Muzaffarnagar का गरमाया सियासी मैदान: Jayant Chaudhary का दमदार रोड शो, गठबंधन की जीत का दावा
Muzaffarnagar। मीरापुर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव का माहौल चरम पर है, और इस गरमाते सियासी समर में रालोद सुप्रीमो एवं केंद्रीय राज्यमंत्री Jayant Chaudhary ने दमदार एंट्री की है। मंगलवार को जयंत चौधरी ने विशाल रोड शो के ज़रिए अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। यह रोड शो केवल जनसमर्थन जुटाने तक सीमित नहीं था, बल्कि यह उनके गठबंधन (रालोद-भाजपा) की शक्ति और एकता का प्रदर्शन भी था।
मनफोडा गांव से हुई शुरुआत, गांव-गांव में हुआ भव्य स्वागत
Jayant Chaudhary ने अपने रोड शो की शुरुआत मीरापुर विधानसभा क्षेत्र के मनफोडा गांव से की। जैसे ही उनकी खुली गाड़ी गांव में दाखिल हुई, कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने उनका जोरदार स्वागत किया। जयंत को फूल-मालाओं से लाद दिया गया, और “जयंत चौधरी जिंदाबाद” के नारों से क्षेत्र गूंज उठा।
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जयंत चौधरी ने मीरापुर उपचुनाव को गठबंधन के सम्मान का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “यह चुनाव केवल एक विधायक चुनने के लिए नहीं, बल्कि यह गठबंधन की ताकत और हमारी नीतियों पर मुहर लगाने का मौका है।”
मिथलेश पाल: कर्मठ महिला और दलितों की आवाज़
Jayant Chaudhary ने प्रत्याशी के चयन को लेकर भी खुलकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मीरापुर सीट के लिए कई नामों पर विचार किया गया, लेकिन मिथलेश पाल को प्रत्याशी बनाना सही निर्णय था।
“मिथलेश पाल केवल एक उम्मीदवार नहीं, बल्कि दलित और पिछड़े वर्ग की आवाज़ हैं। उनके नेतृत्व में हम सबका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेंगे।”
यह बताते हुए जयंत ने याद दिलाया कि मिथलेश पाल पहले भी इस सीट से विधायक रह चुकी हैं और उनकी सक्रियता, ईमानदारी, और क्षेत्र में पकड़ देखते हुए यह निर्णय लिया गया।
गांव-गांव से होता हुआ काफिला पहुंचा मीरापुर
मनफोडा से शुरू हुआ यह काफिला नूनीखेड़ा, कुतुबपुर, कासमपुर खोला, गंगदासपुर और बेहड़ा सादात होते हुए मीरापुर पहुंचा। हर जगह जयंत का भव्य स्वागत किया गया। जयंत चौधरी ने इस दौरान सैकड़ों कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित करते हुए मतदान के दिन पूरी ऊर्जा और जोश के साथ ‘नल’ के निशान पर वोट देने की अपील की।
“जाति-धर्म से ऊपर है हमारी राजनीति”
मीडिया से बातचीत में जयंत चौधरी ने स्पष्ट किया कि रालोद जाति-धर्म की राजनीति में विश्वास नहीं रखता। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य दलितों और पिछड़े वर्गों को सत्ता में भागीदारी दिलाना है। हम विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ हैं और सभी वर्गों को समान रूप से प्रतिनिधित्व देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
मोरना में जयंत का भावुक संबोधन
मोरना में चुनावी सभा के दौरान जयंत का भाषण विशेष चर्चा का विषय बना। उन्होंने कार्यकर्ताओं से भावुक अपील करते हुए कहा,
“यह केवल मेरा चुनाव नहीं, यह आप सबका चुनाव है। यह हमारी नीतियों और मेहनत की परीक्षा है। जब आप ‘नल’ का बटन दबाएंगे, तो यह गठबंधन के भविष्य की जीत होगी।”
जयंत का यह भावनात्मक संबोधन कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम कर गया।
नेताओं की लंबी लिस्ट ने बढ़ाया उत्साह
रोड शो और सभा में रालोद के प्रमुख नेताओं की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और भी प्रभावशाली बना दिया। जयंत चौधरी के साथ सांसद चंदन सिंह चौहान, एमएलसी वीरेंद्र सिंह, विधायक अशरफ अली, और कई अन्य प्रमुख नेता मौजूद थे।
इसके अलावा, पूर्व मंत्री धर्मवीर बालियान और योगराज सिंह जैसे दिग्गज नेताओं की भागीदारी ने रोड शो को ताकतवर संदेश दिया।
क्या कहते हैं स्थानीय समीकरण?
मीरापुर सीट पर इस बार का उपचुनाव बेहद अहम है। स्थानीय समीकरण और जातीय राजनीति इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है। दलितों और पिछड़े वर्ग का समर्थन हासिल करना किसी भी पार्टी के लिए जीत का सबसे बड़ा कारण बन सकता है। मिथलेश पाल जैसे चेहरे को मैदान में उतारकर रालोद ने इस दिशा में एक मजबूत कदम उठाया है।
रालोद की रणनीति: जमीनी स्तर पर पहुंच बनाना
जयंत चौधरी का यह रोड शो रालोद की जमीनी रणनीति को दर्शाता है। छोटे-छोटे गांवों में जाकर जनता से सीधा संवाद करना और कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना उनकी मुख्य रणनीति है।
चुनावी गणित और संभावनाएं
रालोद और भाजपा गठबंधन के सामने इस बार सपा और बसपा की चुनौती है। हालांकि जयंत चौधरी ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि गठबंधन इस बार बड़े अंतर से जीत हासिल करेगा।
उपचुनाव की तारीख और आगे की तैयारी
मीरापुर विधानसभा क्षेत्र में मतदान 20 नवंबर को होगा। जयंत चौधरी ने सभी समर्थकों और कार्यकर्ताओं से इस दिन को “गठबंधन दिवस” बनाने की अपील की। उन्होंने कहा,
“आपका एक वोट केवल प्रत्याशी को नहीं, बल्कि हमारी नीतियों और गठबंधन के भविष्य को मजबूत करेगा।”
निष्कर्ष: क्या रालोद की रणनीति काम करेगी?
मीरापुर के इस उपचुनाव में जयंत चौधरी का यह दमदार रोड शो निश्चित रूप से माहौल को रालोद-भाजपा के पक्ष में मोड़ने का काम करेगा। अब देखना यह है कि 20 नवंबर को जनता का फैसला क्या होगा।