भारत और चीन के बीच मोल्डो में हुई कमांडर स्तर की छठी बैठक बिना किसी नतीजे के खत्म
सीमा विवाद पर भारत और चीन के बीच मोल्डो में हुई कमांडर स्तर की छठी बैठक बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई। बैठक में चीन ने भारत से 29 अगस्त के बाद पैंगोंग त्सो के दक्षिण तट पर कब्जे ठिकानों को खाली करने के लिए कहा है। हालांकि, भारत ने जोर देकर कहा कि चीनी सेना पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में आमने-सामने की स्थिति को खत्म करे, अपने सैनिक जमावड़े को घटाए और अप्रैल 2020 की स्थिति तक वापस लौटे।
भारत ने यह भी कहा कि चीन पूर्वी लद्दाख के उन सभी मोर्चों से पीएलए सैनिक पीछे हटाए जहां वो मई 2020 के बाद से मौजूद है। करीब पांच महीनों से चल रहे तनाव को कम करने का कोई हल नहीं निकल सका। हालांकि बैठक में दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी रखने को लेकर सहमति जरूर बनी है।
India and China have agreed to continue talking to each other on the ground and keep lines of communication open to avoid the aggravation of the situation: Sources https://t.co/6k3X2ehfwf
— ANI (@ANI) September 22, 2020
वरिष्ठ सैन्य कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने और सैनिकों की वापसी पर दोनों देशों के बीच बनी पांच सूत्रीय सहमति को लागू करने के लिए सोमवार को वार्ता हुई। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, छठे दौर की कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता पूर्वी लद्दाख में भारत के चुशूल सेक्टर के पार वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की तरफ स्थित मोल्डो में सुबह करीब नौ बजे शुरू हुई थी।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई भारतीय सेना की लेह स्थित 14 कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने की। सूत्रों ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्रालय का एक संयुक्त सचिव स्तर का अफसर और लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन भी शामिल हैं, जो अगले महीने 14 कॉर्प्स के कमांडर के तौर पर सिंह का स्थान ले सकते हैं।
ऐसा पहली बार हुआ जब इस पर्वतीय क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता में विदेश मंत्रालय का एक वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। इसके अलावा, भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) में भारतीय रक्षा मंत्रालय के एक प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
दोनों सेनाओं के कॉर्प्स कमांडर-स्तर के अधिकारी अब तक पांच बार मिल चुके हैं, लेकिन लद्दाख सेक्टर में जारी गतिरोध को खत्म करने में नाकाम रहे हैं। इस कारण दोनों पक्षों द्वारा सीमा पर महत्वपूर्ण सैन्य निर्माण किया गया है।
दरअसल, बीते कुछ हफ्तों से चीन के हिस्से में आने वाला मोल्डो गैरिसन में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की गतिविधियां काफी बढ़ गई हैं। जब से सीमा पर चीन का आक्रोश बढ़ा है, तब से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत और सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे हालात पर नजर रखे हुए हैं।
पिछले शनिवार को भारतीय सेना की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। इस बैठक में एनएसए अजीत डोभाल और सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत आला अधिकारी शामिल हुए थे। इस बैठक में ये तय किया गया था कि भारत की तरफ से चीन के सामने कौन-कौन से मुद्दे उठाए जाएंगे।
भारत और चीनी सेना के बीच वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की बैठक शनिवार को मोल्डो में