स्वास्थ्य

क्या आपको बार-बार मूत्र हाजत होती है?

 जीवों को स्वस्थ रहने के लिए श्वसन , भोजन , प्रजनन , एवं उत्सर्जन होना जरूरी ही नहीं बल्कि अति आवश्यक है , यदि इनमें से कोई भी अंगतंत्र सही ढंग से कार्य नहीं कर पाता है तो दूसरे अंगतंत्र की परेशानी तो बढ़ती ही है इसके साथ – साथ पूरे शरीर को अव्यवस्थित कर देता है 

शारीरिक एवं मानसिक क्रियाओं के परिणाम स्वरूप मानव शरीर के ऊत्तकों की कोशिकाएं निरंतर टूटती – फूटती रहती है एवं कुछ की मरम्मत कार्य भी जारी रहता है 

अर्थात कोशिकाओं के सृजन एवं विनाश लगातार जारी रहती है . इस क्रिया को सुचारू बनाए रखने के लिए हमें भोजन की आवश्यकता होती है

भोजन के अपशिष्ट पदार्थ एवं कोशिकाओं के विनाश के कारण हमें उत्सर्जन करना आवश्यक हो जाता है . यदि यह यथोचित मात्रा में न हो तो शरीर विषैला हो सकता है  इसलिए हमें उत्सर्जन करना पड़ता है 

हमारे शरीर में चार उत्सर्जी तंत्र हैं श्वसन तंत्र , पाचन तंत्र , मूत्र तंत्र एवं त्वचा . यहां मूत्रतंत्र के बारे में जानकारी से पहले यह मूत्र होता क्या है ? स्वस्थ व्यक्ति का मूत्र एक हल्के पीले रंग का जलीय पारदर्शी पदार्थ होता है , इसमें पानी की मात्र 96-98 प्रतिशत होती है

यूरिया 2.00 प्रतिशत , नमक , सोडियम , पोटैशियम क्लोराइड सल्फेट आदि लगभग 1.05 प्रतिशत , क्रिएटिनीन- 0.8 तथा आपेक्षिकि घनत्व- 1.03 होता है

तुरन्त त्यागा गया मूत्र अम्लीय और बाद में वह क्षारीय हो जाता है . भोजन में प्रोटीन अधिक लेने पर मूत्र में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ सकती है . जबकि पेशाब में युरिया की मात्रा की वृद्धि औसतन सामान्य रहती है . सामान्य तौर यह देखा गया है कि स्वस्थ व्यक्ति के मूत्र शर्करा , पस , रक्तकण , एल्ब्यूमीन आदि नहीं पाये जाते हैं 

हिमोग्लोबिन तथा खान – पान के कारण मूत्र का रंग हल्का पीलापन होता है . जहां पर मूत्र जमा होता है अर्थात मूत्राशय , इसका आकार नाशपाती के आकार से मिलता जुलता है . मूत्राशय की नोक प्युबिस के नीचे और पीछे अवस्थित होता है . इस जगह से मूत्र बाहर निकलता है . मूत्र नलियां दो होती है

ये नलियां किडनी और मूत्राशय के बीच जोड़ का काम करती है . ये नलियां मूत्राशय की पिछली दीवार में जाकर खुलती है . मूत्र नली एवं मूत्रमार्ग के बीच का त्रिभुजाकार मूत्राशय का ट्रिगोन कहलाता है . स्त्रियों में मूत्राशय प्युबिस , गर्भाशय और योनि के बीच स्थित होता है . दोनों मूत्र वाहिनियों द्वारा मूत्र निरंतर मूत्राशय में बूंद – बूंद टपकता है 

मूत्राशय की मूत्र धारण क्षमता सीमित होता है . मूत्र की मात्रा अधिक होने पर मूत्राशय सीमित आकार तक फैलता है . यह भर जाने पर मूत्राशय की दीवारों में कॉनट्रेक्सन शुरू हो जाता है 

इस कॉनट्रेक्सन के कारण तांत्रिक क्रिया द्वारा मूत्र मार्ग से निकल जाता मूत्र बच्चे में मूत्र त्यागने की इच्छा शक्ति कम होती है अथवा इच्छा शक्ति का विकास नहीं होता है . फलतः पेशाब स्वतः बाहर आ जाता है . उम्र बढ़ने पर मूत्राशय के पेशियों पर नियंत्रण शक्ति कम हो जाती है . मधुमेह से पीड़ित होने पर , गर्भावस्था में , प्रोस्टेट की खराबा के कारण पेशाब करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है , वृद्धावस्था में पेशियों की कार्य क्षमता कम हो जाती है 

