ओमप्रकाश की कलम से…..रोम रोम मे मेरे बसें है राम 🚩
श्वांस आ रही है, जा रही है!
कभी थोड़ा रुक भी जा रही है!
पर हर पल एक ही ध्वनि गुंजायमान हो रही है ..
जय श्री राम …जय जय श्री राम ..
जय जय राम ..राजा राम ..
मन मे राम, तन मे राम,
जीवन के कण कण मे राम ..
तुझ मे राम, मुझ मे राम,
रोम रोम मे मेरे बसें है राम …
मुख मे राम, हृदय मे राम,
राम धरा मे, गगन मे राम …
दसो दिशाओ मे गुंजायमान
जय श्री राम … जय जय श्री राम …
राम ही सोचू, राम ही मानु ,
कण कण व्याप्त राम पहचानू …
राम सुख है का भंडार,
राम ही है जीवन आधार …
राम धरा के पालनहार ,
राम ही है मेरे सृजनहार …
राम ही व्यापे जग- संसार,
मेरे राम करें सबका उद्धार …
राम राममय सब जग होया ..
राम बिना सुना संसार …
राम ही गाउँ, राम गुण गाउँ,
राम भजन पे मैं रम जाऊँ…
राम मेरे, मेरे तारण हार …
सियाराम मय सब जग सारा,
होहहि आज जगत उजियारा!
राम आएंगे आज धरा पे ,
देखेगा ब्रह्माण्ड ये सारा …
आज समय फिर साक्षी होगा,
राम नाम है अपरम्पारा ….
राम ही सोचू , राम ही मानु ,
सियाराम मय सब जग जानू …
भई कृपा करी पुण्य बहुता,
राम काज, करहे सुर पूता …
” श्री राम के नाम पर, हुए लाखों बलिदान!
भव्य मंदिर बन रहा, राम अयोध्या धाम!!”
जय श्री राम … जय जय श्री राम …
मेरा रोम रोम ये गाये …
जय श्री राम… जय जय श्री राम …
मेरे अंतर्मन मे समाये ….
जय श्री राम …जय जय श्री राम …
मेरे राम धरा पर आये ….
जा श्री राम … जय जय श्री राम …
मेरे मन ना खुशी समाये …
रचनाकार:
मूलतः शांत स्वभाव के दिखने वाले श्री ओम प्रकाश गुप्ता (सम्पर्क: 9907192095) एक प्रखर राष्ट्रवादी ,विद्रोही रचनाकार लेखक एवं समाज सेवक है जो समसामयिक विषयों पर अपनी तल्ख रचनाओं एवं टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं|