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Rajasthan News: रक्षा मंत्री राजनाथ और नितिन गडकरी को लेकर सड़क पर उतरा Su 30 MKI विमान,अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा तंत्र को मजबूती

Rajasthan News:  बाड़मेर के गंधव-बाखासर खंड में राष्ट्रीय राजमार्ग-925 पर बने ‘इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड’ (ELF) पर गुरुवार को केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी को लेकर Su 30 MKI विमान उतरा। एनएच-925 भारत का पहला राष्ट्रीय राजमार्ग है, जिसका इस्तेमाल वायुसेना के विमानों को आपात स्थिति में उतारने के लिए किया गया।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने भारतीय वायु सेना के लिए आपातकालीन स्थिति में विमान उतारने के वास्ते एनएच-925ए के सट्टा-गंधव खंड के तीन किलोमीटर के हिस्से पर इस आपातकालीन पट्टी का निर्माण किया है।

ऐसा पहली बार हुआ है जब भारतीय वायु सेना (IAF) द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग का इस्तेमाल आपात स्थिति में विमान उतारने के लिए किया गया है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ‘इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड’ का उद्घाटन किया और राजस्थान के बाड़मेर जिले के दक्षिण में गंधव भाकासर खंड के राष्ट्रीय राजमार्ग-925 पर बने ईएलएफ पर विमान का संचालन भी देखा।

देश की पहली आपातकालीन लैंडिंग पट्टी के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि यह मेरे लिए बहुत अच्छा पल है। यहां पर किए गए कार्य की गुणवत्ता असाधारण है और मुझे इस ऐतिहासिक दिन को देखकर गर्व हो रहा है।

इस परियोजना में आपातकालीन लैंडिंग पट्टी के अलावा कुंदनपुरा, सिंघानिया और बाखासर गांवों में वायु सेना/भारतीय सेना की आवश्यकताओं के अनुसार तीन हेलीपैड (प्रत्येक का आकार 100 x 30 मीटर) का निर्माण किया गया है, जो पश्चिमी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारतीय सेना और सुरक्षा नेटवर्क के सुदृढ़ीकरण का आधार होगा। ‘इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड’ (ELF) का निर्माण 19 महीने के अंदर पूरा किया गया है। इसका कार्य जुलाई 2019 में शुरू किया गया था और जनवरी 2021 में यह पूरा हो गया।

आईएएफ और एनएचएआई की देखरेख में ‘जीएचवी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ ने इसका निर्माण किया है। यह परियोजना अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित बाड़मेर और जालौर जिलों के गांवों के बीच संपर्क में सुधार करेगी। इसके पश्चिमी सीमा क्षेत्र में स्थित होने से भारतीय सेना को निगरानी करने में मदद के साथ-साथ बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में भी सहायता मिलेगी।

सामान्य दिनों में इस इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड का इस्तेमाल निर्बाध यातायात के लिए किया जाएगा। ईएलएफ की लंबाई 3.5 किमी. है। इस लैंडिंग स्ट्रिप पर भारतीय वायुसेना के सभी तरह के विमान उतर सकेंगे। जनवरी 2021 में काम पूरा होने पर रक्षा मंत्री राजनाथसिंह व सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बाड़मेर एनएचएआई के तकनीकी प्रबंधक जितेंद्र चौधरी को अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया था।

इससे पहले अक्टूबर 2017 में भी भारतीय वायुसेना के लड़ाकू एवं परिवहन विमानों ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर मॉक लैंडिंग की थी, ताकि यह दिखाया जा सके कि ऐसे राजमार्गों का उपयोग वायुसेना के विमानों द्वारा आपात स्थिति में उतरने के लिए किया जा सकता है। हालांकि लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश सरकार के तहत आता है और राष्ट्रीय राजमार्ग नहीं है। यह पट्टी भारतमाला परियोजना के तहत गगरिया-बखासर और सट्टा-गंधव खंड के नव विकसित ‘टू-लेन पेव्ड शोल्डर’ का हिस्सा है, जिसकी कुल लंबाई 196.97 किलोमीटर है और इसकी लागत 765.52 करोड़ रुपये आई थी। ‘पेव्ड शोल्डर’ उस भाग को कहा जाता है, जो राजमार्ग के उस हिस्से के पास हो जहां से वाहन नियमित रूप से गुजरते हैं।

रक्षा मंत्रालय व राजमार्ग प्राधिकरण ने वायुसेना के फाइटर प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग के अलावा सैन्य सुविधा को ध्यान में रखते हुए कुंदनपुरा, सिंघानिया और बाखासर गांवों में 100 गुणा 30 मीटर के तीन हेलीपेड भी तैयार किए हैं।

News Desk

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