फलतः इच्छाओं का नियंत्रण खोने लगता है जिसके कारण मूत्र त्यागने की क्रिया स्वतः होने लगती मूत्र बार – बार त्याग करना पड़े तो थोड़ी परेशानी तो होती है । परन्तु जब इसके विपरीत मूत्राशय में पेशाब भरा हो और त्यागने की इच्छा हो लेकिन मूत्र विसर्जित नहीं हो पा रहा हो तो व्यक्ति बेचैन हो जाता है 

ऐसी स्थिति से निपटने के लिए उपाय होमियोपैथी में है . पेशाब के रुकने के भी कई कारण हैं , कभी – कभी सिस्टाइटिस के कारण भूत्राशय के भीतर की म्यूकस मेग्ब्रेन में सूजन आ जाती है तो पेशाब की हाजत हो सकती है , मूत्राशय में पथरी होने के कारण , मूत्राशय में चोट लगने से , मशालेदार भोजन सेवन करने से , मूत्राशय में जलन होने पर , मूत्राशय संकुचित होने से काफी गर्मी आदि जैसे कारणों से मूत्र विसर्जित नहीं हो पाता है 

सिस्टाइटिस होने रोगी को बुखार आ जाता है . इसके साथ – साथ वमन , हिचकी हो सकता है . सहवास के दौरान स्त्री जननेन्द्रिय में चोट के कारण भी पेशाब रूक सकता है . इसके अलावे प्रसव के उपरान्त , मूत्र में एल्बुमेन , फास्फेट्स आदि से भी पेशाब नहीं हो सकता है , सिस्टाइटिस होने पर पेशाब का आपेक्षिक घनत्व कम हो जाता है 

प्रोस्टेट में सूजन आ जाने पर भी पेशाब की हाजत हो जाती है , यह अधिक हो जाय तो रोगी को बार – बार पेशाब करने की चेष्टा होती है ; परन्तु काफी परेशानी से बूंद – बूंद होता है .कभी – कभी तो पेशाब होता ही नहीं , पेशाब मूत्राशय में जमा रहने पर काफी परेशानी होती है . वृद्धों में यह समस्या अधिक पायी जाती है 

यह समस्या अधिक हस्त मैथुन , गठिया , मूत्राशय पथरी , आदि कारणों से होती है . आमतौर पर पेशाब रुकने पर लोग कैथेटर लगा देते हैं . पेशाब रूक जाने पर प्राथमिक उपचार में गर्म पानी से सेक देना चाहिए , होमियोपैथी में इस रोग की अनेकों दवाईयां हैं, जिनमें से कुछ का वर्णन निम्नलिखित है .

प्राथमिक उपचार अनेकों है जो आवश्यकता अनुसार किया जा सकता है –

नक्स वोमिका : – मद्यपान के उपरान्त पेशाब की हाजत होने पर यह एक मात्र दवा है . ॥ मर्क सोल पेचिश या दस्त के दौरान शरीर में पानी की कमी हो जाने पर इसके प्रयोग से रूकी हुई पेशाब हो जाती है ।

आर्निका माउण्ट : – मत्राशय में चोट लगने के बाद , महिलाओं में सहवास के दौरान आए परेशानी या योनि में सूजन पेशाब रुक जाने पर , एक्जर्सन के बाद , अत्यधिक पैखाना होने पर पेशाब का बंधन होने पर यह आशाजनक परिणाम देती है , रोगी को यह एहसास होता है कि मेरे मूत्रमार्ग का रास्ता संकुचित हो गया है . मूत्राशय में काफी दर्द , अत्यधिक जाड़ा लगने के बाद पेशाब रुक जाने पर इसे सेवन करना चाहिए .

एकोनाइट नैप : – नवजात शिशु के पेशाब रूक जाने पर यह पेशाब तुरंत चालू करती है . बच्चा बार – बार ठंडा पानी ले रहा हो , पेशाब न हाने के कारण पूरी रात चिल्ला रहा हो . किसी प्रकार के भय के कारण पेशाब रुक गया हो तो ऐसी स्थिति में पेशाब चालू करने की सर्वोत्तम औषधियों में से एक है

बेलाडोना : – प्रोस्टेट के आकार में वृद्धि के कारण , मूत्र का पूर्ण त्याग न होने पर , पूरे मूत्र प्रणाली में दर्द होने पर यह दवा काफी जल्दी परिणाम देती है .

कैम्फर : – मूत्र खुलकर न हो या रूक जाने पर चर्म रोग हो जाय और जब पेशाब हो जाय तो चर्म रोग स्वतः ठीक हो जाय तो यह अद्वितीय दवा है . कॉलरा ग्रस्त रोगी का मूत्र काफी कम या नहीं हो तो , नवजात शिशु के पेशाब रूक जाने पर भी यह उपयोगी है , रोगी की जीभ परीक्षा करने पर दिखाई देती है .

