्षण
मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar News) जनपद के विभिन्न पशु चिकित्सकों द्वारा संबंधित क्षेत्रों के स्थाई गोवंश आश्रय स्थल एवं अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल का निरीक्षण किया गया, बीमार पशुओं का उपचार, लंपी स्किन बीमारी से बचाव हेतु टीकाकरण, एवं संचारी रोग नियंत्रण अभियान के अंतर्गत जन जागरूकता अभियान भी चलाया गया।
जिलाधिकारी चंद्र भूषण सिंह के निर्देशानुसार एवं मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ एमपी सिंह के कुशल निर्देशन में जनपद के विभिन्न विकास खंड पशु चिकित्सकों द्वारा निम्न गतिविधियां करवाई गई। डा अनिल कुमार शर्मा उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी खतौली द्वारा ग्राम तुलसीपुर में पूर्व से लंपी चर्म रोग से पीड़ित रोगी गोवंश के स्वास्थ्य लाभ की जानकारी ली। पशु चिकित्सा अधिकारी मोरना/ककरौली द्वारा संचारी रोग नियंत्रण अभियान के दौरान विकासखंड मोरना के ग्राम कमहेड़ा में शूकर पालको द्वार पर जाकर उन्हें संचारी रोगों के विषय में विस्तार से बताया सशूकर पालन में प्रबंधन, साफ सफाई का महत्व व उन से होने वाली बीमारियों आदि के विषय में जानकारी दी गई।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी मुजफ्फरनगर के दिशा निर्देशानुसार डॉ मंशाराम गौतम उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी बुढ़ाना द्वारा घ्ग्राम कुरथल में संचारी रोगों से बचाव हेतु सूकर पालकों को जागरूक किया गया। तथा सूकरो के लिए पेट की कृमि नाशक दवाई तथा सैनिटाइजर निशुल्क वितरित किया गया। अस्थाई गौ आश्रय स्थल समौली का डा अनिल कुमार शर्मा उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी खतौली द्वारा भ्रमण किया गया। वर्तमान में गोशाला पर १०५ गोवंश संरक्षित है।
भूसा पर्याप्त मात्रा में संग्रहित है और हरा चारा प्रतिदिन आ रहा है।डॉ हर्ष वर्धन पशु चिकित्सा अधिकारी लालूखेरी द्वारा अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल निवादा चिरोली में सभी गोवंशी का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया सभी गोवंश स्वस्थ पाए गए। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के दिशा निर्देशन में डा० मंशाराम गौतम उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी बुढ़ाना द्वारा अस्थाई गौवंश आश्रय स्थल अटाली पर नियमित भ्रमण कर पशुओं का स्वास्थ परीक्षण किया गया। सभी पशु स्वस्थ पाये गये।
पशु आश्रय स्थल संचालकों (ग्राम पंचायत सचिव एवं ग्राम प्रधान अटाली) को बार बार निर्देशित करने उपरान्त भी पशुओं को हरा चारा व चोकर नहीं दिया जा रहा है। केवल सूखा भूसा खिलाया जा रहा है जिसके कारण अधिकतर पशु कमजोर एवं कुपोषित हैं।