स्वास्थ्य

रसौली/गांठ (Fibroid) के कारण, लक्षण और आयुर्वेद उपचार

Fibroid: अनेक बार ऐसा देखने में आता है, कि महिलाओं के गर्भाशय में एक प्रकार की गांठ बन जाती है, जिसकी वजह से उन्हें मां बनने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। चिकित्सकीय भाषा में इसे लिओमायोमा नाम से जाना जाता है। यह गर्भाशय के फायब्रस एवं मस्क्युलर टिश्यूज में पैदा होने वाला ट्यूमर है, जो कि कभी भी मेलिग्नेंट नहीं होता है।

लोक भाषा में इसे रसौली कहा जाता है। गर्भाशय की मांसपेशीय दीवारों पर ही पैदा होते हैं। इनका निर्माण तंतु उतकों से तथा सरल पेशियों से होता है। इनका आकार अंडाकार अथवा गोल होता है। कभी तो ये मटर के दाने के बराबर होते हैं, तो कभी इनका आकार अंगूर के जितना होता है और कभी कभी इनका आकार बहुत ही ज्यादा बढ़ जाता है। ये प्रायः महिलाओं में पुनर्जनन आयु के मध्य पैदा होते हुए देखे जाते हैं। प्रायः तीस से चालीस वर्ष की उम्र में ही इनका अस्तित्व देखने में आता है।

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फायब्राइड के कारण दो प्रमुख नुकसान हो सकते है, जिनमें पहला तो यह है कि संतानोत्पादन में बाधाएं पैदा हो सकती है। दूसरा रक्ताल्पता (एनीमिया) का खतरा बढ़ जाता है। कुछ अवस्थाओं में जब फायब्राइड का आकार बेहद बढ़ जाता है, तो इससे इससे मूत्रमार्ग में दबाव पड़ने से गुरदों को भी हानि पहुंच सकती है अथवा उनके नैसर्गिक किया-कलाप में व्यवधान पैदा हो सकता है।

बहुधा ये फायब्राइड अनेक प्रकार की ब्लीडिंग पैदा करते हुए, बहुत धीरे-धीरे बढ़ते रहते हैं तथा मेनूपाज होने के साथ ही समाप्त होते हैं। प्रायः ये संतानोत्पादन वाली अवस्था में ही पैदा होते हैं तीस से चालीस वर्ष की वाली महिलाओं में अधिक देखने में आते हैं। ज्यादातर फाइब्राइड्स कैंसर युक्त नहीं होते हैं, लेकिन कुछ महिलाओं में ये कैंसर का रूप भी ग्रहण कर लेते हैं।

#लक्षण :-

• पेट में सूजन आना
• गर्भस्राव होना
• असामान्य रूप से लंबी अवधि वाली तथा भारी रक्तस्राव वाली माहवारी
• माहवारी के साथ होने वाला रक्तस्त्राव गाढ़े टुकड़ों (बलॉट्स) में आना
• कष्टार्तव अर्थात् दर्द के साथ मासिकधर्म होना
• दो माहवारियों के मध्य में भी रक्तस्राव होना
• शरीर में भारीपन की अनुभूतियां होना
• नाभि के निचले हिस्से (पेडू) में दर्द होना
• लंबे समय तक चलने वाला पीठदर्द
• सहवास के समय दर्द होना
• बार-बार पेशाब (मूत्र त्याग) करने की इच्छा होना
• सफेद पानी (ल्यूकोरिया) की शिकायत होना
• बाहर से स्पर्श करने पर
• फायब्राइड महसूस होना
• कब्ज होना
• लम्बे समय तक चलने वाला पीठ दर्द
• यदि फायब्राइड का आकार बहुत बड़ा है, तो शरीर के अन्यान्य अवयवों पर इसका दबाव पड़ने लगता है, जिसके कारण कब्ज बवासीर, वेरीकोज वेन्स इत्यादि लक्षण भी पैदा होने लगते हैं।

#आयुर्वेद में उपचार – 

इस रोग से पीड़ित महिला की लक्षणों के अनुरूप चिकित्सा करनी होती है। हमने अनेक रुग्णाओं का पूर्णतः आयुर्वेदिक औषधियों के द्वारा सफल उपचार किया है। इस रोग में ऑपरेशन कराना उचित नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि अनेक बार यह देखने में आया है कि ऑपरेशन के बाद पुनः नए फायब्राइड तेजी के साथ पैदा होने लगते हैं।

अभ्रक भस्म 10 ग्राम शिला-सिंदूर-3 ग्राम कहरवा-पिष्टी-10 ग्राम कुक्कुटांड त्वक भस्म 10 ग्राम मुक्ता-शुक्ति पिष्टी 10 ग्राम प्रवाल पंचामृत रस 10 ग्राम गिलोय सत्व- 10 ग्राम
हीरक भस्म 500 मिलीग्राम
बसंतकुसुमाकर रस 2 ग्राम

इन सबको मिलाकर, साठ पुड़िया बनालें तथा एक-एक पुड़िया सवेरे-सायं खाली पेट शहद या हलके गरम पानी के साथ सेवन करें। वृद्धिबाधिका वटी-दो-दो गोली दिन में तीन बार हलके गरम पानी के साथ, आरोग्यवर्धनी वटी-दो-दो गोलियां दिन में दो बार, गण्डमाला कंडन रस दो-दो गोली दिन में तीन बार हलके गरम पानी के साथ, कैशोर गुग्गुल दो-दो गोलियां दिन में तीन बार, कांचनार गुग्गुल दो-दो गोलियां दिन में तीन बार, चंद्रप्रभावटी एक-एक गोली दिन में दो बार लक्षणों के अनुरूप औषधियों की मात्रा घटाई एवं बढ़ाई जा सकती है।

हीरक भस्म तथा बसंतकुसुमाकर रस महंगी होने के कारण जो लोग इसे खरीदने में असमर्थ हों, वे इसके बिना भी काम चला सकते हैं। तीन चार महीनों तक लाभ होने तक औषधियों का सेवन करते रहें। प्रतिमास अल्ट्रासोनोग्राफी भी कराएं ताकि परिणामों की सही जानकारी मिलती रहे।

#विशेष : औषधि निर्माण एवं सेवन कुशल वैद्य के देखरेख में करें, तनाव प्रबंधन अवश्य ही करते रहें। अनुलोम-विलोम नियमित सवेरे एवं सायं खाली पेट सौ बार करें तथा कम से कम दो सौ बार कपालभाति अवश्य करें।

#सेवन करने से बचें- 

• फास्टफूड
• विविध प्रकार के शीतल पेय(कोल्ड ड्रिंक)
• गरम मसाले
• चाय-कॉफी
• लालमिर्च
• अचार
• इमली, अमचूर
• दूध एवं दूध से बनी हुई मिठाईयां
• दही
• तेल
• चॉकलेट
• आलू
• चावल
• उड़द की दाल
• तले-भुने हुए आहार-द्रव्य
• अंडा, मांस
• मैदा से बने हुए खाद्य पदार्थ
• अधिक मात्रा में नमक एवं नमक से बने हुए खाद्य-पदार्थों का सेवन ।

अपने शरीर को किसी भी प्रकार की बीमारी से मुक्त करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार अपनाएं।

Shaurya |लेखक -डॉक्टर शौर्य प्रताप सिंह  पटना हेल्थ केयर (अगमकुंआ)

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