ओपियम : – सहवास के उपरांत मूत्र त्याग न होना . इसके अलावे ठंडा चीज के छुने पर , हैजा के बाद , बच्चे को दूध पिलाने के बाद मूत्र न होना , मूत्रमार्ग का संकीर्ण होने पर , किसी भय के उपरान्त मूत्र रूक जाना आदि में उपयोगी है .

मैग्नेशियम फॉस : – कैथेटर डालने के पश्चात स्वतः मूत्र त्याग हो जाना . जिंकम मेटालिकम हिस्ट्रीया से पीड़ित महिला को जब पेशाब न हो तो इसे अवश्य याद करना चाहिए .

कॉस्टिकम : – यह दवा मूत्र की बंधता की सर्वोत्तम औषधियों में से एक है , यह वाल्यावस्था से लेकर वृद्धावस्था तक के सभी आयु वाले के लिए उपयुक्त है . ठंड लगने के बाद पेशाब के मार्ग संकुचित होने पर प्रोस्टेट या मूत्राशय के शल्य क्रिया के बाद यदि रोगी को पेशाब नहीं हो रहा हो तो यह रामबाण की तरह काम करती है .

कोपेवा : – जब रोगी का पेशाब रुक जाय एवं उसका दर्द पखाना के रास्ते तक फैल जाय ऐसी स्थिति में यह उपयोगी हीपर सल्फ : – गर्भावस्था में यदि पेशाब रूक जाय तो इसे प्रयोग करके सफलता प्राप्त किया जा सकता है . लोगों के सामने रोगी का पेशाब स्वतः रूक जाता है . कोनियम मैक मूत्र के रूकने से रोगी का सिर दर्द होना इसकी मुख्य दवा है . इसके अलावे यह प्रोस्टेट बड़ा होने पर भी यह काफी उपयोगी दवा है .

फेरम फॉस : – बुखार के दौरान यदि पेशाब रूक जाय तो इसे नहीं भूलना चाहिए . ट्रिटिकम -एग्रोपाइरॉन रिपेन्स : – पेशाब करने की इच्छा बार – बार करना , दर्द यूक्त पेशाब होना , मूत्र पथरी की तली जमना , मूत्राशय मुखशायी ग्रंथि बढ़ी हुई , किडनी में सूजन , सूजाक का पीव निकलना आदि में यह उपयोगी है .

इस दवा का मूलार्क ही उपयोग करना चाहिए . टेरिबिन्य और कैथरिस यदि यह पता न चले कि पेशाब की हाजत क्यों हुई है तो दोनों दवाओं का प्रयोग प्रार्यायक्रम से 1-1 घंटा पर देने से काफी संतोष जनक परिमाण मिलता है .

आम तौर पर यह देखा जाता है कि अधिक गर्मी पड़ने पर पेशाब रुक जाय तो यह और अच्छा काम करती है । सेलिडेगो : – यह वृद्धावस्था में पेशाब रूक जाने पर काफी अच्छी दवाओं में से एक मानी जाती है .

 

Drved 1 |

लेखक:

डा0 वेद प्रकाश विश्वप्रसिद्ध प्राकृतिेक एवं होमियोपैथी चिकित्सक हैं। जन सामान्य की भाषा में स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी को घर घर पहुँचा रही “रसोई चिकित्सा वर्कशाप” डा0 वेद प्रकाश की एक अनूठी पहल हैं। उनसे नम्बर 8709871868 पर सीधे सम्पर्क किया जा सकता हैं और ग्रीन स्टार फार्मा द्वारा निर्मित दवाईयाँ भी घर बैठे मंगवाई जा सकती हैं।

 

Dr. Ved Prakash

डा0 वेद प्रकाश विश्वप्रसिद्ध इलेक्ट्रो होमियोपैथी (MD), के साथ साथ प्राकृतिक एवं घरेलू चिकित्सक के रूप में जाने जाते हैं। जन सामान्य की भाषा में स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी को घर घर पहुँचा रही "समस्या आपकी- समाधान मेरा" , "रसोई चिकित्सा वर्कशाप" , "बिना दवाई के इलाज संभव है" जैसे दर्जनों व्हाट्सएप ग्रुप डा0 वेद प्रकाश की एक अनूठी पहल हैं। इन्होंने रात्रि 9:00 से 10:00 के बीच का जो समय रखा है वह बाहरी रोगियों की नि:शुल्क चिकित्सा परामर्श के लिए रखा है । इनका मोबाइल नंबर है- 8709871868/8051556455

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