संपादकीय विशेष

मोरना/Muzaffarnagar: अधूरी पुलिया बनी मौत का जाल, चार साल से सड़क चौड़ीकरण कार्य अधर में

मोरना/Muzaffarnagar  मुजफ्फरनगर जिले के मोरना-भोपा मार्ग का चौड़ीकरण कार्य पिछले चार वर्षों से अधर में लटका हुआ है। इस परियोजना में विभागीय लापरवाही और अधूरे निर्माण कार्यों ने सड़क को दुर्घटनाओं का केंद्र बना दिया है। खासतौर पर मोरना-भोपा मार्ग पर चीनी मिल के पास बनी पुलिया मौत का जाल बन चुकी है। स्थानीय निवासियों की लगातार शिकायतों और मांगों के बावजूद लोक निर्माण विभाग (PWD) के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है।

चार दशक की मांग और अधूरा सपना

भोपा-मोरना मार्ग पर स्थित इस पुलिया का चौड़ीकरण क्षेत्रवासियों की वर्षों पुरानी मांग थी। ग्रामीणों ने करीब चालीस वर्षों तक इस पुलिया के चौड़ीकरण और उचित निर्माण के लिए संघर्ष किया। आखिरकार, यह काम चार साल पहले शुरू किया गया, लेकिन अधूरे निर्माण और लापरवाही ने इस परियोजना को समस्या का कारण बना दिया है।

पुरानी पुलिया सिंचाई विभाग द्वारा साईफन तकनीक से बनाई गई थी, जो उस समय सड़क के समतल निर्माण में मददगार थी। लेकिन लोक निर्माण विभाग ने इसे ऊंचा कर दिया है, जिससे वाहन चालकों को ऊंचाई का अंदाजा नहीं लग पाता और हादसे हो रहे हैं।

हादसों की काली छाया

पिछले कुछ महीनों में इस अधूरी पुलिया पर कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। हाल ही में भोपा निवासी एक युवक की मौत इसी पुलिया के कारण हुई। अधूरी निर्माणाधीन पुलिया की ऊंचाई, बीच के गड्ढे, और असमान सड़क वाहन चालकों के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के समय पुलिया पर दुर्घटनाओं की आशंका और बढ़ जाती है।

जनता का गुस्सा और सरकार की चुप्पी

क्षेत्रीय नागरिकों ने कई बार विभागीय अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि लोक निर्माण विभाग जानबूझकर निर्माण कार्य में देरी कर रहा है। उन्होंने कहा कि पुलिया का डिजाइन भी गलत है, और अगर इसे सही तरीके से नहीं बनाया गया तो यह बड़ी दुर्घटनाओं को जन्म दे सकती है।

क्या है साईफन तकनीक और क्यों है यह विवादित?

साईफन तकनीक का इस्तेमाल पुलिया को निचले स्तर पर बनाए रखने के लिए किया जाता है, ताकि सड़क समतल हो सके। हालांकि, यह तकनीक पुराने समय की है और इसमें पुलिया के चोक होने की आशंका बनी रहती है। नई पुलिया में इस तकनीक को हटाकर ऊंचा निर्माण किया जा रहा है, लेकिन यह सही तरीके से नहीं किया गया है।

जनता की मांगें और प्रस्तावित समाधान

क्षेत्रवासियों ने पुलिया के निर्माण कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने और इसे सुरक्षित बनाने की मांग की है। कुछ प्रमुख सुझाव इस प्रकार हैं:

  • पुलिया के डिजाइन की दोबारा समीक्षा की जाए।
  • गड्ढों और अनियमित ऊंचाई को तत्काल ठीक किया जाए।
  • निर्माण कार्य में गुणवत्ता और समय सीमा का ध्यान रखा जाए।
  • रात के समय दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उचित संकेतक और लाइट की व्यवस्था की जाए।

सरकारी ढांचे में जवाबदेही की कमी

लोक निर्माण विभाग और स्थानीय प्रशासन पर जनता का भरोसा लगातार कमजोर हो रहा है। यह घटना केवल मोरना-भोपा मार्ग की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे राज्य में चल रही अधूरी परियोजनाओं और लापरवाह कार्यप्रणाली की ओर इशारा करती है।

निष्कर्ष नहीं, सवाल!

अधूरी पुलिया और सड़क चौड़ीकरण की यह कहानी एक बड़े सवाल को उठाती है: क्या सरकारी विभागों की लापरवाही के चलते आम नागरिकों की जिंदगी हमेशा खतरे में रहेगी? जब तक विभागीय अधिकारी और ठेकेदार अपने काम को जिम्मेदारी से नहीं निभाते, तब तक ऐसी दुर्घटनाएं होती रहेंगी।

स्थानीय नेताओं और अधिकारियों की प्रतिक्रिया

इस मामले में स्थानीय नेताओं ने भी अपनी चुप्पी तोड़ी है। क्षेत्र के विधायक ने लोक निर्माण विभाग से पुलिया के निर्माण को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, जिलाधिकारी ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

Dr. S.K. Agarwal

डॉ. एस.के. अग्रवाल न्यूज नेटवर्क के मैनेजिंग एडिटर हैं। वह मीडिया योजना, समाचार प्रचार और समन्वय सहित समग्र प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। उन्हें मीडिया, पत्रकारिता और इवेंट-मीडिया प्रबंधन के क्षेत्र में लगभग 3.5 दशकों से अधिक का व्यापक अनुभव है। वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों, चैनलों और पत्रिकाओं से जुड़े हुए हैं। संपर्क ई.मेल- [email protected]

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