मतदाता सूची में नाम घटाने बढ़ाने के एवज में रिश्वत लेते लेखपाल का वीडियो वायरल,लेखपाल निलंबित
कर्नलगंज (गोण्डा)। तहसील क्षेत्र कर्नलगंज अन्तर्गत बीते दिनों मतदाता सूची में नाम बढ़ाने और घटाने में जमकर खेल करने के एवज में लेखपाल द्वारा रिश्वत लेने के मामले में सोशल मीडिया पर हो रहे वीडियो वायरल होने के मामले में काफी कशमकश के बाद लेखपाल को निलम्बित कर दिया गया है।
वहीं आयुक्त व एसडीएम के आदेश के बावजूद पैमाइश न करने एवं वरासत दर्ज करने में हीला हवाली करने वाले सकरौरा ग्रामीण में कार्यरत एक लेखपाल को आरोप पत्र जारी किया गया है।
विदित हो कि तहसील कर्नलगंज के अन्तर्गत ग्राम अहियाचेत क्षेत्र कटराबाजार में मतदाता सूची में नाम बढ़ाने व घटाने के एवज में लेखपाल यज्ञराम द्वारा रिश्वत लेते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने व समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर से काफी किरकिरी होने से संज्ञान लेकर उप जिलाधिकारी ज्ञानचंद्र गुप्ता ने लेखपाल को निलंबित कर दिया है और लेखपाल के विरुद्ध तहसीलदार कर्नलगंज को जांच सौंपी गई है।
दूसरी ओर इसी तहसील के ग्राम सकरौरा ग्रामीण के लेखपाल जितेंद्र कुमार शुक्ला को आरोप पत्र जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि सकरौरा निवासी इंतजार पुत्र हारून से पैमाईश करने हेतु 20 हजार रुपये लेने व आयुक्त व एसडीएम के आदेश के बावजूद लेखपाल द्वारा भूमि की पैमाइश न करने, सकरौरा निवासी सुशील कुमार पाण्डेय की मार्च 2020 में सरयू नदी में डूबने से हुई मौत के मामले में वारिसान को सरकारी बीमा योजना का लाभ दिलाने के लिए पत्रावली तैयार न करने तथा मुख्यमंत्री के निर्देश पर वरासत दर्ज करने के अभियान में तहसील की 115 ऑनलाइन डिफाल्टर श्रेणी में होने के चलते 14 ऑनलाइन वरासत जितेंद्र कुमार शुक्ला के क्षेत्र हैं।
इसके कारण उन्हें आरोप पत्र जारी किया गया है।जिसमें लेखपाल से तीन दिवस के भीतर स्पष्टीकरण तलब किया गया है।उप जिलाधिकारी ज्ञानचंद्र गुप्ता ने बताया कि करीब चार लेखपाल कार्रवाई के निशाने पर हैं। जिनके विरुद्ध शिकायतें प्राप्त हुई है। उनके विरुद्ध भी कार्रवाई अमल में लायी जा रही है।
किसी को बख्शा नहीं जाएगा।। उल्लेखनीय है कि इसी तहसील व अपने गृह तहसील में कई वर्षों से अनेकों लेखपालों के नियमविरूद्ध जमे रहकर कार्यरत होने से और स्थानीय अधिकारियों के संरक्षण,अनदेखी के चलते भारी पैमाने पर बेखौफ हो अपने पद का दुरुपयोग कर बेजा इस्तेमाल करते हुए नित अनेकानेक फर्जी कार्य करने के साथ ही विभिन्न शासकीय एंव जनकार्यों के बदले आमजनमानस पीड़ितों का काफी शोषण कर अवैध वसूली किया जा चुका है।
जिसके संबंध में कई लेखपालों के विरुद्ध अनेकों शिकायतें अब तक पूर्व में स्थानीय अधिकारियों से लेकर उच्चाधिकारियों से हो चुकी है जो ठण्ढे बस्ते में चली गई या लेखपालों से जांच अधिकारियों द्वारा सांठ-गांठ कर फर्जी रिपोर्ट भेजकर रद्दी टोकरी के हवाले कर दी गई।
यदि बीते मात्र आठ वर्षों की लेखपालों के विरुद्ध प्राप्त शिकायतों की समीक्षा कर पुनः निष्पक्ष जांच करायी जाये तो भारी पैमाने पर लेखपालों के भ्रष्टाचरित कार्यों, फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हो सकता है।